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दीपांकर यादव की कविताएँ

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दीपांकर यादव   दुनिया का हर रचनाकार अपने समय का सजग शिल्पी होता है. वह अपने हवाले से दुनिया को देखने की शुरुआत करता है और एक समय ऐसा आता है जब अपने सुख दुःख को दुनिया से एकाकार कर लेता है. यह सब अनुभवजनित होता है. इसके लिए उसे देश-दुनिया की संवेदनाओं से बावस्ता होना पड़ता है. साहित्य सृजन इस अर्थ में महत्वपूर्ण होता है कि वह हमें मानवीयता का पक्षधर बनाता है. युवा कवि दीपांकर यादव की कविताओं से गुजरते हुए यह महसूस हुआ कि कवि में आगे जाने की तमाम संभावनाएँ हैं. कवि नामुमकिन को भी मुमकिन बनाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है. इसी क्रम में दीपांकर लिखते हैं -   ‘ये कुव्वत है कवि की/ कि एक नामुमकिन सी/ कोशिश किये जाता है फिर भी/ काल को भाषा में अनूदित करने की.’ आज पहली बार प्रस्तुत है युवा कवि दीपांकर यादव की कविताएँ, दीपांकर यादव की कविताएँ             प्रार्थना - घर शहर की सड़कें लाशों से अटी पड़ी हों , और भोज के इंतज़ाम में   चारों तरफ गिद्ध मंडरा रहे हों ; तो क्या फर्क पड़ता है ? यदि हजारों बरस पहले सरयू नदी के क