रामजी तिवारी की रपट 'बलिया फिल्म समारोह'





(फिल्म समारोह  के समय  खचाखच भरा हुआ बलिया का बापू भवन)



'बलिया फिल्म समारोह'


प्रस्तुति : रामजी तिवारी


प्रतिरोध का सिनेमा और पहला बलिया फिल्म समारोह जन संस्कृति मंच, गोरखपुर फिल्म सोसाइटी "एक्सप्रेशन" और बलिया की सांस्कृतिक संस्था "संकल्प "के संयुक्त तत्वावधान में दो दिनों तक चलने वाले "पहले बलिया फिल्म उत्सव -२०११' का कल समापन हो गया। "प्रतिरोध का सिनेमा" नामक थीम को आधार बनाकर चलने वाले इस समारोह में लगभग 20 फिल्में दिखाई गयी, जिनमे डाक्यूमेंट्री और फीचर फिल्मे शामिल थीं।



समारोह के पहले दिन जन संस्कृति मंच के महासचिव प्रणय कृष्ण ने इसका विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर फिल्मकार संजय जोशी, जनमत पत्रिका के संपादक रामजी राय और गोरखपुर फिल्म सोसाइटी के संयोजक मनोज सिंह उपस्थित थे। प्रणय कृष्ण ने 'प्रतिरोध के सिनेमा" पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज भारतीय सिनेमा उद्योग की मुख्यधारा कालेधन ने नियंत्रित और निर्देशित हो रही है, जिसके सरोकार का क्षेत्र भी जाहिर तौर पर उसी कालेधन वाला समाज और उसे बढ़ाने वाली संस्कृति है। इस देश की आम जनता की समस्याओ से उसका कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे समय में जन संस्कृतिकर्मियों की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वे वैकल्पिक सिनेमा के माध्यम से आम जनता की आवाज को देश के सामने पहुचाये। यह सिनेमा अपने मूल चरित्र में जनोन्मुखी है और सामाजिक गतिशीलता की बुनियाद पर खड़ा है। उन्होंने कहा कि शोषण आधारित गैर - बराबरी वाली व्यवस्था के खिलाफ आमजन के संघर्षो का सिनेमाई चित्रण ही "प्रतिरोध का सिनेमा" है।




जन संस्कृति मंच के फ़िल्म समूह "द ग्रुप" के संयोजक और फिल्मकार संजय जोशी ने कहा कि "प्रतिरोध का सिनेमा" मुख्यधारा में प्रचलित हर प्रकार के मिथकों का प्रतिरोध करता है
छोटे बजट, छोटे कैमरे और छोटे स्टारडम के द्वारा भी हम बड़ी और सार्थक फिल्मे बना सकते हैं। जनमत पत्रिका के संपादक रामजी राय का कहना था कि सिनेमा केवल मनोरंजन का साधन नहीं है वरन हमारे संघर्षो की आवाज भी है। वही ज. स. म. के प्रदेश सचिव मनोज सिंह ने बलिया फिल्मोत्सव को "प्रतिरोध के सिनेमा " आन्दोलन का दूसरा चरण बताते हुए कहा कि अब हम इसे छोटे शहरों और कस्बो कि तरफ ले जा रहे है और यह हमारे लिए बहुत ही सुखद है।




उद्घाटन सत्र के बाद बीजू टोप्पो द्वारा निर्देशित डाक्यूमेंट्री फिल्म 'गाड़ी लोहरदगा मेल" का प्रदर्शन किया गया और इस तरह बलिया फिल्मोत्सव की शुरुआत भी हो गयी। पहले दिन जिन फिल्मो को दिखाया गया, वे थी - "गाव छोड़ब नहीं" (के. पी. ए सी), "रिबंस फार पीस" (आनंद पटवर्धन), "अँधेरे से पहले" (अजय टी जी.), "प्रिंटेड रेनबो" (गीतांजलि राव), "वायसेस फ्राम बलियापाल" (वसुधा जोशी और रंजन पालित), "द चेअरी टेल" और नेबर ( नार्मन मैक्लेरन), "पी" (अमुधन आर.पी.), "सोना गहि पिंजरा" (बीजू टोप्पो), "दायें या बाएं "(बेला नेगी) और "हद- अनहद" ( शबनम विरमानी)..



