कुछ चर्चित विदेशी कवियों की कविताएं, हिंदी अनुवाद---पंखुरी सिन्हा

 

कुछ चर्चित विदेशी कवियों की कविताएं 


हिंदी अनुवाद---पंखुरी सिन्हा


हमारे आस-पास तमाम ऐसी वनस्पतियां हैं जो किसी न किसी रूप में हमारे जीवन से जुड़ी हुई हैं। सबका अपना-अपना उपयोग है। एक किंवदंति याद आ रही है। विख्यात वैद्य चरक ने परीक्षण के क्रम में अपने दो शिष्यों को ऐसी वनस्पति खोज लाने को कहा जिसका कोई उपयोग न हो। एक शिष्य अन्ततः खाली हाथ लौटा। उसने कहा गुरुदेव जंगल में ऐसी कोई वनस्पति नहीं मिली जिसका कोई न कोई उपयोग न हो। अन्ततः चरक ने उसी शिष्य को अपने परीक्षण में उत्तीर्ण किया। कवि की नजर अपने आस-पास उन सूक्ष्म चीजों पर भी रहती है, जो प्रायः उपेक्षित से रहते हैं। यही तो बेहतरीन कवि का हुनर है कि वह उपेक्षित को भी अपनी कविता का केंद्रीय विषय बना देता है। चर्चित आइरिश कवि डेरेक कॉयल की कविता  'सिंहपर्णी' ऐसी ही एक उम्दा कविता है। डेरेक कॉयल के साथ साथ चर्चित वेल्स कवि डोमिनिक विलियम्स, चर्चित आइरिश-स्वीडिश-स्पैनिश कवि कोलम ओ कियेरनान, चर्चित क्यूबन- स्वीडिश कवि अलीसा रिबाल्टा गुज़मैन और चर्चित वेल्स कवि स्टीफेन त्रेहान की अनुवादित कविताएं प्रस्तुत कर रहे हैं। इन कविताओं का उम्दा हिन्दी अनुवाद किया है हिन्दी की चर्चित कवयित्री पंखुरी सिन्हा ने। तो आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं कुछ चर्चित विदेशी कवियों की कविताएं।


डोमिनिक विलियम्स


मूल कविता 

डोमिनिक विलियम्स

(चर्चित वेल्स कवि)


सितम्बर 


'गर्मियों के आखिरी नृत्य के बाद का पतझड़'!

एक ठंडी और स्लेटी लहर उठ रही है

यहाँ तक कि सूरज भी उदास कर रहा है मुझे 

मैं बेतरह ढूँढ रहा हूँ 

कुछ भी नीला 

रंग नीला, इस नील रंगी 

सोमवार के लिए 

मेरे दिमाग के कोने 

भी हो गए हैं दुखी 

बादलों और गहराती 

छायाओं से!

जहाँ मेलनी, ट्रस और 

अकेसन कुरेदती हैं 

मेरी आत्मा! 


नाचते वक़्त का एक जख्म 

जिसे पहनता रहा मैं 

युद्ध में लगी किसी चोट की तरह

जैसे पीटर पैन उड़ा था 

खिड़कियों के बीच से 

और तैर आया था 

आँखो की पुतलियों से बनी

नर्म, मुलायम, नाज़ुक, बहादुर 

 फर्श पर, दिखावे भरी सुरक्षा की किसी आग में

जहाँ अब बसता है दर्द 

अर्थराईटिस के कष्ट सा 

डर थामता है मुझे

किचन का एक टेबल 

आभासी यथार्थ

और शक बढ़ाता है मेरा गुस्सा 

और असमर्थता मेरी 

खड़े होने की, जबकि अंधेरा 

अधिक आकर्षक है रौशनी से!



उकेरते हुए कोई एक बिम्ब 


पीछे हटता हूँ मैं, हटता हूँ पीछे 

हमेशा एक कदम पीछे 

बढ़ाने के लिए तीन कदम आगे 


लेता हूँ एक कदम पीछे 

लेकिन हूँ मैं जल्दी में 

जल्दबाज़ी में जीने में! 


क्या मैंने बढ़ाया कदम आगे 

या फिर थम गया वहीं 

नाज़ुक से एक असंतुलन में

सतही और बेकार सा उनके लिए 

जो अब उड़ते हैं ऊपर, उँचा और 

आज़ाद! 


