भगवत रावत की कविताएं

भगवत रावत जब जिंदगी को थोड़ा ठहर कर हम देखते हैं तो पाते हैं कि आज की यह दुनिया काफी बदल गई हैं। खुद हमारा देश और समाज काफी बदल गया है। जीने के तौर तरीके ही नहीं हमारी सोच भी बदल गई है। हम अपने आरामदेह आज खातिर अपनी धरती के भविष्य से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे। थोड़े से विवाद की स्थिति में मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं। उदात्त होने का दिखावा और पाखण्ड भी हम बखूबी कर लेते हैं। अखबार रोज ही हिंसा, धोखाधड़ी और बलात्कार जैसी निर्मम खबरों से भरे रहते हैं। ऐसे में भगवत रावत की कविता 'करुणा' याद आती है। भगवत रावत हिन्दी कविता के जरूरी कवि हैं। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं भगवत रावत की कुछ कविताएं। भगवत रावत की कविताएं जो रचता है वह मारा नहीं जा सकता मारने से कोई मर नहीं सकता मिटाने से कोई मिट नहीं सकता गिराने से कोई गिर नहीं सकता इतनी सी बात मानने के लिए इतिहास तक भी जाने की ज़रूरत नहीं अपने आसपास घूम फिर कर ही देख लीजिए क्या कभी आप किसी के मारने से मरे किसी के मिटाने से मिटे या गिराने से गिरे इसका उल्टा भी करके देख लीजिए क्या आपके मारने से कोई... ... ख़ैर छोड़िए हाँ, हत...