वर्ष 2017 का श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान श्री रामदेव धुरंधर को


श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान की गणना कुछ ही वर्षों में हिन्दी के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान के रूप में की जाने लगी है। वर्ष 2017 का श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान श्री रामदेव धुरंधर को छः खंडों में प्रकाशित उनके चर्चित उपन्यास ‘पथरीला सोना’ के लिए प्रदान किया गया रामदेव जी को यह सम्मान दिनांक 31 जनवरी 2018 को नई दिल्ली के एनसीयूआई ऑडिटोरियम में आयोजित एक समारोह में सुविख्यात साहित्यकार श्री गिरिराज किशोर ने प्रदान किया। प्रस्तुत है इस कार्यक्रम की एक रपट 
  


वर्ष 2017 का श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान श्री रामदेव धुरंधर को



नई दिल्लीः 31 जनवरी 2018; उर्वरक क्षेत्र की प्रमुख संस्था इफको द्वारा वर्ष 2017 का ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान’ मॉरीशस के वरिष्ठ कथाकार श्री रामदेव धुरंधर को प्रदान किया गया। उन्हें यह सम्मान दिनांक 31 जनवरी 2018 को नई दिल्ली के एनसीयूआई ऑडिटोरियम में आयोजित एक समारोह में सुविख्यात साहित्यकार श्री गिरिराज किशोर ने प्रदान किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर मॉरीशस उच्चायोग के प्रथम सचिव श्री वी. चिट्टू मौजूद थे।


श्री धुरंधर का चर्चित उपन्यास ‘पथरीला सोना’ छः खंडों में प्रकाशित है। अपने इस महाकाव्यात्मक उपन्यास में उन्होंने किसानों, मजदूरों के रूप में भारत से मॉरीशस आए अपने पूर्वजों की संघर्षमय जीवन-यात्रा का कारुणिक चित्रण किया है। उन्होंने ‘छोटी मछली बड़ी मछली’, ‘चेहरों का आदमी’, ‘बनते बिगड़ते रिश्ते’, ‘पूछो इस माटी से’ जैसे अन्य उपन्यास भी लिखे हैं। ‘विष-मंथन’ तथा ‘जन्म की एक भूल’ उनके दो कहानी संग्रह हैं। इसके अतिरिक्त उनके अनेक व्यंग्य संग्रह और लघु कथा संग्रह भी प्रकाशित हैं।



साहित्यकार एवं सांसद श्री देवी प्रसाद त्रिपाठी की अध्यक्षता में गठित निर्णायक मंडल ने श्री रामदेव धुरंधर का चयन बंधुआ किसान मजदूरों के जीवन संघर्ष पर केन्द्रित उनके व्यापक साहित्यिक अवदान को ध्यान में रख कर किया है। निर्णायक मंडल के अन्य सदस्य प्रो. नित्यानन्द तिवारी, श्री मुरली मनोहर प्रसाद सिंह श्रीमती चंद्रकान्ता एवं डॉ. दिनेश कुमार शुक्ल थे।


प्रतिवर्ष दिया जाने वाला यह प्रतिष्ठित पुरस्कार किसी ऐसे रचनाकार को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में ग्रामीण और कृषि जीवन से जुड़ी समस्याओं, आकांक्षाओं और संघर्षों को मुखरित किया गया हो। मूर्धन्य कथा-शिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्मान अब तक श्री विद्यासागर नौटियाल, श्री शेखर जोशी, श्री संजीव, श्री मिथिलेश्वर, श्री अष्टभुजा शुक्ल एवं श्री कमला कान्त त्रिपाठी को प्रदान किया गया है। सम्मानित साहित्यकार को एक प्रतीक-चिह्न, प्रशस्ति-पत्र तथा ग्यारह लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है।

