गिरीश चन्द्र पाण्डेय ‘प्रतीक’ की कविताएँ

गिरीश चन्द्र पाण्डेय ‘प्रतीक’ परिचय- डॉ गिरीश चन्द्र पाण्डेय "प्रतीक" शिक्षक उत्तराखंड शिक्षा विभाग सम्प्रति - पिथौरागढ़ जनपद में कार्यरत साहित्यिक यात्रा- एक काव्य संग्रह "आइना" प्रकाशित , इंद्रधनुष , पहाड़ का दर्द , कविताओं के रंग आदि संयुक्त काव्य संग्रहों में स्थान मिला है। राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित , आकाशवाणी से कविता-पाठ आदि कवि का अपनी कविता के बारे में वक्तव्य : कविता लिखना आसान हो सकता है। पर कविता को जीना उतना ही मुश्किल। असली कविता वही है जिसे हम खुद में जी रहे हों। समाज को एक नयी दिशा देने का दम कविता में होना चाहिए। सामाजिक सरोकार अगर कविता में नहीं होंगे तो कविता में भटकाव निश्चित है। जिसे समाजोपयोगी , लोकहितकर नहीं कहा जा सकता। हम जब से आज़ाद हुए हैं ' विकास ' शब्द सुनने के अभ्यस्त हो गए हैं। 68 वर्ष बीतने के बावजूद विकास शब्द जहाँ का तहाँ है। आज के भारत के 70 % से अधिक लोगों की आय एक डालर से कम है। बेरोजगारी , बदहाली , गरीबी , भूखमरी , अकाल आज भी देश के लिए बड़ी समस्याएँ बनी हुई हैं। ऐस...