तरुण त्रिपाठी का आलेख ‘भोजपुरी में ग़ज़ल की परम्परा’.
मूल रूप से ग़ज़ल अरबी काव्य की एक विधा है जो आगे चल कर फारसी, उर्दू
और हिन्दी में भी काफी लोकप्रिय हुई. उर्दू में पहली बार ग़ज़ल ने भारतीय कथ्यों को
अपनाया और इस रूप में वह परम्परागत ग़ज़ल से अलग भावभूमि पर खादी हुई. हिंदुस्तान की
क्षेत्रीय भाषाओँ में भी ग़ज़ल लेखन के प्रयास दिखाई पड़ते हैं. भोजपुरी में भी यह
परम्परा समृद्ध दिखाई पड़ती है. युवा कवि तरुण त्रिपाठी ने भोजपुरी में ग़ज़ल की इस
परम्परा पर प्रकाश डाला है. तो आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं तरुण त्रिपाठी का आलेख
‘भोजपुरी में ग़ज़ल की परम्परा’.
भोजपुरी में ग़ज़ल की परंपरा
तरुण त्रिपाठी
'भारतेंदु मंडल'
में एक भोजपुरी शायर की जगह पक्की थी, वो थे भोजपुरी के पहले शायर (जैसा माना गया है) 'तेग
अली'.. वे बनारस के
'रॉबिनहुड' गुंडा
थे.. यानी गरीबों की रक्षा करने वाला गुंडा.. 'नारायण दास' के अनुसार.. कद था 6
फ़ुट.. आदमी तगड़े.. चेहरे पर अंगुठिया
लट.. सर पर पगड़ी और हाथ में लाठी पहचान थी उनकी.. 'राजा' अपना
तखल्लुस रखे थे..
अपने शेरों में भी गुंडई पर्याप्त रखते थे.. एक शेर देखें-
(रामधै= राम कसम)
पेट पे छूरी धइलीं त बोलल कि रामधै
जीयत रहब तS फेर ना कबो आज कल करब
..ये शिकायत भी देखें-
केहू से बाटS
राजा तू सटल सुनत बाटीं
ई काम करत नाहीं नीक हम कहत बाटीं
ई काम करत नाहीं नीक हम कहत बाटीं
(छकत= परेशान होना)
ना घर तू आवेलS हमरे ना त बोलावे लS
ए राजा रामधै तोहसे बहुत छकत बाटीं
ना घर तू आवेलS हमरे ना त बोलावे लS
ए राजा रामधै तोहसे बहुत छकत बाटीं
.. और ये रूप-बखान भी देखें-
नागिन मतिन तS गाल
पे जुल्फी कS बार बाय
भौं और बरौनी रामधै बिच्छी कS आर बाय
भौं और बरौनी रामधै बिच्छी कS आर बाय
...1895 में 'गुंडा' शायर 'तेग अली'
के 'बदमाश
दर्पण' से शुरू हुई भोजपुरी गजल-संग्रह की परंपरा में एक बड़ा मील का
पत्थर तब आता है.. जब 2007 में भोजपुरी ग़ज़ल का पहला 'दीवान' छपता है.. 'जौहर' जी का- "रंगमहल".
जगद्गुरु सूफ़ी संत, भोजपुरी पुरुष, भोजपुरी रत्न, सूफ़ी रत्न, भोजपुरी के कबीर, आदि तमाम अंतर्राष्ट्रीय उपाधियों से नवाज़े गए 'जौहर' द्वारा कृत भोजपुरी गजल संग्रह, ललित निबंध संग्रह, भोजुपरी गजल पर समीक्षा, काव्य शास्त्र विधान, आदि पर देश-विदेश में एक दर्जन से अधिक किताबों के अलावा, 'कलामे-इलाही' नाम से 'कुरान' का भोजपुरी रूपान्तर भी आ चुका है.
जौहर शफियाबादी |
...ये हैं बिहार के गोपालगंज जिले के 'जौहर
शफियाबादी'.. एम.ए., पी-एच. डी.
किये हैं उर्दू से.. छपरा (सारण) में
प्राध्यापक हैं उर्दू विभाग के.. और
गज़लें लिखते हैं भोजपुरी में.
आज प्रस्तुत है उनके 'रंगमहल' के ख़ूब सारे चुनिंदा शेर..
