सात विदेशी कवियों की कविताएं

 

ल्युदमिला चेबोतारेव

 

सच कहें तो यह दुनिया इंसानों के हाथ  का जादू ही है। दुनिया के हर इमारत, हर कल कारखाने की नींव इंसान ने ही रखी है। हाथ का स्नेहिल स्पर्श अपने आप में विशिष्ट होता है जो बहुत कुछ कह डालता है। सचमुच हाथ हमें वह ताकत देता है जिससे हम अपने सपनों या सोचे हुए में रंग भर सकें। चर्चित अमरीकी कवि रिचर्ड स्पीजैक की एक कविता है 'तुम्हारा हाथ' अपनी कविता में स्पीजैक लिखते हैं : 'तुम्हारा हाथ/ क्योंकि ये सारी चीजें/ एक किस्म की पहेली हैं/ और सच भी/ उन निश्चित बातों के बीच/ जो रंगती है मेरा दिन/ अदाएँ हैं तुम्हारी / या कि खुद तुम ही।' यह कविता पढ़ कर मुझे हिन्दी के चर्चित कवि केदार नाथ सिंह की कविता 'हाथ' याद आई : उसका हाथ/ अपने हाथ में लेते हुए मैंने सोचा/ दुनिया को/ हाथ की तरह गर्म और सुंदर होना चाहिए।

 

पंखुरी सिन्हा ने इधर सात विदेशी कविताओं का अनुवाद किया है। स्पीजैक के अलावा अन्य कवि हैं : डेविड लिओ सेरुआ (कनाडा), केसी रुनयान (अमरीकी कवयित्री), यूरी बोतविंकिन (यूक्रेनी कवि), आना मारिया स्तेफेन (पोलिश कवयित्री), पीटर तूचेव (बुल्गारिया), ल्युदमिला चेबोतारेव (इजरायली-रूसी कवयित्री) तो आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं इन विदेशी कवियों की कविताएं। अनुवाद चर्चित हिन्दी कवयित्री पंखुरी सिन्हा का है।

 

 

 

सात विदेशी कवियों की कविताएं

 

 

अनुवाद - पंखुरी सिन्हा

 

 

ल्युदमिला चेबोतारेव

(चर्चित इजराइली रूसी कवयित्री, प्रतिष्ठित रूसी पत्रिका 'कोलोगोद' की संपादक, बीस से अधिक पुस्तकों की रचयिता)

 

 

 

कोलम्बिना 

 

 

रंगो भरी पोशाक तुम्हारी 

रोवन फूलों का मुकुट 

--कोई कर नहीं सकता बराबरी तुम्हारी

अपना नाम बताओ मुझे मेरी  सुंदरी!

---मेरे नाम का मतलब एक कबूतर 

तुम्हारी भटकती ज़िंदगी है एक अंतहीन असाधारण साहसिक शृंखला!

क्या ढूँढ रही हो तुम?

--मेरे हुजूर, मैं ढूँढ रही हूँ प्यार!

 

 

लेकिन, यह नकाब पोश, गूँगा हार्लेक्वीन पात्र तुम्हारा 

करता है व्यंग्य तुमपर 

गहरा, पत्थर सा करारा, और दिल से अपने

पियेरो रोता है एक खोई हुई कोलुम्बिना के लिए 

ओह! कितना सजा हुआ है वह

किसने जीती वह पुरानी बहस!

 

 

गोज़्ज़ी, या शायद गोल्दोनी?

जवाब मालूम नहीं मुझे 

मेरे दयालु देवता

 

लो, यह रुपहली चाभी तुम 

जिसे लेकर आया हूँ एक प्यार भरे तोहफे की तरह तुम्हारे लिए 

यह बचाता है दुश्मनों की निगाहों से 

अफवाहो वाली झूठी सच्ची गप्पों से 

और दर्द से

लेकिन, खोल देता है दरवाज़ा 

सभी भाग्यशालियों, आस्थावानों और खुशमिजाज़ो के लिए!

तुम रो रही हो कबूतर मेरी?

नहीं मेरे हुजूर, ये बरसात की बूंदे हैं!

 

 

लेकिन आखिर, एक दिखावटी झूठ का पीछा क्यों कर रही हो तुम?

और दगाबाज़ भावों के लिए!

एक काली दूरी है, इस स्लेटी धुँध के पीछे छिपी हुई!

और क्यों तुम्हारे लिए नए देश, नई मुलाकातें जान पड़ती हैं इतनी सुखद?

--क्योंकि, मेरे हुजूर, प्यार से वंचित दिल, नहीं रह सकता है कायम!

