स्वप्निल श्रीवास्तव का आलेख 'लक्ष्मीधर मालवीय की रेतघड़ी'

स्वप्निल श्रीवास्तव कुछ उन रचनाकारों में से हैं जिन्होंने कविता, कहानी से इतर कुछ बेहद जरूरी संस्मरण और आलेख लिखे हैं। इसी क्रम में हाल ही में उनकी एक महत्त्वपूर्ण किताब आई है दियासलाई में चाबी। इस किताब में एक अध्याय प्रवासी रचनाकार लक्ष्मीधर मालवीय पर है। इस आलेख से लक्ष्मीधर मालवीय के व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलती है। आज इसी किताब से यह आलेख हम प्रस्तुत कर रहे हैं। तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं स्वप्निल श्रीवास्तव का आलेख 'लक्ष्मीधर मालवीय की रेतघड़ी' । आलेख 'लक्ष्मीधर मालवीय की रेतघड़ी' स्वप्निल श्रीवास्तव लेखक का जीवन किसी उपन्यास से कम रोचक नहीं होता। वे लेखक हमें ज्यादा आकर्षित करते हैं, जो जोखिम उठा कर लिखते हैं -अपने लिये अलग पथ बनाते हैं। ऐसे लोगों की पहचान अलग होती है। लिखना एक सुविधाजनक कर्म नहीं है, उसके लिये यंत्रणा से गुजरना पड़ता है। जो लेखक अभिव्यक्ति के खतरे उठाते हैं, वे साहित्य के आकाश में चमकते हुए दिखाई देते है। इस मुहावरे के कवि मुक्तिबोध इसके उदाहरण हैं, उन्होंने हिंदी कविता...