इनमें एक भी शेर छोड़ने लायक है ही नहीं.. कौन सा शेर कब कहाँ से खींचे.. कहाँ पे पकड़े.. कहाँ पे मारे.. कोई पूर्वानुमान नहीं संभव है. बस ये है कि –
"दुख दर्द के ई बखरा 'जौहर' का मिलल बाटे
समुझेला दरद अनकर आपन ई सुनावेला"
...
बहुत कुछ देख के सुन के, समुझ
के, हम गड़ल बानी
भले रास्ता में बानी, मील के पत्थर बनल बानी
भले रास्ता में बानी, मील के पत्थर बनल बानी
मंदिर, मस्जिद, चर्च, शिवाला
सब के एके तार बा 'जौहर'
सब के एके तार बा 'जौहर'
प्रेम धरम हS, प्रेम
करम हS
बाकी सब बेकार बा 'जौहर'
बाकी सब बेकार बा 'जौहर'
-कटाई जीभ एकरो,
साँच बोलत बा इहो अब त
पता लीं गाँव के एकरा, बताईं घर कहाँ बाटे।
पता लीं गाँव के एकरा, बताईं घर कहाँ बाटे।
-दुख के अंधियारी कोठरी में
आशा के उजियार ग़ज़ल ह।
आशा के उजियार ग़ज़ल ह।
-बहर, काफ़िया के खेतौनी ई ना ह
कठिन साधना के कहानी ग़ज़ल ह।
कठिन साधना के कहानी ग़ज़ल ह।
-नाम पर मस्जिद आ मंदिर के मंगरुआ तर गइल
अबकी पारी टोह में बा, फिर नया हथियार के।
अबकी पारी टोह में बा, फिर नया हथियार के।
-आदमी का चबाई रोटी के
आदमियत चबा गइल रोटी।
आदमियत चबा गइल रोटी।
-कैंसर के वार्ड में जे पड़ल बा सुघर जवान
सुनलीं हं, ओकरे नाम ह एकीसवीं सदी।
सुनलीं हं, ओकरे नाम ह एकीसवीं सदी।
-'जौहर' जी बस प्रेम धरम
अउर करम सब क, ख, ग
अउर करम सब क, ख, ग
-धर्म के पागल चिंगारी,
केतना घर के फूंक गइल
गीत के बदरी ना बरसी त, सारा जग जल जाई रे।
गीत के बदरी ना बरसी त, सारा जग जल जाई रे।
-पत्थर के मोल कवनो ना लेबुल घटा सकल
काबा में याद आवेला काशी कबो कबो।
काबा में याद आवेला काशी कबो कबो।
-शब्द अक्षर में कबो,
ऊ दर्द ना उतरी हुज़ूर
प्रेम में जे दर्द बा, ऊ आजमा के देख लीं।
प्रेम में जे दर्द बा, ऊ आजमा के देख लीं।
-हिमालय के टपे के लगन जेकरा के बढ़ावेला
ऊ चिंता गोड़ पीरइला के पीछे छोड़ देवेला
ऊ चिंता गोड़ पीरइला के पीछे छोड़ देवेला
कबो ऊ यात्रा के यातना से ना डरे राही
जे चलते-चलते फोड़ा गोड़ के सब फोड़ देवेला
जे चलते-चलते फोड़ा गोड़ के सब फोड़ देवेला
-सँउसे जिनगी किताब बा 'जौहर'
रउओ आईं ना, खोल के देखीं
रउओ आईं ना, खोल के देखीं
-'जौहर' जवान लोग जगाई जवार के
उतरल बा चान आज ग़ज़ल के किताब में
उतरल बा चान आज ग़ज़ल के किताब में
-कला के दुल्हनिया उमिर भर दुआ दी
सोहागिन के सरधा से, जो मांग भर दीं
सोहागिन के सरधा से, जो मांग भर दीं
-अपना अंतिम,
सीमा पर
सुख के राह, निकाले दुख
सुख के राह, निकाले दुख
-लोग कहे सब प्रेम में पागल, प्रेम
में सूतल प्रेम में जागल
आगे पीछे देखे जाए, शरमाये कुछ घबड़ाये कुछ
आगे पीछे देखे जाए, शरमाये कुछ घबड़ाये कुछ
-नेहिया के हमरा उनका,
अनोखा खबर बा आज
चर्चा बा चारू ओर ई, ताजा खबर बा आज
चर्चा बा चारू ओर ई, ताजा खबर बा आज
छोड़ीं, हटाईं, तूड़ीं, डरेणीं
दुराव के
उचरल बा काग अंगना में, अच्छा खबर बा आज।
उचरल बा काग अंगना में, अच्छा खबर बा आज।
-मन के वीरान आकाश में
कवनो नेहिया के, तारा रहित
कवनो नेहिया के, तारा रहित