मैं पकड़ने की कोशिश में हूँ 

एक क्षण और प्रकृति परिभाषित 

करती है जीवन और जीवन भी 

होता है, रोकने वाला ही, अपनी 

एकरूपता, समानता की बातों 

और मोटी स्याही की संरचना के साथ!


क्या एक चिड़िया का पंख 

ज़्यादा मज़बूत है एक काँटे से?


अपने भीतर की खोहों से 

मैं लेता हूँ एक कदम पीछे! 


सुन्न हो जाता हूँ मैं 

सामान्यता में, मुझे 

देखने की ज़रूरत है 

किसी प्रेरित अन्तर की खूबसूरती

ज़रूरत है महसूसने की 

वह चुभन, जो होती है किसी 

कृत्रिम निर्माण की अतिरंजित 

अनुशंसा से! 


पीछे कदम उठाता हूँ मैं 

भंगुर सा महसूसता! 

दिमाग का यह दर्द 

तेज़ है, भरा हुआ लाल 

और पहेली सा बुझाने वाले 

घुमावदार बैगनी से!


मुझे चाहिए साधारण सा 

एक स्लेटी पैमाना, नपा तुला सा 

ज़ूम किया हुआ

बहुत उम्दा किस्म का ज़ूम 

आज़ादी फ़िसलती है 

बँधे रुके उलझनों से 

चुनती हुई जैसे कोई 

काँटेदार फल

ऊपर लपेटो के 

और उगाती है 

कुछ अस्तित्त्व भी 

घोंटती है गला कला का 

और जाती है रुक! 


मैं हूँ भीतर और संस्कृति 

का जारी है बढ़ना मेरे 

चारो ओर, मेरे बाहर!

मैं उठा चुका हूँ वह 

कदम पीछे की ओर 

और जानता हूँ एक 

अच्छा काम किया है 

मैंने, मुझे आगे बढ़ने में 

मदद की है उसने! 


लेकिन बहुत देर हो चुकी 

मैं हूँ गुज़रा-बीता हुआ 

कुछ किसी लम्हें का 

जो बच जाता है शेष 


क्या मैं रह पाऊँगा 

किसी सुंदर स्मृति सा?

डेरेक कायल 



डेरेक कॉयल

(चर्चित आइरिश कवि)



सिंहपर्णी 


उगे तुम नारसिसि, डेफोडिल्स के बीच

उनकी दुबली पतली, चिकनी

काया, हरे स्लेटी तने 

किसी शहरी भद्र महिला के 

नाज़ुक, शेव किए टाँगों से दिखते हुए

कितने अलग 

तुम्हारे गहरे हरे, खुरदुरे 

तैलीय, टूटी किनारों वाले 

पत्तों से

जो आने वाले कुछ एक 

गर्म, खुशनुमा दिनों 

के बाद गिरने वाले हैं!


साधारण से विनीत सिंहपर्णी 

अक्सर कर दिया जाता है 

तुम्हें रफा दफा, कह कर जंगली घास

तुम कभी थे भोजन का हिस्सा! 


जड़ी बूटी सी कोई चीज़ 

जिसकी तारीफ़ करते थे 

मिस्र के राजा, चीनियों 

के लिए दवा, और यूनानी 

दार्शनिकों ने भी तलाशे 

तुममे चिकित्सा के कई गुर! 

 

एक नई दुनिया में प्रवेश किया 

तुमने, अपनी गरिमा के साथ, चुपचाप! 

तुम्हारा पीला, देवताओं को 

लुभा लेने वाला, सच, मनभावन है!


वैन गो के सूरजमुखी भी 

नहीं चमके इतना! कैन्कर वर्थ 

मिल्क विच, लायन्स टूथ, पीस इन द बेड 

पफ बौल, जंगली एन्डिव 

कितने नाम हैं तुम्हारे 

तुम पर आक्रमण करने की 

मेरी इच्छा नहीं हुई! 


मैंने अलग हटा कर रख दिया है 

अपना लैंड मोवर

कुछ दिन तुम्हारे साथ 

और बिताने हैं मुझे! 


