प्रोफेसर ओ. पी. जायसवाल का आलेख ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में साम्प्रदायिकता - एक विश्लेषण
प्रोफेसर ओ. पी. जायसवाल इतिहास ऐसा विषय है जो हमारे सामने तमाम तरह की असुविधाएँ खड़ी करता है। यह अतीत का अध्ययन करता है और साक्ष्यों पर आधारित होता है। इसलिए इसे बदला नहीं जा सकता। साम्प्रदायिकता भारतीय इतिहास की एक बड़ी समस्या रहा है। ब्रिटिश इतिहासकार जेम्स मिल ने भारतीय इतिहास का साम्प्रदायिक विभाजन कर इसकी नींव रख दी थी। आगे चल कर हम भारतीय इतने अधिक और कट्टर हिन्दू मुसलमान हो गए, कि साथ रह पाना नामुमकिन लगने लगा। इसका खामियाजा विभाजन की त्रासदी के रूप में हमें भुगतना पड़ा। आज भारत जिस मोड़ पर खड़ा है, यह समस्या एक बार फिर सिर उठाए खड़ी नज़र आ रही है। इतिहास के वरिष्ठ प्रोफेसर ओ पी जायसवाल ने अपने आलेख 'ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में साम्प्रदायिकता का विवेचन' में इस समस्या का वस्तुनिष्ठ विश्लेषण किया है। आइए आज पहली बार पढ़ते हैं प्रोफेसर ओ पी जायसवाल का आलेख 'ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में साम्प्रदायिकता का विवेचन'। ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में साम्प्रदायिकता - एक विश्लेषण प्रोफेसर ओ. पी. जायसवाल साम्प्रदायिकता एक कैन्सर है, जिसकी जड़ें इतिहास की विकृतियों में हैं। साम्प्रदायि...