मारिलिन बेर्तोन्चिनी की कविताएं
मारिलिन बेर्तोन्चिनी |
प्रकृति से कवि का चोली दामन का सम्बंध हुआ करता है। इस क्रम में मौसम की कविता में आवाजाही आमतौर पर दिखायी पडती है। फ्रांसीसी कवयित्री मारिलिन बेर्तोन्चिनी ने अपनी कविताओं में मौसम को बड़ी खूबसूरती से बयां किया है। इस कवयित्री की दो कविताओं ‘सितम्बर’ और‘दिसम्बर’ का उम्दा हिन्दी अनुवाद कवयित्री पंखुरी सिन्हा ने किया है। कल मारिलिन बेर्तोन्चिनी का जन्मदिन था। उन्हें विलम्बित बधाई देते हुए पहली बार पर आज प्रस्तुत है मारिलिन बेर्तोन्चिनी की कविताएँ।
फ्रांसिसी कवयित्री मारिलिन बेर्तोन्चिनी की कविताएं
हिन्दी अनुवाद - पंखुरी सिन्हा
सितम्बर
कितनी नाकाफ़ी साबित होती है
यह छोटी सी छत, बिल्कुल पूरी नहीं
पड़ती, गायब होती हुई
खूबसूरत, आरामदेह
शाखों के पीछे
छिपी हुई अधिकाधिक रौशनी में
जो कहती है आप से
मिचमिचाने को अपनी आँखे
समुद्र के आईने के आगे
जहाँ गायब हो जाता है सब कुछ
हज़ार प्रतिबिंबों में!
व्यर्थ कोशिश करती हूँ
पकड़ने की उसे
छूटता, बचता है वह
मौसम के जहाज़ सा
क्या पहुँच पाएगा वह
अन्ततः खुले समुद्र तक?
दिसंबर
पुरानी सेकेंड हैंड चीजों के बाज़ार में
पुरातन, प्राचीनतम चीज़ो के व्यापारी
की दुकान से
जस्ते का एक छोटा सा जहाज
हिलाता है अभिवादन में हाथ
मुझे देख कर!
इतना छोटा
लोहे के अपने खंभे पर टिका
समुद्र और हवा के साथ
एक दयनीय दूरी में जीता
क्या ये संभव है
क्या ये संभव है कि हवा के
तेज़ झोंके ने अलग कर दिया
उसके बसेरे से उसे
और ला फेंका यहाँ
दूसरी पुरानी चीजों के साथ
क्या मैं ही हूँ वह
जिसकी प्रतीक्षा है?
(इस पोस्ट में प्रयुक्त पेंटिंग स्व कवि विजेंद्र जी की है.)
सम्पर्क –
ई मेल : nilirag18@gmail.com
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 14 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
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