लैस्लो क्रस्नहोरकई की कहानी 'बाहर कुछ जल रहा है'
László Krasznahorkai प्रकृति स्वयं में रचनात्मक है। इसका कण कण इस रचनात्मकता से आप्लावित है। मनुष्य इस प्रकृति की ही सुन्दर रचना है। वह प्रकृति को अपनी तरह से विश्लेषित करने का कार्य करता है। मनुष्य की रचनात्मकता भी अदभुत है। अपनी रचनात्मकता से उसने इस धरती को ब्रह्माण्ड का आधुनिकतम ग्रह बना दिया है। आज हम पहली बार पर प्रस्तुत कर रहे हैं एक हंगेरियन कहानी। कहानीकार हैं लैस्लो क्रस्नहोरकई। तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं लैस्लो क्रस्नहोरकई की कहानी 'बाहर कुछ जल रहा है'। इस कहानी का अनुवाद किया है कवि कहानीकार सुशांत सुप्रिय ने। सुशांत सुप्रिय ने विश्व के ऐसे रचनाकारों की रचनाएं सामने लाने का काम किया है जिनकी रचनाओं से हिन्दी समाज प्रायः अपरिचित है। इस अर्थ में उनका काम काफी अलग तरह का है। 'बाहर कुछ जल रहा है' मूल लेखक : लैस्लो क्रस्नहोरकई अनुवाद : सुशांत सुप्रिय ज्वालामुखी के गह्वर में स्थित संत एन्ना झील एक मृत झील है। यह...