वैसे तो सभी फिल्मे अपनी विशिष्ट शैली और तेवर के माध्यम से जनता की आवाज को अभिव्यक्त कर रही थी लेकिन वसुधा जोशी और रंजन पलित की फिल्म "वायसेस फ्राम बलियापाल" को खास सराहना मिली। यह फिल्म उड़ीसा के आदिवासियों के संघर्ष की दास्तान बयाँ करती है , जिसे उन लोगो ने मिसाईल रेंज बनने के कारण अपने विस्थापन के विरोध में किया था।


पहले दिन की समाप्ति पर "संकल्प" बलिया ने भिखारी ठाकुर की अमर कृति "बिदेसिया" की नाट्य प्रस्तुति की। इस नाटक की प्रस्तुति के समय बलिया का बापू भवन, जहा यह समारोह आयोजित किया जा रहा था, खचाखच भरा हुआ था।




("संकल्प" बलिया द्वारा भिखारी ठाकुर की अमर कृति "बिदेसिया " की नाट्य प्रस्तुति)




समारोह के दूसरे और अंतिम दिन की मुख्य प्रस्तुति ईरानी फिल्म "द चिल्ड्रेन्स आफ हैवेन" थी।  माजिद मजीदी द्वारा निर्देशित इस फिल्म ने दर्शको का मन मोह लिया। समारोह में लगातार उपस्थित रहने वाले फिल्मकार संजय जोशी ने लोगो की प्रतिक्रियाओ का स्वागत करते हुए कहा कि यदि हमें अगले साल भी यहाँ आने का मौका मिला तो हम ईरानी फिल्मों के प्रदर्शन पर ही एक पूरे दिन का कार्यक्रम रख सकते है। इसी दिन बच्चो की फिल्म "रेड बैलून" (अल्बर्ट लेमूरेस्सी) और "छुटकन की महाभारत" (संकप मेश्राम) की फिल्मे भी प्रदर्शित की गयी। दोपहर बाद "मालेगाँव का सुपरमैन" (फैज़ा अहमद खान), "भालो खबर" (अल्ताफ माजिद), "भूमिका" (श्याम बेनेगल), और "दुविधा" (मणि कौल) जैसी फिल्मों का प्रदर्शन हुआ।




इस फिल्म समारोह की खास बात यह रही कि इसका आयोजन पूर्णतया जन सहयोग और जन भागीदारी के द्वारा सम्पादित हुआ। इसमें न तो किसी बड़े घराने का सहयोग लिया गया और न ही किसी नेता या मंत्री का दरवाजा खटखटाया गया। प्रत्येक फिल्म की समाप्ति पर संजय जोशी और मनोज सिंह श्रोताओ के सवालो के जवाब भी देते थे। बलिया जैसी छोटी जगह पर लोगो की इन फिल्मो के प्रति दिखी उत्सुकता ने आयोजको को काफी उत्साहित किया। अंत में संजय जोशी, मनोज सिंह और संकल्प के संयोजक आशीष त्रिवेदी ने इस समारोह को अगले साल पुनः बलिया में आयोजित करने कि घोषणा की।



सम्पर्क 

mobile- 09450546312

e-mail: ramji.tiwari71@gmail.com

टिप्पणियाँ

  1. safal aayojan ke liye badhai.....yah aayojan lagatar lokpriyata pata ja rah hai khushi ki bat hai. tiwari ji ka aabhar wahna ki khabaron se avagat karaya.

    जवाब देंहटाएं
  2. safal aayojan ke liye badhai.....yah aayojan lagatar lokpriyata pata ja rah hai khushi ki bat hai. tiwari ji ka aabhar wahna ki khabaron se avagat karaya.

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मार्कण्डेय की कहानी 'दूध और दवा'

प्रगतिशील लेखक संघ के पहले अधिवेशन (1936) में प्रेमचंद द्वारा दिया गया अध्यक्षीय भाषण

हर्षिता त्रिपाठी की कविताएं