रामदेव धुरंधर
 अपने स्वागत भाषण में इफको के प्रबंध निदेशक डॉ॰ उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि आज कृषि और किसानों के जीवन पर लिखने वाले कम ही लेखक हैं। ऐसे में मॉरीशस की धरती पर मजदूर किसानों के आर्त्तस्वर को अपनी लेखनी से मुखरित करने वाले श्री रामदेव धुरंधर धन्यवाद के पात्र हैं। उनका विपुल साहित्य पूरी तरह किसानों के जीवन पर केन्द्रित है, विशेष रूप से छः खण्डों में प्रकाशित उनका उपन्यास ‘पथरीला सोना’ अपने आप एक महाख्यान है।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री गिरिराज किशोर ने मॉरीशस के लेखक को सम्मानित करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि श्री रामदेव धुरंधर का लेखन अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। किसानों की व्यथा को मुखरित करने का काम जो धुरंधर जी ने किया है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि धुरंधर जी की कृतियों में प्रेमचंद की छाप है। आपका शब्दों का चयन और मुहावरानवीसी विलक्षण है। अन्य प्रवासी भारतीय लेखकों में यह प्रवृत्ति नहीं दिखती।


सम्मान चयन समिति के अध्यक्ष एवं सांसद श्री देवी प्रसाद त्रिपाठी ने श्री रामदेव धुरंधर जी को बधाई  देते हुए कहा कि धुरंधर जी का पूरा साहित्य किसानों और मजदूरों के जीवन को समर्पित है। विशिष्ट अतिथि श्री वी. चिट्टू ने अपने वक्तव्य में कहा कि इफको ने श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान के लिए मॉरीशस की धरती को चुनाए इसके लिए इफको प्रबंधन और सम्मान चयन समिति धन्यवाद की पात्र है। श्री रामदेव धुरंधर मॉरीशस की साहित्यिक धरोहर हैं। इस सम्मान के लिए उन्होंने श्री रामदेव धुरंधर को बधाई दी।

इस अवसर पर श्री लोकेश जैन के निर्देशन में श्रीलाल शुक्ल जी के उपन्यास ‘अज्ञातवास’ पर आधारित नाटक का मंचन भी किया गया। नाटक में कलाकारों ने अपने बेहतरीन अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया।

इंग्लैंड से आये हुए अपने दौहित्र प्रीतेश के साथ श्रीमती एवं श्री रामदेव धुरंधर।
कार्यक्रम के अगले सत्र में ‘मुखामुखम’ के तहत वरिष्ठ प्रोड्यूसर श्री इरफान ने अपने चिरपरिचित अंदाज में पुरस्कृत लेखक श्री रामदेव धुरंधर का साक्षात्कार लिया। इसके दौरान लेखक ने अपने व्यक्तित्व और कर्तृत्व से जुड़े अनेक अनछुए पहलुओं से दर्शकों को रूबरू कराया। श्री धुरंधर ने 1973 में छपी अपनी पहली कहानी से ले कर आज तक के अपने साहित्यिक सफर का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि मॉरीशस में भारतीयों के इतिहास के बारे में लिखने की दृढ़ इच्छा उनके अन्दर हमेशा से थी। लगभग 25 वर्षों की अन्तःसाधना के फलस्वरूप ‘पथरीला सोना’ जैसा विशाल महाख्यान सामने आया।

अंतिम सत्र में आयोजित कवि सम्मेलन में श्री कुलदीप सलिल, श्री नरेश सक्सेना, श्री रामकुमार कृषक, श्री अष्टभुजा शुक्ल, डॉ. अनामिका एवं श्रीमती अलका सिन्हा ने अपनी-अपनी कविताओं से श्रोताओं का मन मोह लिया।


इस अवसर पर साहित्य और कलाप्रेमियों के लिए एनसीयूआई ऑडिटोरियम परिसर में ‘कला-साहित्य प्रदर्शनी’ का भी आयोजन किया गया। नवोदित कलाकारों की चित्रकला को प्रदर्शनी में स्थान दिया गया।  प्रदर्शनी में दिल्ली के कई पुस्तक प्रकाशकों ने भी अपने स्टॉल लगाए। इस मौके पर श्रीलाल शुक्ल  की रचनाओं के साथ-साथ सम्मानित साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर की रचनाओं को भी प्रदर्शित किया गया।


समारोह में दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षक, छात्र सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी शरीक हुए।

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