-अब का उमिर जे पूस के,
दिन फूस के भइल
पूछत बा लोग हमरा से, अब आशकी के बात
पूछत बा लोग हमरा से, अब आशकी के बात
-आपन भविष्य,
भूत ना जाने ना तप-कला
अनकर बता रहल बा ऊ, रेखा नचा के हाथ
अनकर बता रहल बा ऊ, रेखा नचा के हाथ
-जे ना भावे इहाँ के लोगन के
काम अच्छा ज़रूर बा आपन।
काम अच्छा ज़रूर बा आपन।
-ध्यान के 'जौहर' शीशमहल में,
पसरल राग बिहाग सजी (सब)
टूट के बरसल तब आँखिन से, सावन आधी रात के बाद
टूट के बरसल तब आँखिन से, सावन आधी रात के बाद
दर्द के बदरा उमड़ल-घुमड़ल, गरजल
हमरा आँखिन में
सपना से जब अकुताइल मन, साजन आधी रात के बाद
सपना से जब अकुताइल मन, साजन आधी रात के बाद
-धर्म के नाम पर तूड़S
पल्लव
बाकी मोजर सिंगार आवे दS
बाकी मोजर सिंगार आवे दS
-याद आई तोहरा सब रूप
नगरी देखबS जब वीरान
नगरी देखबS जब वीरान
-नाच जिनगी के सारा नचावत रहल
एक मुट्ठी समय के गलतिया के छाप
एक मुट्ठी समय के गलतिया के छाप
-जोग जिनगी के जान लS
'जौहर'
प्रीत के, यार, पार ना पइबS
प्रीत के, यार, पार ना पइबS
रूप पर, रंग
पर, गिरल छोड़S
टीस उभरी, बिसार ना पइबS
टीस उभरी, बिसार ना पइबS
-अंगना जेकर जइसन बा
ओइसन ओ कर उतरल घाम
ओइसन ओ कर उतरल घाम
-दिल छछनत बाटे प्यासा
नदिया घहरे चानी (चाँद) पर
नदिया घहरे चानी (चाँद) पर
-होला कबो बहार त पतझर जमीन पर
देखेला खेल रोज ई अँखिगर जमीन पर
देखेला खेल रोज ई अँखिगर जमीन पर
मोजर सिंगार देख के अइकत बा आम पर
रोपले बा जे बबूल के रसगर जमीन पर
रोपले बा जे बबूल के रसगर जमीन पर
आपन जे पेट काट के अनकर क्षुधा भरे
ऊहे स्वरग उतारेला 'जौहर' जमीन पर
ऊहे स्वरग उतारेला 'जौहर' जमीन पर
-छन-छन के बनल-बिगड़ल,
टाँकल बा हथेली पर
आवेले हंसी हमरा, जिनगी का पहेली पर
आवेले हंसी हमरा, जिनगी का पहेली पर
शुभ याद के परछाहीं सुसुकेले अंगनवा में
जब चांदनी उतरेले, सुनसान हवेली पर
जब चांदनी उतरेले, सुनसान हवेली पर
अब विध्ने भरम राखस, चुटकी
भ सेनुरवा के
धड़कत बा करेजा की, गुजरल का सहेली पर
धड़कत बा करेजा की, गुजरल का सहेली पर
-गाँव के प्यार 'जौहर' ना दिल से गइल
लाख काटे के कटनीं, शहर में उमर
लाख काटे के कटनीं, शहर में उमर
'जौहर' जी अबहूँ चेत लीं,
जन (मत) साँच कुछ -कहीं
सबकर निगाह बाटे, अब रउरे पड़ाव पर
सबकर निगाह बाटे, अब रउरे पड़ाव पर
-कबो याद
के आग, बेरंग
झलकल
कबो ताज जइसन, महल बन के आइल
कबो ताज जइसन, महल बन के आइल
कबो लोर बिरहा (विरह) के, पतझर
के साखी (सखी)
कबो गंगा-यमुना के जल बन के आइल
कबो गंगा-यमुना के जल बन के आइल
पपीहा के बोली ना, बिरहा
में भावे
कोइलिया के कुहुकल, गरल (ज़हर) बन के आइल
कोइलिया के कुहुकल, गरल (ज़हर) बन के आइल
-रउरा जीहीं लाख बरीस
हमरा ख़ातिर पल-दू-पल
हमरा ख़ातिर पल-दू-पल
-जे के पूजे में सउँसे सिराइल उमर
आज ऊहो बा देखीं ख़फ़ा हो गइल
आज ऊहो बा देखीं ख़फ़ा हो गइल
हम जे रमलीं ए 'जौहर' ग़ज़ल-गीत
में
लोग निहँसे लगल, बाँवला हो गइल
लोग निहँसे लगल, बाँवला हो गइल
-हम बानी गाछ ऊ,
कि ना पत्ता ना फूल बा
तब हमरी नामे कारी घटा, का लिखल गइल?
