ललन चतुर्वेदी का आलेख 'कमीज के बाहर आदमी और तमीज के बाहर भाषा नग्न हो जाती है'

संगत में ज्ञानरंजन के एक साक्षात्कार को ले कर हिन्दी साहित्य जगत में वाद विवाद की स्थिति बनी हुई है। कोई भी व्यक्ति आलोचना की परिधि से बाहर नहीं है। लेकिन इसका भी एक दायरा है। ज्ञानरंजन का पक्ष ले कर किसी ने अंजुम शर्मा से आपत्तिजनक चैटिंग की है। इन सब का समर्थन नहीं किया जा सकता। और कुछ नहीं तो भाषा में तो थोड़ी शालीनता की अपेक्षा की ही जा सकती है। इस मुद्दे को ले कर कल हमने प्रचण्ड प्रवीर का आलेख प्रस्तुत किया था। इसी कड़ी में आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं कवि ललन चतुर्वेदी का आलेख 'कमीज के बाहर आदमी और तमीज के बाहर भाषा नग्न हो जाती है'। 'कमीज के बाहर आदमी और तमीज के बाहर भाषा नग्न हो जाती है' (संदर्भ : संगत का 100 वां एपिसोड और हिन्दी जगत की प्रतिक्रियाएं) ललन चतुर्वेदी संगत का 100 वां एपिसोड पूरा करते हुए हिन...