 

 

 

लिओ सेरुआ


डेविड लिओ सेरुआ

(अनेक देशी विदेशी पत्रिकाओं में प्रकाशित, चर्चित कनेडियन कवि)

 


ग्रहण ग्रसित

 

 

मैं चाहता हूँ केवल एक 

बेवकूफ़ाना, तर्कहीन चीज़ को चाहना

अपनी आखों को डुबो लूँ 

तारपीन में, भर दूँ इनमें पैराफीन मोम

सुन्न कर दूँ अपनी जीभ को 

कि स्वाद का ज़ायका रहे 

नकार दूँ सारी खुशबुएँ 

और आँखों को मोड़ दूँ पीछे 

की ओर के किसी समय में

 

 

चाँद फिर भी उतार सकता है 

अपनी चमड़ी, केंचुल बदलने की तरह

तैर सकता है अपने ही किये 

अनकिये के खून में, और बना सकता है इस रात को परजीवी

जो ज़िंदा रहती है, सड़क पर जीने वाली छायाओं, थकी पलकों

और बिस्तर की बगल में सजी बत्तियों

लैम्पों की सितारों सी रौशनी की बदौलत!

 

 

उसे नशा है लत 

लगातार दिखने, हावी होने बराबर 

जा चुका है चाँद 

कोई चुहल, कोई खुशनुमा बात

खुलती नहीं यहाँ 

उसके शीशे की धूल हीन सतह 

चाह्ती है कुछ नहीं चाहना 

सिवाय उस रौशनी के 

जिसने हर लिया है 

उसका पुरातन मुखौटा!

 

 

 

स्पीजैक


 

रिचर्ड् स्पीजैक

(चर्चित अमेरिकी कवि)  

 


 

तुम्हारा हाथ 

 

 

तुम्हारा हाथ 

क्योंकि ये सारी चीज़ें 

एक किस्म की पहेली हैं 

और सच भी 

उन निश्चित बातों के बीच 

जो रंगती हैं मेरा दिन 

अदायें हैं तुम्हारी 

या कि खुद तुम ही 

 

 

तुम्हारी हर वक्त की

तैयार मुस्कराहट 

तुम्हारा स्नेही दिल 

इस विराट, सुसज्जित 

ब्रह्मांड में 

जितने भी देखे हैं अजूबे मैने 

तुम्हारे हाथ का जादू 

बड़ा है सबसे

 

 

 

रुनयान

 

केसी रुनयान

(चर्चित अमेरिकी कवयित्री)

 

 

हम हक़दार हैं 

 

 

हम हक़दार हैं 

एक सुरक्षित दुनिया के 

इतना तो होना ही चाहिए 

कि हमें मिले एक बेखौफ़ दुनिया!

 

 

ये हमारी अपेक्षाएँ हैं 

और हम बिल्कुल इस 

लायक कि हमें डरना पड़े 

कि जाने क्या छिपा है 

कौन सा खतरा, अगले मोड़ पर

कोने में, जब हम चलते हैं अकेले

हमारे जूतों की एडियां 

खनकती हैं फुटपाथ पर 

छायाओं से आगे बढ़ती

समेटती अपनी बाहें, अपनी देह 

अपने भीतर, हमारी उस देह के भीतर, जो नष्ट हो जाती है 

कितनी आसानी से

जिसे लगातार कहा जाता है 

सावधान रहने के लिए

एक अशांत घबराहट में ही 

जिसे मिलता है जैसे न्याय 

क्योंकि हमारी होती है 

ज़िम्मेदारी, केवल हमारी गलती 

अगर घटती है कोई दुर्घटना

 

 

बकवास, कहती हूँ मैं 

हमारी अपेक्षायें हैं और 

हम उनके लायक भी

कि निडर जिएं !

और इतना तो हमें 

मिलना ही चाहिए कि 

हम महसूस करें सुरक्षित

 

 

हम लायक हैं 

अपनी अपेक्षाओं के

हम हक़दार हैं 

एक सुरक्षित दुनिया के!

 

 

 

बोतविंकिन

 

यूरी बोतविंकिन

(चर्चित यूक्रेनी कवि)

 


 

तुम्हारे चेहरे पर

 

 