तब हमरी नामे कारी घटा, का लिखल गइल?
-जेने देखीले तोहरे सजल रूप बा
नेह हमरा के कौने दशा ले गइल!
नेह हमरा के कौने दशा ले गइल!
-जब से 'जौहर' फकीरी में मनवा रमल
ठाट अइसन कहीं राजसी ना मिलल
ठाट अइसन कहीं राजसी ना मिलल
-आइल जे याद उनके,
हसीं हो गइल हवा
छँटते कुहास चान(चाँद), दरद के चमक गइल
छँटते कुहास चान(चाँद), दरद के चमक गइल
-नेह के फूल बगिया में खिल ना सकल
राह देखत समय के, कली रह गइल
राह देखत समय के, कली रह गइल
-दर्द फुनगी पे जा के सुघर हो गइल
गीत, कविता, ग़ज़ल आ झुमर हो गइल
(फुनगी= शिखर)
गीत, कविता, ग़ज़ल आ झुमर हो गइल
(फुनगी= शिखर)
-केहू 'जौहर' जिनगिया लुटा के जियल
केहू आपन नफा, देखते रह गइल
केहू आपन नफा, देखते रह गइल
-आदमियत आदमी में अब
ईद के बा, चान हो गइल
ईद के बा, चान हो गइल
-लोरी सोहर जरल भूख के आग में, झूठ
सच अनकहल अनसुनल रह गइल
एगो भंवरा रहे एगो जल के परी, ऊ कहानी धराइल धरल रह गइल
एगो भंवरा रहे एगो जल के परी, ऊ कहानी धराइल धरल रह गइल
-सूत गइल बा मातल (मत्त) गाँव
काम से थाकल, हारल गाँव
काम से थाकल, हारल गाँव
नेत-धरम पर अबो अड़ल
बा रोटी के मारल गाँव
बा रोटी के मारल गाँव
-'जौहर' समय-समाज से हमरा बा जे मिलल
अपना ग़ज़ल में ऊहे सजाईले घाम-छाँह
अपना ग़ज़ल में ऊहे सजाईले घाम-छाँह
{'अ' के बारे में...}
-अलख जगावे आ के अS
सब में शामिल झाँके अS
-अलख जगावे आ के अS
सब में शामिल झाँके अS
-उनका लुकाये भागे के,
कइसन गरज अचके परल
मानल गइल बा प्रीत में, नखड़ा कहाँ, परदा कहाँ
मानल गइल बा प्रीत में, नखड़ा कहाँ, परदा कहाँ
घाती हृदय से हीन का, जानी
पराई पीर के
हS दर्द खाली दर्द बस, बसिया कहाँ, टटका (ताजा) कहाँ
हS दर्द खाली दर्द बस, बसिया कहाँ, टटका (ताजा) कहाँ
बस देख के उपरे-उपर, खेलत
हँसत बूझत बा लोग
ई दर्द बा कहवाँ बताईं, होत बा चर्चा कहाँ
ई दर्द बा कहवाँ बताईं, होत बा चर्चा कहाँ
-आदमी-आदमी में होखेला
दर्द कुछ जिंदगी में होखेला
दर्द कुछ जिंदगी में होखेला
रूप का छाँह से जरी केहू
धार उमड़ल नदी में होखेला
धार उमड़ल नदी में होखेला
जाके सीखीं ना रउओ 'जौहर' से
बात जे सादगी में होखेला
बात जे सादगी में होखेला
-ऊ दुसरा के हीन न समझे
जेकरा में कुछ खास रहेला
जेकरा में कुछ खास रहेला
-करम भागो के थाह अबले ना लागल
केहू पा रहल बा केहू खो रहल बा
केहू पा रहल बा केहू खो रहल बा
-भूख से केहू केल्हवा काटे केहू खाते-खात मरे
बीच में मानव-मानव के ई, केतना लमहर खाई बा
बीच में मानव-मानव के ई, केतना लमहर खाई बा
-दे के हमरा के संतोष रो देलें ऊ
