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भरत प्रसाद के उपन्यास पर सुनील कुमार शर्मा की समीक्षा 'छात्र राजनीति की निस्सारता'

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  कम रचनाकार ही ऐसे होते हैं जो एक साथ साहित्य की विविध विधाओं में एक साथ साधिकार लेखन करते हैं। भरत प्रसाद ऐसे ही रचनाकार हैं जिन्होंने की विविध विधाओं में स्तरीय लेखन किया है। कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना, संस्मरण जैसी विधाओं में वे लगातार आवाजाही करते रहे हैं। हाल ही में उनका एक नया उपन्यास 'काकुलम' प्रकाशित हुआ है। इस उपन्यास की एक समीक्षा लिखी है कवि आलोचक सुनील कुमार शर्मा ने। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं भरत प्रसाद के उपन्यास काकुलम पर सुनील कुमार शर्मा द्वारा लिखी गई  समीक्षा 'छात्र राजनीति की निस्सारता' । 'छात्र राजनीति की निस्सारता'                                                             सुनील कुमार शर्मा                           कोई भी साहित्यिक कृति सामजिक जीवन से अलग हो कर सार्थक नहीं बन सकती। साहित्यकार की निजी विचारधारा सामाजिक परिवेश से प्रेरित एवं प्रभावित रहती है। आधुनिक जीवन के जटिलतर यथार्थ कि अंदरूनी हकीकतों को उसकी पूरी जैविकता के साथ संप्रेषित करने की क्षमता, साहित्यिक विधाओं में उपन्यास को प्राप्त है। सद्यः प्रकाशित उपन्यास '

विंध्य मैकल साहित्योत्सव कविता-कला अंतर्संवाद यात्रा 2024 की एक स्मृति, प्रस्तुति : केतन यादव

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  कला के विविध क्षेत्रों में बातचीत और विमर्श की बड़ी उपादेयता होती है। साहित्य में इस विमर्श की भूमिका कुछ अधिक ही होती है। इसके मद्देनजर समय समय पर विविध आयोजन होते रहते हैं। इसी क्रम में हाल ही में विंध्य मैकल साहित्योत्सव कविता-कला अंतर्संवाद यात्रा 2024 का आयोजन किया गया। इस आयोजन में इलाहाबाद के युवा कवि केतन यादव भी शामिल हुए। केतन ने इस आयोजन की एक स्मृतिपरक रपट और कुछ तस्वीरें पहली बार को उपलब्ध कराई है। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं  विंध्य मैकल साहित्योत्सव कविता-कला अंतर्संवाद यात्रा 2024 की एक स्मृति पर एक रपट। इसकी प्रस्तुति युवा कवि केतन यादव की है। विंध्य मैकल साहित्योत्सव कविता-कला अंतर्संवाद यात्रा 2024 की स्मृतियों से  प्रस्तुति : केतन यादव यह बहुत अलग तरह का आयोजन था। आदिवासी संस्कृति से संबंधित किसी भी प्रस्तुति को कभी प्रदर्शनी में ही देखा रहा होऊंगा पर इस आयोजन के कारण पहली बार उनके बीच रहने खाने और‌ जानने को मिला। इस यात्रा ने जंगल और जंगल की संस्कृति से जुड़े लोगों के पास आने का अवसर दिया। बहुत सारे फेसबुक से जुड़े साहित्यिक मित्रों से मुलाकात हुई। चार-पाँच द

दूधनाथ सिंह की कहानी 'नपनी'

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  भारत में लड़की की शादी करना असम्भव को सम्भव कर दिखाने जैसा है। सबसे पहले जो प्रक्रिया होती है वही त्रासद होती है। लड़की के परिवार वालों के लिए तो यह त्रासद होती ही है, यह लड़की की कड़ी अग्नि परीक्षा होती है। एक लड़की को ऐसी तमाम अग्नि परीक्षा से हो कर गुजरना पड़ता है। लड़का पक्ष चाहें जितना विपन्न या कुरूप हो, लड़की के बारे में वह तमाम ऊल जलूल अपेक्षाएं साधिकार करता है। लड़की का रंग ऐसा हो, लड़की की आंखें ऐसी हों। लड़की की ऊंचाई इतनी हो। लड़की सुसंस्कृत हो। लड़की शर्माती हो। आदि आदि... ...। इस समय ऐसे ऐसे पैमाने सामने आ जाते हैं जिसको सुन कर केवल अफसोस ही व्यक्त किया जा सकता है। ये सारे पैमाने, सारी अपेक्षाएं केवल लड़कियों के लिए ही होते हैं, लड़कों के लिए कहीं कोई पैमाना नहीं। 'नपनी' कहानी के माध्यम से कहानीकार दूधनाथ सिंह ने जो व्यंग्य रचा है वह अद्भुत है। आज दूधनाथ जी का जन्मदिन है। जन्मदिन पर पहली बार की तरफ से हम दूधनाथ जी की स्मृति को सादर नमन करते हैं। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं  दूधनाथ सिंह की कहानी 'नपनी'। नपनी दूधनाथ सिंह           कार स्टार्ट होते ही प