कँवल भारती का आलेख ‘चाँद’ का विदुषी अंक'
कँवल भारती राष्ट्रीय आन्दोलन के दौर में जिन हिन्दी पत्रिकाओं ने जनता को जागृत करने में विशिष्ट भूमिका निभाई थी उसमें ‘चाँद’ का नाम अग्रणी है। ‘चांद’ पत्रिका की ऐतिहासिक भूमिका यह थी कि उस दौर में उसके कुल 29 विशेषांक निकले। सारे विशेषांक लीक से अलग हट कर नए प्रतिमान स्थापित करने वाले थे। ‘चाँद’ के फांसी अंक से कौन परिचित नहीं है। इसके अलावा उसके प्रवासी अंक, अछूत अंक, पत्र अंक, मारवाडी अंक और विदुषी अंक और वैश्या अंक भी काफी चर्चित हुए। कँवल भारती को सफाई में बाहर फेंक दी गईं कुछ गली-सड़ी मैगजीनों में ‘चाँद’ का विदुषी अंक अंक प्राप्त हुआ। कँवल जी ने इस अंक पर एक विहंगम दृष्टि डालते हुए एक आलेख लिखा है जो महत्त्वपूर्ण है। दुर्भाग्यवश उन्हें चांद के इस अंक के कुछ शुरुआती पन्ने नहीं मिले जिससे अंक के सम्पादक को ले कर वे स्पष्ट नहीं दिखते। इस सन्दर्भ में जब मैंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आशुतोष पार्थेश्वर से सम्पर्क किया तो उन्होंने बताया कि विदुषी अंक का सम्पादन महादेवी वर्मा ने किया था। बहरहाल आज कँवल भारती का जन्मदिन है। उन्हें जन्मदिन की बधाई देते हुए आज पहली बार प...