मैं याद करूँगा, बचपन के 

वो दिन, जब तुम्हारे मुफ्त के 

सोने से जगमग हो जाती थी 

हमारी राहें! 



चाय 


ये वो दिन हैं, विरल से दिन 

जब आप बना सकते हैं 

वह जो जान पड़ती है 

चाय की सर्वश्रेष्ठ, मुकम्मल प्याली 

लेकिन बस डर इतना है कि आप 

कभी नहीं कर सकते 

पूरा यकीन! 


जबकि यही वो दिन होंगे 

या फिर वो सब जो 

शामिल होता है 


लियोन्स का एक टी बैग 

तीन से चार मिनट का इंतज़ार 

स्थानीय पानी की गुणवत्ता 


या फिर केतली का आकार 

प्रकार! 


मैंने तुम्हें छोड़ दिया था वर्षों से 

देने लगा था अपना प्यार 

उस नफ़ीस विदेशी को 

कॉफ़ी को!


फैशन में जैसे वही पेय 

अमेरिकन! 

मैं लौट रहा हूँ तुम्हारी ओर 

मेरी निष्कासित दोस्त! 


घुसपैठिये, पीने वालों की दुनिया की 

अस्वीकृत हस्ती 

मुझे दुबारा हुआ है विश्वास 


तुम्हारी खास खूबियों का 

किस तरह तुम बनी रही वफ़ादार 

मेरी बेवफ़ाई के बाद! 


अपने ही उम्दा,  सुन्दर स्वाद के बल पर!




कोलम ओ कियेरनान 



कोलम ओ कियेरनान

(चर्चित आइरिश-स्वीडिश--स्पैनिश कवि)


कब्ज़ा 


बिना किसी विश्वास 

और कमी के साथ 

आस्था की, किन्हीं 

व्यक्तिगत मूर्तियों 

आदर्शों के बगैर 

न चाहते हुए सिद्धांतों का 

पिटारा, न करते हुए 

आज्ञापालन, किन्ही 

रूढ़िवादी, अकाट्य 

तथ्यों, सत्यों का! 

या बिना किए सुरक्षा के 

कोई क्षुद्र प्रबंध 

तुम्हारा बसा होना 

मेरे भीतर 

करते हुए मेरी रक्षा 

किए कब्ज़ा मेरे दिल पर 

समूचे ब्रह्मांड से 

जैसे जोड़ते रिश्ता 

मेरे मन के स्वीकार लेते 

उसकी नयी असलियत 

तुम्हें प्यार करना हो 

जाता है आसान



प्रार्थनाएं 


सारी उत्छृखलताएं जला डालो 

प्रार्थनाओं की तरह, मृत आत्माओं के लिए! 

देखते हुए समुद्र की ओर 

ढूँढते अंतरंगता, मैं जब तुम्हारे 

सामने होने की कोशिश कर रहा होंउँ!


