देबोराह टौसन किलडे की कविताएं
देबोराह टौसन किलडे |
संगीत अमूर्त को मूर्त करने की सुरमई कला है। मन की भावनाएं और संवेदनाएं और संवेदनाएं संगीत में मुखरित होती हैं। चर्चित अमेरिकी कवयित्री देबोराह टौसन किलडे अपनी कविता सचमुच बीट हूं मैं में लिखती हैं 'नव जीवन! एक जैज़ी जुटान!/ थिरकता हुआ जैसे संगीत की/ धुन पर! म्यूज़िक बीट पर!' टौसन किलडे की कविताओं का हिन्दी अनुवाद किया है पंखुरी सिन्हा ने। तो आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं अमेरिकी कवयित्री देबोराह टौसन किलडे की कविताएं।
देबोराह टौसन किलडे की कविताएं
सचमुच 'बीट' हूँ मैं
थक गई हूँ मैं
स्वीकारना होगा मुझे
थक कर पराजित सी हो
गई हूँ मैं!
परास्त हूँ अनुभवों से
टुकड़े टुकड़े जैसे
ज़मीन पर, जैसे कूटने
वाले लोढी सिलौटे से
बना दिया गया है
मेरा बुरादा, लेप
पेस्तो जैसा, मसाला
बिना पाइन!
एक खाली कोन
गुम्भित, महीन जन्जालों का!
एक कुकून
पत्थर में बदल दिया गया!
कोई निकास, कोई बचाव
नहीं है, केवल आशा!
कि जो परतें उधेड़ी जा
रहीं हैं, मेरी बेचारगी से
वे मुझे उस केरुआक
लेन के भीतर न ले जाएँ
जहाँ बचता नहीं कुछ और
चिल्लाने के सिवा!
उस एक पीढ़ी पर
जो है शायद मुझसे भी
थकी, गरीब!
लेकिन बनाई गई जैसे पुनर्जीवित
संवेदनशील, पवित्र
जैसी की गई थी कोशिश!
एक नई पीढ़ी, पत्थरों से सुगठित
लेकिन मिट्टी में मिला दी गई
तोड़ कर! बनायी गयी अतिरिक्त
लचीली! हमेशा परिवर्तन के लिए
तैयार!
राख से गढी गई
ऊपर उठती हुई
लहरों में!
प्राप्त हुआ हो जिसे पानी से
नव जीवन! एक जैज़ी जुटान!
थिरकता हुआ जैसे संगीत की
धुन पर! म्यूज़िक बीट पर!
एक देवी एक रानी
जैसे देखा उसने उसे, दिखी
एक देवी, एक रानी!
सम्पूर्ण, वह थी सब कुछ
जिसकी कामना कर सकता था
कोई पुरुष!
उसके होंठ इतने मुलायम
जैसे गुलाब की पंखुड़ियां
उसके चुम्बन जैसे काँटों की
चुभन, उसकी आत्मा में!
उसकी आँखें रात सी काली
प्रेमी की नज़रों, कल्पनाओं
को सच कर देने वाली!
उसकी उंगलियों की छुवन
थी प्रेमी की देह में बिजली के
फूल खिलाने, नचाने वाली!
वह ला सकती थी उसके दिलो
दिमाग को आनन्द की उड़ान में!
वह तृप्त कर सकती थी
प्रेमी की हर ख्वाहिश!
रख कर ख्याल उसकी
हर ज़रूरत का!
लेकिन एक बात पर ध्यान नहीं
दिया किसी ने! किसी पुरुष ने
नहीं निकाला उसका ध्यान रखने
का समय! महत्वपूर्ण नहीं थी
उसकी ज़रूरतें!
उसने दिया अपने प्रेमी को सर्वस्व अपना!
किन्तु वह लौटा नहीं सका
वैसा ही प्यार!
केवल सुख पाता शरीर से उसके!
और एक दिन जा चुकी थी वह!
किसी खूबसूरत बत्तख के पंखों सी
तेज़! कभी न आने के लिए वापस!
ध्यान रखो अपनी देवी सी स्त्री का
या खो दो उसे हमेशा के लिए
(इस पोस्ट में प्रयुक्त पेंटिंग विजेन्द्र जी की है।)
सम्पर्क
मोबाइल : 9508936173
वाह!!!
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