बाड़ें कबहु के उहो निशाना भइल
बाड़ें कबहु के उहो निशाना भइल
-तोहरो अंखियन के मर गइल पानी
सुन के अंखियन में भर गइल पानी
सुन के अंखियन में भर गइल पानी
-जब केहू से हिजा गिला राखीं
सामने अपना आइना राखीं
सामने अपना आइना राखीं
प्रेम केहू से जन(मत) करीं अचके
सामने सब दिशा-दशा राखीं
सामने सब दिशा-दशा राखीं
-केहू सावन सजवले बा आठो पहर
केहू उमड़ल घटा देख ते रह गइल
केहू उमड़ल घटा देख ते रह गइल
-कहानी दर्द के हमरा कही फ़साना कही
भुला ना पाई जमाना सजी जमाना कही
भुला ना पाई जमाना सजी जमाना कही
गजब के लोच आ टीसो-कसक बा नेहिया में
बहार ना-ना में होला, केहू तS हाँ ना कही
बहार ना-ना में होला, केहू तS हाँ ना कही
-हिया में हरदम हुलास राखीं, बनाईं
बतिया मचल-मचल के
समुझ-समुझ के संवर-संवर के, विचार राखीं सम्हल-सम्हल के
समुझ-समुझ के संवर-संवर के, विचार राखीं सम्हल-सम्हल के
केहू के जूही, केहू
के बेला, केहू के चंपा के रंग होला
खिले दीं ओकरा के अपना रंग में, कली के कुंठा मसल-मसल के
खिले दीं ओकरा के अपना रंग में, कली के कुंठा मसल-मसल के
हिया में जेकरा बा दर्द दाबल, जिया
में जेकरा बा नेह जागल
ग़ज़ल ऊ 'जौहर' के सुन रहल बा, महल से बाहर निकल-निकल के
ग़ज़ल ऊ 'जौहर' के सुन रहल बा, महल से बाहर निकल-निकल के
-जब सखी नइखे
आदमी नइखे
आदमी नइखे
आदमी 'जौहर'
सब कोई नइखे।
सब कोई नइखे।
-दिल के झूठे लगन जेके सच्चा लगे
ओकरा बात बेबात अच्छा लगे
ओकरा बात बेबात अच्छा लगे
उनका अँखियन के कजरा चमक देख के
हमरा दुनिया के सब कुछ सुहाना लगे
हमरा दुनिया के सब कुछ सुहाना लगे
सारी दुनिया प छवले बा पूरा लगे
तबहूँ मन के कहानी अधूरा लगे
तबहूँ मन के कहानी अधूरा लगे
-तन के तितली पर मखमल के पर्दा लगे
मन के पंक्षी पर कौनो ना पहरा लगे
मन के पंक्षी पर कौनो ना पहरा लगे
बात अइसन करS जे
हुलास जाए मन
नीक हमरा लगे, नीक तहरा लगे
नीक हमरा लगे, नीक तहरा लगे
-आज 'जौहर' से जौहर भइल भेंट बा
ई नशा फेर ना आई गजल गीत में
ई नशा फेर ना आई गजल गीत में
-गंगा में नहाईं जन अपने,
जन आग लगाईं पानी में
ऊमस बा जवानी के सम्हरीं, जन पाँव बढाईं पानी में
(जन= मत)
ऊमस बा जवानी के सम्हरीं, जन पाँव बढाईं पानी में
(जन= मत)
-साध सावन के,
उमड़ल घटा देख के
आँख पथरा गइल, रास्ता देखे के
आँख पथरा गइल, रास्ता देखे के
-रउरा त अपना रूप प अतना गुमान बा
खोजला से जे मिली ना नवाबी नवाब में
खोजला से जे मिली ना नवाबी नवाब में
-बा धइले स्वर्ग आ जन्नत,
पुजारी के, निमाजी
के
गजब लालच के चक्कर बा, केहू ऊपर कहाँ बाटे
गजब लालच के चक्कर बा, केहू ऊपर कहाँ बाटे
