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कुछ यादगार स्मृतियाँ : सुधीर सिंह

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चित्रों के बारे में एक कहावत प्रख्यात है कि एक चित्र हजार शब्दों के बराबर होते हैं। चित्रों के साथ उसका समय ही नहीं बल्कि उस समय की बेशुमार स्मृतियाँ भी जुड़ी होती हैं। सुधीर सिंह के पास ऐसे यादगार चित्रों का एक समृद्ध खजाना है। आज पहली बार पर प्रस्तुत है 'कुछ यादगार स्मृतियां' जिसे हमने सुधीर सिंह के सौजन्य से प्राप्त किया है।   सुधीर सिंह कुछ यादगार स्मृतियाँ चित्र संख्या -1 (चित्र में बाएं से दाएँ (तीसरे से) नामवर सिंह, शील जी, केदार नाथ अग्रवाल, रामविलास शर्मा, चन्द्रबली सिंह)   (चित्र संख्या -2) (चित्र में बाएं से दाएँ - मार्कंडेय जी, नामवर सिंह, सुधीर सिंह और दूध नाथ सिंह) (चित्र संख्या -3)  (चित्र संख्या -4)    (चित्र में बाएं से दाएँ : मत्स्येन्द्र नाथ शुक्ल, दूध नाथ सिंह, ज्ञानरंजन, रामजी पाण्डेय, मार्कंडेय जी)   (चित्र संख्या -5) (हालैंड हाल की मेस में खाने की मेज पर बाएं से दायें अनिल कुमार सिंह, शेखर जोशी,गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव, मार्कंडेय जी, कुंवर पाल सिंह, नमिता सिंह. संतोष चतुर्वेदी) (चि...

अनिल जनविजय द्वारा फेसबुक पर संकलित कुछ अनमोल चित्र

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चित्र वीथिका   अनिल जनविजय  अनिल जनविजय ने पिछले दिनों अपने फेसबुक वाल पर चित्रों को पहचानने की एक पहेली शुरू की थी . इस पहेली को बूझने में कई मित्रों ने बड़ी दिलचस्पी  दिखाई । वाकई इसमें कई ऐसे भी चित्र थे जो हम सबके लिए धरोहर की तरह हैं । हमें अपने संस्कृति और साहित्य से जुडी विभूतियों को तो पहचानना ही चाहिए । इसी क्रम में हमने अनिल जनविजय की वाल से कुछ चित्रों को साभार ले कर यहाँ पर प्रस्तुत किया है । आइए कुछ नामचीन शख्सियतों को उनकी तस्वीरों के आईने से देखते हैं ।       (चिंतक, प्रयोगशील लेखक, निर्मल वर्मा ...यह चित्र प्रिय राम (भाई रामकुमार वर्मा को लिखे और उनकी पत्नी गगन गिल के संपादन में छपे ) पत्र संकलन का मुखपृष्ठ है ।) 'प्रथम प्रतिश्रुति' (1964), 'सुवर्णलता' (1966) और 'बकुल कथा' ( 1974) की प्रख्यात बांग्ला लेखिका आशापूर्णा देवी । जो हिन्दी में भी समादृत हैं ।   (राहुल जी और शिवपूजन बाबू,  अन्य :अनूपलाल मंडल़, छविनाथ पांडेय, देवेंद्रनाथ शर्मा १९५४। चित्र : बी एस एम मूर्ति ।)  ( रागदरबारी क...