मां की मृत्यु पर कविताएं
मां, एक ऐसा शब्द जो आकार में बहुत छोटा है लेकिन जिसकी व्याप्ति असीम है। जब तक रहती है तब तक अपनी छाया से सबको सुरक्षित रखती है। लेकिन जब वह नहीं रहती, तब उसकी कमी को कोई भी पूरा नहीं कर पाता। दुनिया के प्रायः सभी कवियों ने मां पर कविताएं लिखी हैं।लेकिन मां की मौत पर जब मैं अंतर्जाल पर कविताएं ढूंढने लगा तो कुछ ही कविताएं मिलीं। अब जब कि हमारे सिर पर मां की छाया हट चुकी है, इस दुःख और विषाद को महसूस कर सकता हूं। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं मां की स्मृति में लिखी गई कविताएं। मां की मृत्यु पर कविताएं केदार नाथ सिंह जैसे दिया सिराया जाता है केदार नाथ सिंह कल माँ को सिरा आया भागीरथी में कई दिनों से गंगा नहाने की कर रही थी ज़िद सो, कल भरी दोपहर में जब सो रहा था सारा शहर कोलकत्ता मैंने उसे हथेलियों पर उठाया और बहा दिया लहरों पर जब वह बहती हुई चली गयी दूर तो ध्यान आया हाय, ये मैंने क्या किया उसके पास तो वीजा है न पासपोर्ट जाने कितना गहरा-अथाह जलमार्ग हो जल के कस्टम के जाने कितने पचड़े कुछ देर इस उम्मी...