विकास डोगरा की कविताएं

 

विकास डोगरा


कवि की कल्पना उसे औरों से अलहदा बनाती है। रोशनी के जन्म के बारे में तो हम सब जानते हैं लेकिन अंधेरे का जन्म कैसे होता है? यह सवाल जब किसी कवि के मन मस्तिष्क में कौंधता है, तो यह अपने आप में स्पष्ट कर देता है कि कवि और उसकी सोच औरों से बिलकुल अलग है। सवाल करना सबसे महत्त्वपूर्ण होता है। सवाल कैसा है और किस प्रवृत्ति का है यह कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण होता है। विकास डोगरा के पास सवाल के साथ साथ कवि का धैर्य और संयम है। वे चुपचाप कविताएं लिखते रहे हैं। छपने की कोई हड़बड़ी उनके पास नहीं। कवि मित्र कमलजीत की नजर विकास के कवि कर्म पर पड़ी और तब उनकी कविताएं हमें प्राप्त हुईं। विकास एक उम्दा फोटोग्राफर भी हैं। उनकी कविताओं के साथ हम उनके फोटोग्राफ्स भी यहां पर दे रहे हैं। विकास की इन कविताओं के साथ हम कमलजीत चौधरी की एक महत्त्वपूर्ण टिप्पणी भी दे रहे हैं। तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं विकास डोगरा की कविताएं।



ये कविताएँ; एक ऐसे सुन्दर छायाकार और जीव विज्ञान के प्राध्यापक की हैं, जो अच्छी कविताओं को घण्टों सुन सकते हैं। उन पर बड़ी सूक्ष्मता और स्नेह से बात कर सकते हैं। उनका स्वभाव और जीवन उन्हें आराम का अवकाश नहीं देता, मगर फ़ोटो खींचते हुए दम साधे; वे दो-एक घण्टे तक एक ही मुद्रा में रह सकते हैं। उनका यह धैर्य, मैंने उनकी कविताओं में भी देखा है। कुछ सालों से लिख रहे हैं, और वे सिवाय दो-एक दोस्त-हृदयों के; किसी पत्र-पत्रिका में प्रकाशित नहीं हुए हैं, सोशल नेटवर्किंग पर भी नहीं। उपरोक्त बातों में प्रकाश देखते हुए, कविताओं की दुनिया में विकास डोगरा का हार्दिक स्वागत किया जाना चाहिए, जिन्हें नहीं मालूम कि आज उनका लिखना 'पहली बार' पर सार्वजनिक हो गया है। जम्मू के कर्मठ अंचल छम्ब ज्योड़िया को खूब मुबारक। ज़िंदाबाद!

कमल जीत चौधरी

(हिन्दी कवि-लेखक व अनुवादक)







विकास डोगरा की कविताएं


अँधेरा      


माँ, यह अँधेरा कहाँ से आता है?

जैसे रौशनी जन्म लेती है आग से 

अँधेरे को जन्म कौन देता है? 


फूंकनी से चूल्हा सुलगाती 

हाथ से धुंआ हटाती 

माँ कहती 

दोनों एक दूसरे के जनक हैं।


मुखाग्नि दे कर 

दूर बैठा देख रहा हूँ 

एक रौशनी में नहायी माँ को 

और उस रौशनी को भी

जिसने आज एक अँधेरे को जन्म दिया!





बिंदु


तुम्हारे जीवन में

मैं एक दशमलव भी हो सकता था

ज़रा सा इधर या उधर हो कर

मायने बदल देता

दुःख और सुख के


शून्य के जोड़ तोड़ से

तुम्हें पाने का मोल बदल देता

तुम्हें पाना मुश्किल बना देता


लेकिन तुम्हारे जीवन में

मैं एक बिंदु हुआ

तुम्हारी मंज़िलों के बाद

जो हमारी मंज़िल है

वहाँ बैठा

तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ…





पतझड़


पतझड़ में चिनार उदास रहते हैं

ये विदाई का मौसम है


दुल्हन बने पत्तों के ज़र्द हाथ

साथ छोड़

हवा की डोली में बैठ जाते हैं

बहते पानी में उतर जाते हैं

दूर चले जाते हैं...


ज़र्ज़र लकड़ी के पुल पर ठहरा वक़्त

हर बरस एक कविता लिखता है

 

पतझड़ में पुल उदास रहते हैं

ये जुदाई का मौसम है।





एक चिनार


तुमने

देवदार के जंगल को छू कर

चन्दन कर दिया है

इसी महकते जंगल में

एक चिनार

तुम्हारा स्पर्श तो चाहता है

लेकिन चन्दन नहीं होना चाहता

उसे तुम्हारे माथे पर नहीं

आँखों में रहना है।




 

कैनवास


यह क्या किया तुमने?


एक कोरा कैनवास

मेरी आँखों के सामने रख दिया

जानते हुए

कि अक्सर उड़ेल देता हूँ सब।


तो लो

बेख़याली में सब ख़याल

खींच दिए हैं इस पर


एहतियातन

कुछ देर धूप में रख देना इसे

कि हिज़्र का पानी

फैल न जाए रंग-ऐ-वस्ल पर

कहीं पीली पड़ती मेरी उम्मीद

आंखें सुर्ख न कर जाए तुम्हारी

कि यह चांदनी न फैल जाए

यादों के काले बादल पर

कहीं ये सबरंग-पानी

फैला न दे तुम्हारा काजल


धूप ज़रूरी है

रंग पकने के लिए

जैसे रंग ज़रूरी है

कच्ची धूप के लिए

तुम दूर बैठ कर देखा करना

हर सिरे को

किसी नए सिरे से

इस कैनवास के ठीक बीच

एक ट्री हाउस भी है

जिसका कोई दरवाज़ा नहीं

सिर्फ एक खिड़की है

खिड़की पर दो आँखें हैं

और सामने दरिया में

खूंटे से बंधी पुरानी जर्जर नाव में

एक मछली ने अपना घर बनाया है!

 

मुझे बताना कि

हथेली पर अगर हिना फैल जाए

कैसा लगता है

कोरे कैनवास पर

माजी बिखर जाए ऐसा लगता है?






उदासी का बोझ 


तुम्हारे हाथ को छू कर

मैं तुम्हारे पाँव हो गया हूँ 


कल चल कर देखना,

उदासी का बोझ 

और लम्बा हो गया होगा 


कितना? 


यक़ीनन

मेरे कद जितना।



सम्पर्क :


Dr. Vikas Dogra

Assistant Professor,

Department of Zoology,

Govt. College for Women, Parade, Jammu, J&K. 


मेल आई. डी:  watersofchinab@gmail.com


दूरभाष: 9419128192

टिप्पणियाँ

  1. वाह! प्रिय 'पहली बार', ज़िंदाबाद! इस शानदार प्रस्तुति के लिए आभार प्रकट करता हूँ।
    : कमल जीत चौधरी

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन कविताएं।

    जवाब देंहटाएं
  3. Such wonderful poems these are! Especially, the poem “Dark”,it is a MASTERPIECE. Made me feel things.

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मार्कण्डेय की कहानी 'दूध और दवा'

प्रगतिशील लेखक संघ के पहले अधिवेशन (1936) में प्रेमचंद द्वारा दिया गया अध्यक्षीय भाषण

शैलेश मटियानी पर देवेन्द्र मेवाड़ी का संस्मरण 'पुण्य स्मरण : शैलेश मटियानी'