भूत 


और यह है वाक़ई कमाल 

यहाँ भूतों ने घेर लिया है 

मुझे, साझा करते मेरे साथ 

मेरी ज़िन्दगी की अनेक

कहानियाँ, भुला दी गई बारीकियों 

के साथ, नाचते हुए मेरे दिमाग 

और मेरे सारे वज़ूद के भीतर 

राक्षसों द्वारा भटकाये जाने की तरह 

और अब से, यह बढ़ता हुआ 

मेरे भीतर, मुझे याद दिलाता 

उनकी मौतों की, करता किन्हीं 

जन्मों से शुरुआत 

और मेरी उदासीनता से 

देखते हुए साफ़ साफ़ 

कि कौन हूँ मैं 

और बताता मुझे 

अपने पापों के बारे में 

और कि मैं कैसे करूँगी 

उन्हें दुबारा, और इस तरह 

किया मैंने, अब तक अजन्मे 

प्यार के लिए, चुपचाप करते हुए 

दूर खुद को, समझते हुए

कहानियाँ, भुला दी गई बारीकियों 

के साथ, नाचते हुए मेरे दिमाग 

और मेरे सारे वज़ूद के भीतर 

राक्षसों द्वारा भटकाये जाने की तरह 

और अब से, यह बढ़ता हुआ 

मेरे भीतर, मुझे याद दिलाता 

उनकी मौतों की, करता किन्हीं 

जन्मों से शुरुआत 

और मेरी उदासीनता से 

देखते हुए साफ़ साफ़ 

कि कौन हूँ मैं 

और बताता मुझे 

अपने पापों के बारे में 

और कि मैं कैसे करूँगी 

उन्हें दुबारा, और इस तरह 

किया मैंने, शायद सब कुछ 

एक बार और 

अब तक अजन्मे 

प्यार के लिए, चुपचाप करते हुए 

दूर खुद को, समझते हुए

कि उन्हें कैसे आना है 

गर्भ में, बैठक की बातचीत में 

अथवा टहलते हुए 

या कि बिस्तर में 

कब उनके साथ होनी थी 

वादे की कोई बात 

एक भाव के अधीर होने की 

सुरक्षा में, और दर्द बहुत क्रूर 

जहाँ एक स्वतः तलाश भरी 

टटोल, धोखा देती है प्रेम का 

क्यों वो इतने ज़रूरी थे 

साथ आसपास? हमारी केन्द्रीयता 

नियंत्रण की कमी, पूर्व निर्धारित 

और किसी के आदेश से स्थापित 

उनकी उपस्थिति मेरे भूत बंगले में 

करती है चहलकदमी! 


अलीसा रिबाल्टा गुज़मैन 



अलीसा रिबाल्टा गुज़मैन

(चर्चित क्यूबन- स्वीडिश कवि)



सफ़ेद पत्थर 


यह एक कविता है युलिसेस को 

साबित करने के लिए 

हमेशा की तरह बनाने के लिए

 उसे सबूत का पैमाना! 


वह जानता है, मैं बैठी हूँ 

समुद्र के आगे! सुनने बैठी 

हूँ समुद्र का गाना और वह 

लौटा नहीं है अभी तक! 


पिछ्ली बार जब प्यार किया 

हमने, वह इसी बिना खिड़की 

के, समुद्र किनारे के मोटल में ! 


यह एक कविता है जिसमें मैं 

बैठी हूँ, उन सफ़ेद पत्थरों पर 

जो नहीं हैं, सफ़ेद पत्थर! 


वे सारी मछलियाँ जो कभी 

आई इस तट पर, भूल गई 

समुद्र में लौटने का रास्ता 

सेडिमेंट सी जम कर 

हो गई पत्थर! 


हज़ारो मछलियों के कंकालों के 

ऊपर, इन्तज़ार का सफ़ेद बालू 

बिछ कर बना पत्थर! 


युलिसेस, मैं भी हूँ इसी 

सफ़ेद पत्थर में! 

बाँध डालने का इरादा 

इसी समुद्री टुकड़े को 

इसी समुद्र तट पर 

याद है तुम्हें? 



कमल के फूल का सच 


सो सकता है एक कमल का फूल

लेकिन खोलेगा वह अपनी पंखुड़ियां 

देर या सबेर 

पानी के भीतर से

उगाया जाएगा हर कमल का 

फूल, शान्त और गुनगुने पानी में 

मुमकिन है लहरें सुखा दें जड़ों को 

अगर बहुत दूरी तक पहुँचती हैं वे

इसका ध्यान रखना होता है 

बहुत ज़रूरी कि वो छुएं नहीं बर्फ़ को 

और न ही अंगीकृत हो जाएँ 

घिर जाएँ उसके ढ़ेर से! 


कटने के बाद फूल बेचे जाएंगे 

सबसे उँची बोली लगाने वाले को! 

जो व्यवसाय करेगा उनका 

बड़े पैमाने पर! 


कुछ भी बन सकता है कमल 

के फूल से!


उबाला जा सकता है कमल 

का दिल, उनका खट्टा स्वाद 

देता है भली प्रकार का साथ 

चाय, सूप और चावल के साथ! 

शांत और संतुलित करता सबसे 

अस्थिर पाचन तंत्र को भी! 


कमल की पंखुड़ियों के अनेकों 

हैं इस्तेमाल! 

सौंदर्य प्रसाधन की तरह 

त्वचा, बाल और दाँत के लिए! 

हर कुछ को बेहतर बनाया जा 

सकता है इस फूल के तत्वों से 

बने तेल से! इससे बनी क्रीम 

होती है चहेती, महिलाओं की 

क्योंकि यह बढ़ा सकती है उनके 

पुरुषों की मर्दानगी, उनकी काम शक्ति! 