तुम्हारे चेहरे पर बालों की एक बागी

विद्रोही लट की तरह 

धूप सी खनकती, तुम्हारी खिलन्दड़ी हंसी झड़ रही है 

एक शताब्दी में नहीं होते 

इतने ढ़ेर सारे वर्ष 

जितनी शताब्दियों से मैं 

दौड़ रहा था तुम्हारी ओर 

आहिस्ता अलग हटाता हुआ शाखें 

पागलों की तरह तोड़ता 

फोड़ता जन्ज़ीरें 

और उलट पुलट करता 

पार्टियों की मेज़े 

वो जो उत्सुक थे 

नदी की तरह बहती 

जागृत आज़ादी के प्रवाह को 

तटों और किनारों में बांध लेने के लिए 

अन्ततः, बमुश्किल बचे हैं ज़िन्दा 

खुशी से देखता हूँ मैं 

रौशनी से आलोकित रात 

और उस वृत्त, उस घेरे में 

नाचती तुम 

पराजित शताब्दियों की आग 

और उनकी लपटों में ही 

जल रहा है वह हर कुछ 

जो रोक सकता था 

दो अधूरे हृदयों का मिलन 

या वह सोच सकता था कि 

वह कर सकता है ऐसा

स्लाविक लोगों की प्यार और सामन्जस्य की देवी

प्रेसलाटा और लादा की 

केवल एक मुस्कान भर 

चाहिए होती है

प्यार के स्वपन में डूबे हुओं के आगे 

एक विराट अंधकार के उदय के लिए

जहाँ एक भोर रंगती है 

बैगनी रंग में 

पूर्णता को देती हुई आकार 

एक हैं हम और एक जुट 

केन्द्रीय हिस्सा 

इस दुनिया के उन्मुक्त 

जंगलीपन का

अग्रगामी उस ईश्वर के 

जिसका कर रहे हैं स्वागत 

मुख्य सड़कों से उतरी हुई 

पगडंडियों पर

 


 

 

                                                                  मारिया स्तेफेन

 


आना मरिया स्तेफेन

(चर्चित पोलिश कवयित्री)

 


 

नुस्खा 

 

 

तुम्हें मिलेगा नहीं इस धरती पर 

कोई शख्स ऐसा, मुझे लगता है 

कि रहीं हो राहेँ जिसकी सहज, सरल 

सदा, सर्दी या गर्मी में!

सनातन काल से रहा है ऐसा ही 

चिंताएं और डर, सब गहन सोच विचार के दायरे, हमारी हस्तियाँ 

बड़ी या छोटी, ज़िंदगी की एक परीक्षा, करती है हमारा इंतज़ार 

हर दिन के मुहाने पर!

और कोई नहीं है पृथ्वी पर ऐसा 

जो खुश हो विधि के हर विधान से!

ऊँच नीच, अंतहीन जोखिम

कुछ अच्छे, कुछ बुरे 

और साथ में ज़िंदगी कभी कभी 

थमाती है एक बोरा इंद्रधनुषी 

भरा हुआ खूबसूरत सपनों 

खुशियों के वादों से

 

होने पर एक बार यह एहसास 

तुम्हें मिल जाएगी एक दवा

अपने दुखों के लिए

कैसे जिया जाये जब चीज़े 

होती नहीं मन मुताबिक!

जब सारी चीज़ें हो जाती हैं 

उलट पुलट, देख कर पास की अराजकतायें

इसलिए उठाओ अपने डूबते हुए दिल को, उँची रखो अपनी छाती 

तुम खड़े हो या बैठे, मोड़ लो अपने 

कमीजो की आस्तीने

काम के लिए तैयार कर लो 

अपने हाथ और दिमाग!

और मत सोचो कभी तुम अकेले हो!

हालाकि शायद, बेहतर है किसी के साथ होना

जब हाथों की दूसरी जोड़ी और दो दिमाग, काम करते हैं साथ साथ 

बनाने के लिए एक बेहतर कल 

तो आता है उत्साह स्वयं 

यकीन रखो अपने सपनों की जादुई 

ताकत में 

क्योंकि तुम खुद जानते हो सबसे बेहतर 

कौन सी धुन नाच रही है तुम्हारी 

आत्मा में?

कौन से अरमान मचलते हैं वहां

और क्या हैं तुम्हारी इच्छाएं 

जानते हो तुम या तुम्हें बेहतर पसंद है 

मेरा तुम्हें बताना?

 

 

 

पीटर तूचेव

 

पीटर तूचेव

(चर्चित बुल्गारियाई कवि)

 

 

जीसस क्राइस्ट सुपर स्टार 

 

 

मैं भी था हॉलीवुड में 

और हो रही थी बारिश 

माँ की तरह था 

कैलीफोर्नीया का राज्य 

सबकी तरफ बढ़ाता 

धूप के टुकड़े सिवाय मेरे

 

 

एक नितांत निजी सा बादल 

मेरे सर के ऊपर 

मैं चलता रहा होटलों 

और गाड़ियों के बीच

फिर पहाड़ो के ऊपर से 

शहर के एकदम दूर 

दूसरे कोने तक 

जब जमा होते हैं देवदूत 

विदा कहने के लिए

 

 

भटकता रहा रेगिस्तान में 

गया नंगे पाँव मरीचिकाओं की 

लहरों तक

 

 

मुड़ कर देखा मैंने 

और देखे अनंत लोग

गिनती से परे 

जो पीछा कर रहे थे मेरा 

 

लास वेगस तक

 


 

 

सम्पर्क – 

 

ई मेल : nilirag18@gmail.com

 

 

 

 


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