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दूधनाथ सिंह की कहानी 'नपनी'

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  भारत में लड़की की शादी करना असम्भव को सम्भव कर दिखाने जैसा है। सबसे पहले जो प्रक्रिया होती है वही त्रासद होती है। लड़की के परिवार वालों के लिए तो यह त्रासद होती ही है, यह लड़की की कड़ी अग्नि परीक्षा होती है। एक लड़की को ऐसी तमाम अग्नि परीक्षा से हो कर गुजरना पड़ता है। लड़का पक्ष चाहें जितना विपन्न या कुरूप हो, लड़की के बारे में वह तमाम ऊल जलूल अपेक्षाएं साधिकार करता है। लड़की का रंग ऐसा हो, लड़की की आंखें ऐसी हों। लड़की की ऊंचाई इतनी हो। लड़की सुसंस्कृत हो। लड़की शर्माती हो। आदि आदि... ...। इस समय ऐसे ऐसे पैमाने सामने आ जाते हैं जिसको सुन कर केवल अफसोस ही व्यक्त किया जा सकता है। ये सारे पैमाने, सारी अपेक्षाएं केवल लड़कियों के लिए ही होते हैं, लड़कों के लिए कहीं कोई पैमाना नहीं। 'नपनी' कहानी के माध्यम से कहानीकार दूधनाथ सिंह ने जो व्यंग्य रचा है वह अद्भुत है। आज दूधनाथ जी का जन्मदिन है। जन्मदिन पर पहली बार की तरफ से हम दूधनाथ जी की स्मृति को सादर नमन करते हैं। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं  दूधनाथ सिंह की कहानी 'नपनी'। नपनी दूधनाथ सिंह           कार स्टार्ट होते ही प

प्रचण्ड प्रवीर की कहानी 'आयरन मैन'

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  साहित्य वही दीर्घजीवी होता है जिसमें अपने समय के मूल्य दर्ज होते हैं। इन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के मूल्य समाहित होते हैं। प्रचण्ड प्रवीर अपनी कहानियों में समय के मूल्यों को साफगोई से दर्ज करते हैं। इसीलिए ये कहानियां पाठकों के दिल दिमाग में कहीं न कहीं रह जाती हैं। 'कल की बात' शृंखला के तहत प्रवीर अपनी ये महत्त्वपूर्ण कहानियां दर्ज कर रहे हैं। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं  प्रचण्ड प्रवीर की कहानी 'आयरन मैन'। कल की बात – 261 'आयरन मैन' प्रचण्ड प्रवीर कल की बात है। जैसे ही मैँने कमरे से बाहर कदम रखा, मेरा फोन बजने लगा। फोन उठाते ही उधर से आवाज़ आयी, “सर, मैँ राकेश कुमार ‘अलबेला’ बोल रहा हूँ। आपका संदेश मिला है। आपको जो आँखोँ मेँ तकलीफ हो रही है, उसके लिए हम पता कर के बताते हैँ। देखिए, दुर्गा पूजा मेँ नवमी का दिन है। डॉक्टर का मिलना मुश्किल है, पर आप इस शहर मेँ हमारे मेहमान हैँ। प्रबन्ध कर के बता रहे हैँ।" मैँने कहा, “यहाँ होटल वाले ने कहा कि विजय कुमार ‘विजेता’ नाम के डॉक्टर का क्लीनिक खुला है। वहाँ इलाज़ सम्भव है। मैँ वहीँ जा रहा हूँ।"

यादवेन्द्र का आलेख 'स्मृतियों की नदी'

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  यायावरी मनुष्य की मूल प्रवृत्ति है। इस यायावरी के माध्यम से मनुष्य ने बहुत कुछ जाना और सीखा है। यादवेन्द्र जी मूलतः एक रचनाकार हैं और उनका मन भी यायावरी में लगा रहता है। हाल ही में राकेश तिवारी का एक यात्रा वृत्तान्त लिखा है - "सफर एक डोंगी में डगमग"। इस यात्रा वृत्तान्त को पढ़ते हुए यादवेन्द्र जी ने स्मृतियों के समंदर में गोता लगाते हुए एक आलेख लिखा है - 'स्मृतियों की नदी”। तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं यादवेन्द्र का आलेख 'स्मृतियों की नदी'। 'स्मृतियों की नदी'                      यादवेन्द्र  नदियों के साथ मेरा मिलते जुलते रहने का रिश्ता रहा है और उत्तर पश्चिमी और पूर्वी भारत की बीस बाईस नदियों को छूने और निहारने का मौका मिला है। इनके अतिरिक्त पिछले दिनों देश की तीन बड़ी नदियों के साथ कुछ घंटे बिताने का सौभाग्य मिला - इंद्रावती (छत्तीसगढ़), शरावती और कावेरी (कर्नाटक)। इस सिलसिले में हाल में पढ़े राकेश तिवारी का यात्रा वृत्तांत "सफ़र एक डोंगी में डगमग" मुझे बेहद पसंद आया जो बड़े खिलंदड़ अंदाज़ में दिल्ली से कोलकाता तक की डोंगी कथा कहती है। दिल

सात्विक श्रीवास्तव की कविताएँ

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  सात्विक श्रीवास्तव दुनिया के हर पिता की यह हसरत होती है कि उसकी सन्तान बेहतर जीवन जिए। वह इसके लिए हर सम्भव प्रयास भी करता है। लेकिन उसकी चाहतों के आड़े आता है अभाव। ऐसे में पिता का दुखी होना स्वाभाविक है। सात्विक श्रीवास्तव पिता को इस तकलीफ को अपनी कविता में रेखांकित करते हैं। कोई दो राय नहीं कि सात्विक के पास एक सजग कवि दृष्टि है। लेकिन भाषा के स्तर पर उन्हें अभी और काम करने की आवश्यकता है।   'वाचन पुनर्वाचन' शृंखला की यह नवीं कड़ी है जिसके अन्तर्गत सात्विक श्रीवास्तव की कविताएं प्रस्तुत की जा रही हैं। इस शृंखला में अब तक हम प्रज्वल चतुर्वेदी,  पूजा कुमारी, सबिता एकांशी, केतन यादव, प्रियंका यादव, पूर्णिमा साहू, आशुतोष प्रसिद्ध, और हर्षिता त्रिपाठी  की कविताएं पढ़ चुके हैं। ' वाचन पुनर्वाचन' शृंखला के संयोजक हैं प्रदीप्त प्रीत। कवि बसन्त त्रिपाठी की इस शृंखला को प्रस्तुत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। कवि नासिर अहमद सिकन्दर ने इन कवियों को रेखांकित करने का गुरुत्तर दायित्व संभाल रखा है। तो आइए इस कड़ी में पहली बार पर हम पढ़ते हैं  सात्विक श्रीवास्तव  की कविताओं पर