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ध्रुव हर्ष की कविताएं

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  ध्रुव हर्ष  परिचय:  ध्रुव   हर्ष फिल्मकार, लेखक और कवि जन्म 1989, मनकापुर, गोंडा, (उत्तर प्रदेश) शिक्षा : डी. फिल (अंग्रेज़ी) इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से “महाभारत और समकालीन उपन्यासों पर।” वर्तमान समय में आई.सी.एस.एस.आर., नई दिल्ली में रिसर्च फेलो हैं, और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली से “महाभारत में न्याय की अवधारणा” विषय पर ‘पोस्ट डॉक्टरेट’ कर रहे हैं।  कृष्ण की यह विशेषता है कि वे हमारे सामने एक मिथकीय चरित्र की तरह आते हैं और वास्तविक चरित्र की तरह दिलो दिमाग में बस जाते हैं। यह चरित्र इतना आम हो जाता है कि कवि रसखान उनके बारे में अपने एक सवैये में लिखते हैं  - 'ताहि अहिर की  छोहरियाँ  छछिया भरी छाछ पे नाच नचावै।'  ईश्वर के बारे में एक सामान्य अवधारणा यह है कि वह सर्व शक्तिमान होता है। आमतौर पर ईश्वरीय यानी सामर्थ्यवान होते हुए भी कृष्ण किसी भी घटना को टालने का प्रयास नहीं करते। सब कुछ यथावत यानी प्रकृति के अनुरूप चलता रहता है। ध्रुव हर्ष कवि के साथ-साथ फिल्मकार भी हैं। इसीलिए उनकी कविताएं सिनेमेटिक प्रभाव लिए हुए लगती है...

नीतेश व्यास की कविता 'राग, रंग और आग : विन्सेंट वाॅन गाग'

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  'लस्ट फ़ॉर लाइफ़' (1934) एक जीवनीपरक उपन्यास है जिसे इर्विंग स्टोन द्वारा प्रख्यात डच चित्रकार विन्सेंट वान गॉग के जीवन और उनकी कठिनाइयों पर केन्द्रित करते हुए लिखा गया। यह उपन्यास काफी हद तक विन्सेंट वान गॉग और उनके छोटे भाई, थियो वान गॉग के बीच के पत्रों के संग्रह पर आधारित है। 'लस्ट फॉर लाइफ’ के लिए इर्विंग स्टोन ने बहुत गहराई तथा विस्तार से शोध किया। इस किताब को प्रकाशकों ने सात बार प्रकाशित करने से मना कर दिया था। लेकिन जब प्रकाशित हुई तो कला, साहित्य और संस्कृति की दुनिया में तहलका मच गया। इसके बाद इर्विंग स्टोन ने कई प्रसिद्ध लोगों की जीवनियां लिखीं। 1962 में उन्होंने एकेडमी ऑफ अमेरिकन पोएट्स तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं की स्थापना की। लॉस एंजेल्स में 26 अगस्त 1989 को इर्विंग स्टोन की मृत्यु हो गई। विंसेंट की जिंदगी तो त्रासद थी ही, उसका अंत और भी त्रासद था। बीस साल के अन्तराल में उसने अपने छोटे भाई थियो को लगभग सात सौ पत्र लिखे और छोटे भाई थियो ने वे सारे पत्र संभाल कर सिलसिलेवार रखे। उसने यथासंभव भाई की सहायता तथा देखभाल भी की। अंत समय तक वह विंसेट का हाथ थामे ...