वाहन के पहिये सी कटी 

कमल की जड़ें, दिखतीं हैं 

वैसी ही जैसे नींबू का कटा 

टुकड़ा! बिना बीज की सूखी 

होतीं हैं बेहद स्वादिष्ट तले जाने 

पर ! परोसी जाती हैं एशिया के 

कोने कोने में, संभ्रांत खाने की मेजों पर! 


कमल फूल के बीजों की 

होती है वही ज़िम्मेदारी 

इस लम्बी प्रक्रिया को दुबारा 

शुरू करने, जारी रखने की! 

अगर वे चुरा नहीं लिये गए 

फूल के दिल से, चुपचाप चोरी चोरी 

तस्करी हो जाने वाले बाकी सामानों की तरह! 

ताकि उपयोग हो सके 

उनका कुछ गुप्त और कुछ अनेकों 

किस्मों की दवाओं के निर्माण में! 

कई बार उनकी नियति होती है 

ऐसे ही किसी नाजुक मिश्रण के 

बर्तन में जिसमें होते हैं एकसाथ 

औषधीय और सौंदर्यवर्धक गुण! 

एक खास किस्म की चाय की 

प्याली में भी हो जाता है उनका 

उपयोग, जो चीनी मिथकों के अनुसार 

होती हैं मददगार महिलाओं की 

खास समस्याओं के निवारण में 

नियंत्रित करती देह के तापमान 

निकालती बाहर, अतिरिक्त, अवांछित गर्मी! 


वे सब जिन्हें और दरकार नहीं 

अपने और अपने प्रियजनों के लिए 

तैलीय सामग्री अथवा क्रीम कोई 

या जिन्हें नहीं चाहिये पेट को 

शांत करने वाली दवाईयां! 

अथवा बालों को मज़बूत करने के नुस्खे! 

बस चाहिये होता है केवल थोड़ा सा 

स्थायीत्व, उसी तरह का कि धाराओं 

का बहाव, पहुँचे न जड़ों तक 

और सुखा न डाले पहले से 

परेशान दिल, क्योंकि कमल के 

फूल से उन्होनें सीखा है खिलना 

जब कोई नहीं कर रहा हो 

इन्तज़ार! फिर भी गर्माहट के साथ 

अक्सर साल में खिलना दो बार! 




स्टीफेन त्रेहान



स्टीफेन त्रेहान

(चर्चित वेल्स कवि)



जैसे आगे बढ़ती है तुम्हारी यात्रा! 


आक्रोश के साथ बहता है 

पानी का प्रवाह 

काटता हुआ चूने के पत्थरों को 

भिड़ता टकराता, जैसे आगे बढ़ती है 

तुम्हारी यात्रा! 


नदी तुम आलिंगन करोगी क्या? 

वह मार्गदर्शन करेगी तुम्हारा 

बड़े सपनों तक 

तुम्हारी तरह के और सब 

हो जाएंगे एक

मद्धम, मुलायम 

और पानी की गुर्राहटें 

स्वागत करती हैं तुम्हारा 

तुम्हारे घर पर 

एक नए जन्म के लिए! 



मोहक तुम्हें सुनाएगा कहानियाँ 

डाइलन और उसके नौका घर की 

शायद, तुम रुक जाओ 

और सुनो!



तुम हो लेडी वेन


अब भी चल रही हो 

डैम के रास्ते पर 

लेकिन खो गई हो तुम!

बाढ़ के पानी में डूब गया है तुम्हारा घर

और डूब गई हो तुम भी! तुम्हारी देह है 

कहीं मौजूद, डैम के तल में! 

तुम्हारी भुतैली काया भटकती है 

कौतूललवश, डैम के इलाके में! 

तुम्हारे पिता अब भी जाते हैं अक्सर

अपनी पसंदीदा जगह डैम के पैदल पुल पर, 

जहाँ देखा था उन्होंने आखिरी बार तुम्हें ज़िंदा! 

तुम हो लेडी वेन और तुम्हारी देह 

है मिली हुई इस पानी में 

दौड़ती उसके प्रवाह के साथ 

और प्रवेश करती है नदी में 

डैम का एक मिथक बनने के लिए!


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