बदायूँ में राजेन्द्र यादव : कुछ यादें और बातें
राजेन्द्र यादव का निधन हमारे सामने एक ऐसी रिक्ति छोड़ गया है जिसकी भरपाई मुश्किल है। जिस भी क्षेत्र में राजेन्द्र जी ने अपने हाथ आजमाए वे श्रेष्ठ रहे। कहानी, उपन्यास, संस्मरण की दुनिया हो या फिर हंस का सम्पादन। एक बड़ी तादाद ऐसे लोगों की रही है जो हंस को केवल राजेन्द्र जी कि सम्पादकीय पढ़ने के लिए खरीदते थे। राजेन्द्र जी को पहली बार परिवार कि तरफ से हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हैम प्रस्तुत कर रहे हैं वरिष्ठ आलोचक अमीर चन्द्र वैश्य का एक ताजातरीन संस्मरण। तो आईये पढते हैं यह संस्मरण। बदायूँ में राजेन्द्र यादव : कुछ यादें और बातें अमीर चन्द्र वैश्य कल मैं घर से बाहर था। संध्या काल लगभग ३. ३० बजे घर आया। बेटी गायत्री प्रियदर्शिनी ने मुझे यह दुखद खबर दिया कि राजेन्द्र यादव का निधन हो गया है। झटका लगा, धीरे से। कैसा दुर्योग या संयोग था कि ठीक एक दिन पहले सोमवार २८ अक्टूबर २०१३ को अनहद के सम्पादक संतोष चतुर्वेदी से राजेन्द्र यादव के बारे में फोन पर एक लम्बी बातचीत हुई थी। और २९ अक्टूबर को राजेन्द्र जी के मृत्यु की दुखद खबर मिली। कल फिर संतोष जी से...