यादवेन्द्र का आलेख 'स्मृतियों की नदी'
यायावरी मनुष्य की मूल प्रवृत्ति है। इस यायावरी के माध्यम से मनुष्य ने बहुत कुछ जाना और सीखा है। यादवेन्द्र जी मूलतः एक रचनाकार हैं और उनका मन भी यायावरी में लगा रहता है। हाल ही में राकेश तिवारी का एक यात्रा वृत्तान्त लिखा है - "सफर एक डोंगी में डगमग"। इस यात्रा वृत्तान्त को पढ़ते हुए यादवेन्द्र जी ने स्मृतियों के समंदर में गोता लगाते हुए एक आलेख लिखा है - 'स्मृतियों की नदी”। तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं यादवेन्द्र का आलेख 'स्मृतियों की नदी'। 'स्मृतियों की नदी' यादवेन्द्र नदियों के साथ मेरा मिलते जुलते रहने का रिश्ता रहा है और उत्तर पश्चिमी और पूर्वी भारत की बीस बाईस नदियों को छूने और निहारने का मौका मिला है। इनके अतिरिक्त पिछले दिनों देश की तीन बड़ी नदियों के साथ कुछ घंटे बिताने का सौभाग्य मिला - इंद्रावती (छत्तीसगढ़), शरावती और कावेरी (कर्नाटक)। इस सिलसिले में हाल में पढ़े राकेश तिवारी का यात्रा वृत्तांत "सफ़र एक डोंगी में डगमग" मुझे बेहद पसंद आया जो बड़े खिलंदड़ अंदाज़ में दिल्ली से कोलकाता तक की डोंगी कथा कहती है। दिल