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भास्कर चौधरी की कविताएँ

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भास्कर चौधरी अपने समय की विडम्बनाओं को उजागर करना और इस क्रम में खुद अपने को खड़ा करना आसान काम नहीं होता. कवि अपने हुनर के जरिए इस कठिन काम को आसान बनाता है. भास्कर चौधरी आज के दौर के सुपरिचित कवियों में से एक हैं.उनकी नजर उन क्षेत्रों की तरफ भी जाती है जिस तरफ आम तौर पर कवियों का ध्यान प्रायः नहीं जाता. इसी क्रम में भास्कर लिखते हैं -     कवि!/ ये कैसी अंधेरगर्दी है जो/ तुम वह सब कुछ करते हो/ अंधेरे में/ जो तुम उजाले में करने से डरते हो/ हाँ तुम उजाले में रह कर उजले लिबास में/ अंधेरे के बारे में कविता रचते हो/ और इस समय को/ अंधेरा समय कहते हो!! आज पहली बार पर प्रस्तुत है भास्कर चौधरी की कविताएँ.         भास्कर चौधरी की कविताएँ   मध्यमवर्गीय कवि   मध्यमवर्गीय कवि कुकुरमुत्ते की तरह नहीं उगते घूरे में न उनका घूरे से कोई वास्ता होता है मध्यमवर्गीय कवि   तारों की तरह   भी नहीं जो टिमटिमाते हैं आकाश में   मछुवारों के लिए दिक्सूचक   का काम करते   हैं अंधेरी रातों में मध्यमवर्गीय