-बेध गइल तन-मन के हमरा,
घाव बड़ा गंभीर रहे
का जाने तोहरा अँखियन में कइसन-कइसन तीर रहे
का जाने तोहरा अँखियन में कइसन-कइसन तीर रहे
रूप के पंक्षी लोभ नगर में लसराइल बेमोल
भइल
भूल गइल ओकरे लिखे के आगे के तकदीर रहे
भूल गइल ओकरे लिखे के आगे के तकदीर रहे
झुझुआ के जन देखीं अपने, परखीं
ओकरा कृति के
भोजपुरी के 'जौहर' तनहा, ग़ालिब मोमिन मीर रहे
भोजपुरी के 'जौहर' तनहा, ग़ालिब मोमिन मीर रहे
-सुगबुगी हुजूर बाटे
बात कुछ ज़रूर बाटे
बात कुछ ज़रूर बाटे
रउआ त महान बानीं
हमरे कसूर बाटे
हमरे कसूर बाटे
-दे के संतोष हमरा के रो देलें ऊ
बारें कबहू के उहो निशाना भइल
बारें कबहू के उहो निशाना भइल
-मौसम के रुत ढाई आखर हो
कुछ अइसन माहौल बनाओ
कुछ अइसन माहौल बनाओ
यश-अपयश पर, जीवन-मरण
पर
जेकर बस ऊ ताव में आओ
जेकर बस ऊ ताव में आओ
-चांदनी बन के पसर जा तू गजल होखे दS
आज के साँझ ठहर जा तू गजल होखे दS
आज के साँझ ठहर जा तू गजल होखे दS
-कुर्सी के लोभ नाच रहल बाटे रोड पर
जागत बा गाँव रात में टोला अगोर के
जागत बा गाँव रात में टोला अगोर के
-चाँद बदरा का अँचरा से झकबे करी
चाँदनी खिलखिलाई गजल-गीत में
नेह का गाँव में शूल उठबे करी
अँखिया मोती लुटाई गजल-गीत में
चाँदनी खिलखिलाई गजल-गीत में
नेह का गाँव में शूल उठबे करी
अँखिया मोती लुटाई गजल-गीत में
-एक ऋतु आए,
एक ऋतु जाए
याद के नागिन डँस-डँस जाए
याद के नागिन डँस-डँस जाए
स्वारथ के मंदिर-मस्जिद में
जग उबरे, जग फँस-फँस जाए
जग उबरे, जग फँस-फँस जाए
-भइल सुनगुनी जब से नेहिया के हमरा
सभे हो गइल बा खफ़ा लाहे-लाहे
सभे हो गइल बा खफ़ा लाहे-लाहे
बा हरियर भइल घाव बरिसन पुराना
चलल बैरी पुरुवा हवा लाहे-लाहे
चलल बैरी पुरुवा हवा लाहे-लाहे
उठल कठकरेजी करेजवा से बिरहा
नजरिया से निकसे घटा लाहे-लाहे
नजरिया से निकसे घटा लाहे-लाहे
गजल भोजपुरी के 'जौहर' से
सुन के
जिनिगिया के आइल मजा लाहे-लाहे
जिनिगिया के आइल मजा लाहे-लाहे
-ई दर्द का सुनाईं,
ई लोर का देखाईं
अरमान के चिता पर, रोईं कि गीत गाईं
एह मोह का नगर के, कारिख की कोठरी से
चुपचाप बबुआ 'जौहर', नाता छोड़ा के जाईं
अरमान के चिता पर, रोईं कि गीत गाईं
एह मोह का नगर के, कारिख की कोठरी से
चुपचाप बबुआ 'जौहर', नाता छोड़ा के जाईं
-हाथ पसरल बा,
नेह के 'जौहर'
उनका आवत बा अब दया कब तक
उनका आवत बा अब दया कब तक
-धरती से आकाश ले पहुँचल,
तबहूँ अपना पास ना पहुँचल
माफ़ करीं इतिहास का 'जौहर', बाटे उल्टा पाँव के लोग
माफ़ करीं इतिहास का 'जौहर', बाटे उल्टा पाँव के लोग
-...फूल देखी त भंवरा लुभइबे करी...
