कमलेश्वर की मशहूर कहानी कस्बे का आदमी'
इधर हमने पहली बार पर हिन्दी साहित्य की कुछ कालजयी रचनाओं को प्रस्तुत करना आरम्भ किया है। इस कड़ी में पिछले कुछ महीनों में हमने कुछ प्रस्तुतिकरण किए हैं। आज हम पहली बार पर प्रस्तुत कर रहे हैं कमलेश्वर की मशहूर कहानी 'कस्बे का आदमी'। नई कहानी आन्दोलन के प्रमुख स्तम्भ कमलेश्वर की कहानियां पढ़ते हुए अपने आस पास का परिदृश्य दिखाई पड़ता है। यह कहानी उस मानवीय संवेदना को उभारती है जिसमें पालतू पक्षियों और जीव जंतुओं को भी परिवार का हिस्सा माना जाता था। इस कहानी में छोटे महाराज का जुड़ाव अपने तोते के साथ है। वे अपने अन्तिम समय में तोते से ईश्वर का नाम सुनना चाहते हैं। यह एक सामान्य हिन्दू विश्वास है जिसमें कोई भी हिन्दू अपने अन्तिम समय में अपने परिजनों के मार्फत यह अपेक्षा करता है। हालांकि वे तोते को अपने निकटस्थ शिवराज को सौंप चुके थे लेकिन वहां असुरक्षित जान कर रुग्ण अवस्था में भी अपने घर वापस लाते हैं। ऐसा स्नेह और ममत्व दुर्लभ है। तो आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं कमलेश्वर की चर्चित कहानी 'कस्बे का आदमी'। 'कस्बे का आदमी' कमलेश्वर सुबह पाँच बजे गाड़ी मिली। उसने एक क...