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सत्यनारायण पटेल के उपन्यास ‘गाँव भीतर गाँव’ की शशिभूषण मिश्र द्वारा की गयी समीक्षा 'विकास का राजनीतिक समाजशास्त्र और हाशिए का समाज'

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सत्य नारायण पटेल सत्यनारायण पटेल का उपन्यास 'गाँव भीतर गाँव' अपने कहन और शिल्प के लिए इधर काफी चर्चा में रहा है । इस उपन्यास की एक समीक्षा लिखी है युवा आलोचक शशि भूषन मिश्र ने । आइए आज पढ़ते हैं सत्यनारायण पटेल के उपन्यास ‘गाँव भीतर गाँव’ की शशिभूषण मिश्र द्वारा की गयी समीक्षा 'विकास का राजनीतिक समाजशास्त्र और हाशिए का समाज' ।     विकास का राजनीतिक समाजशास्त्र और हाशिए का समाज                                                                 डॉ० शशिभूषण मिश्र                     सत्यनारायण पटेल हमारे संक्रमित समय के ऐसे युवा कथाकार हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं में समकालीन जीवन के गत्यात्मक यथार्थ को पूरी   विश्वसनीयता के साथ रेखांकित किया है। विकास की जमीनी सच्चाइयों, हाशिए के समाज के संकटमय जीवन और भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी ग्रामीण राजनीति   से साक्षात्कार कराने वाला उनका उपन्यास ‘गाँव भीतर गाँव’ उल्लेखनीय हस्तक्षेप दर्ज कराता है। 320 पृष्ठों में विन्यस्त इस रचना में हमारे समय के अंतर्विरोधों में उलझे ‘ विवश ग्रामीण यथार्थ ’ की गहन पड़ताल की गई

ओम प्रकाश की कविताएँ

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ओम प्रकाश                                                         जन्म         :   1 जनवरी 1988 , को गाँव दानपुर, करमा इलाहाबाद (उ० प्र०) में । माता श्रीमती रन्नो देवी; पिता श्री राममूरत । मैट्रिक ( 2003 ), और इंटरमिडिएट ( 2005 ), उ० प्र० माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, उ० प्र० से। 2008 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी और राजनीति शास्त्र में स्नातक। 2010 में एम० ए०, अंग्रेजी साहित्य, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से। वर्तमान समय में डी० फिल० अंग्रेजी में, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, विषय: “ द सोशल रियालिटी इन द स्टेज प्लेज ऑफ़ महेश दत्तानी: अ क्रिटिकल स्टडी”। अवार्ड        : राजीव गाँधी नॅशनल फ़ेलोशिप फॉर रिसर्च इन डी० फिल०   सम्मान       : प्रथम पुरस्कार “काव्यांजलि- पोएट्री कम्पटीशन” ( 2016 ), द्वारा लैब अकैडेमिया ट्रिपल आई टी साथ में इलाहाबाद संग्रहालय, इलाहाबाद, अवसर- “स्मरण साहित्य सभा: अ ट्रिब्यूट टू श्री हरिवंशराय बच्चन”   ओम प्रकाश अभी बिल्कुल युवा हैं । उनके पास वह युवा मन है जो प्या र-मुहब्बत से लबालब भरा होता है । युवा और युवा मन होने के साथ-साथ कवि भी हैं ।