रंग सारा बा मिथ्या के संसार में
रूप के हाट में, तन के बाजार में
डेग 'जौहर' जी डालीं समुझ-बूझ के
आग जारेला, जारी, जरइबे करी
रंग सारा बा मिथ्या के संसार में
रूप के हाट में, तन के बाजार में
डेग 'जौहर' जी डालीं समुझ-बूझ के
आग जारेला, जारी, जरइबे करी
-एगो नेकी-बदी छोड़ के बस
कुछ ना संगवा में 'जौहर' जी जाई
कुछ ना संगवा में 'जौहर' जी जाई
-नजर से बढ़ के हिया में उतर के बात करीं
बइठ के नाव में, का जल भीतर के बात करीं
बइठ के नाव में, का जल भीतर के बात करीं
-सुनाईं चाँद पर गइला के सब कथा, बाकी
दशा ख़राब बा अपना नगर के बात करीं
दशा ख़राब बा अपना नगर के बात करीं
-हार के टीका कबो रउवो लगा के देखीं
हाथ आइल कबो तितली उड़ा के देखीं
हाथ आइल कबो तितली उड़ा के देखीं
चान-सुरुज के पता लोग लगावत बाटे
भेद आपन तनी 'जौहर' जी लगा के देखीं
भेद आपन तनी 'जौहर' जी लगा के देखीं
-भोरे-भोरे पढ़ीं अखबार के रोना रोईं
जिंदगी दर्द के अम्बार के रोना रोईं
जिंदगी दर्द के अम्बार के रोना रोईं
मांझी बुद्धि के जे पतवार उड़ावेला कबो
दिल के नइया कबो मंझधार के रोना रोई
दिल के नइया कबो मंझधार के रोना रोई
-फूल पर देखीं भंवरा के मूर्छित-मगन
जोग जिनगी के जानीं, जोगावत रहीं
जोग जिनगी के जानीं, जोगावत रहीं
-दिल बस दिल ह दिल न लगाईं
भूत के घर आपन न देखाईं
भूत के घर आपन न देखाईं
उन का मुंह से चाँद खुशी के
सच कह के का छीन ले जाईं!
सच कह के का छीन ले जाईं!
-बा फूल-फूल अंग त,
मुखड़ा बा चाँद पर
कजरा बनल कटार बा, हम का गजल कहीं
कजरा बनल कटार बा, हम का गजल कहीं
-साँच में आँच न होला,
बाकी
कहियो रउवो ना बोल के देखीं
कहियो रउवो ना बोल के देखीं
-ई जवानी ई उमर केकर रहल बा जे रही
तार बीणा के बचा के, कुछ बजा के देख लीं
तार बीणा के बचा के, कुछ बजा के देख लीं
-केहू के रूप का दर्पण में, चेहरा
देख के आपन
सँवारे में बहुत हमहूँ, जियल बानी मरल बानी
सँवारे में बहुत हमहूँ, जियल बानी मरल बानी
-का भरोसा बा बल्ब बिजली के
कवनो दिअना मकान पर राखीं
कवनो दिअना मकान पर राखीं
पहिले 'जौहर' जी
आँख अपना पर
फेरू दुनिया-जहान पर राखीं
फेरू दुनिया-जहान पर राखीं
-दर्द छाती के जे अँखियन में सजवले होई
प्रेम का गाँव में ऊ आग लगवले होई
प्रेम का गाँव में ऊ आग लगवले होई
तोहरा लिलरा से जे 'जौहर' जी
लहू टपकत बा
होई अपने केहू पत्थर जे चलवले होई
होई अपने केहू पत्थर जे चलवले होई
-ज्योति 'जौहर' जगा के जिनगी के
अब का चला-चली के बात करीं!
अब का चला-चली के बात करीं!
-कबो आ के पूछत घात के,
कबो जा के रोवल रात के
ऊ बहार कंगना कटार के, दिन याद बाटे तनी-तनी
ऊ बहार कंगना कटार के, दिन याद बाटे तनी-तनी
ऊ गजल के 'जौहर' गीत
के, ऊ पहिल-पहिल छवि मीत के
सजी सपना उनका करार के, दिन याद बाटे तनी-तनी
सजी सपना उनका करार के, दिन याद बाटे तनी-तनी
-केहू आपन ना केहू बेगाना
शहर में आदमी के जंगल बा
शहर में आदमी के जंगल बा
-आदमी बाटे पशु के माया में
बाघ बन के हिरन के देखत बा
बाघ बन के हिरन के देखत बा
-हम का सपना में चाँद पर उतरीं
जे बा होखे के, उहे होना बा
जे बा होखे के, उहे होना बा
नाम से उनका जुड़ गइल बानीं
बस इहे ओढ़ना-बिछौना बा
बस इहे ओढ़ना-बिछौना बा
-हो गइल आदमी जानवर
ई रपट हम लिखाईं कहाँ
ई रपट हम लिखाईं कहाँ
-साँच पर बा आंच,
खाली जी हुजूरी बा इहाँ
चाहे जइसे होखे, परिवर्तन जरुरी बा इहाँ
चाहे जइसे होखे, परिवर्तन जरुरी बा इहाँ
-बढ़ गइल मोंछ बा,
आन बा, ताव
बा
ठूँठ हो के खड़ा, आदमी रह गइल
ठूँठ हो के खड़ा, आदमी रह गइल
-साँच देखे के सुने के सबका बा हिम्मत कहाँ?
साध के एकला चले के रास्ता अचके मिलल
साध के एकला चले के रास्ता अचके मिलल
-नगरी-नगरी घूम के 'जौहर', देखत बानीं आँखिन से
जनसेवक दरबार के मालिक, जनजीवन चौराहे पर
जनसेवक दरबार के मालिक, जनजीवन चौराहे पर
-साँच के सामने
बा हुँआ आ हुँआ
बा हुँआ आ हुँआ
-रो-रो के सनेहिया का पथ में, जे
आस के सावन तक पहुँचल
ई दर्द उहे बस जानी जे, चितकार के चितवन तक पहुँचल
ई दर्द उहे बस जानी जे, चितकार के चितवन तक पहुँचल
-लोरी सोहर जरल भूख के आग में
झूठ सच अनकहल अनसुनल रह गइल
एगो भंवरा रहे एगो जल के परी
ऊ कहानी धराइल धरल रह गइल
झूठ सच अनकहल अनसुनल रह गइल
एगो भंवरा रहे एगो जल के परी
ऊ कहानी धराइल धरल रह गइल
-छुप-छुप के तोहरा अंगना में, जहिया
उतरल होइ चान
मुरछा में हपतन रहला का, बादे सम्हरल होइ चान
मुरछा में हपतन रहला का, बादे सम्हरल होइ चान
'जौहर' आग कठिन बिरहा के,
पुरुवा बैरी माने ना
कोइल के कू-कू सुन-सुन के, छन-छन हहरल होइ चान
कोइल के कू-कू सुन-सुन के, छन-छन हहरल होइ चान
-प्रेम-लता के नेह-कला में, श्रद्धा
के हS गंगा नाच
बाकी सियासत का दंगल में, होखत बाटे नंगा नाच
बाकी सियासत का दंगल में, होखत बाटे नंगा नाच
शंकराचार्य, इमाम
बुखारी, के निम्मन बा,
के हत्यार
धर्म भइल स्वारथ के पार्टी, सत्ता के मुँहमंगा नाच
धर्म भइल स्वारथ के पार्टी, सत्ता के मुँहमंगा नाच
-बुढ़वा बरगद का छहरी में,
भूखा-नंगा गाँव के लोग
आन्ही-बूनी, जाड़ा-ठाढ़ा, ओला-बरखा छाँव के लोग
आन्ही-बूनी, जाड़ा-ठाढ़ा, ओला-बरखा छाँव के लोग
भोजपुरी में हमरो बाटे
'ग़ालिब' जइसन चोख ग़ज़ल
'ग़ालिब' जइसन चोख ग़ज़ल
और अंतिम बात ये.. कि
-बहुत रंग बा भोजपुरी ग़ज़ल में
दिया साधना के जरा दे ले बानीं।
दिया साधना के जरा दे ले बानीं।
साभार-
http://www.aakhar.com/ (जहाँ से 'रंगमहल' पीडीएफ में मिला)
http://vinay-patrika.blogspot.in/ (जहाँ से 'तेग अली' के बारे में मिला)
http://www.aakhar.com/ (जहाँ से 'रंगमहल' पीडीएफ में मिला)
http://vinay-patrika.blogspot.in/ (जहाँ से 'तेग अली' के बारे में मिला)
तरुण त्रिपाठी |
सम्पर्क-
ई-मेल - taruntrip@gmail.com
भोजपुरी के सभी रंगों को अपनी शायरी में उकेरने वाले इस अज़ीम शायर से परिचित कराने हेतु शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31-08-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2713 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
आपका शुक्रिया जी!
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