संदेश

चाँद’ पत्रिका लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आशुतोष पार्थेश्वर का आलेख "चाँद की ‘राजनीति’ "

चित्र
  आशुतोष पार्थेश्वर  साहित्यिक पत्रकारिता में ‘चाँद’ पत्रिका की अपनी अहम और विशिष्ट भूमिका रही है। ‘चाँद’ का प्रकाशन ही अपने आप में एक आन्दोलन की तरह था। इसके प्रकाशित किए जाने के अपने मंतव्य थे। ‘चाँद’ का फांसी अंक नवम्बर 1928 में प्रकाशित हुआ। यह अंक एक दस्तावेज की तरह है जिसमें  फांसीवाद का जम कर प्रतिकार किया गया। यह अंक स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों के लिए प्रेरणास्रोत बना। हालांकि इस अंक में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध प्रत्यक्ष तौर पर विद्रोह की बात नहीं की गई थी लेकिन इस अंक में संकलित सामग्री राष्ट्रवाद की भावना को प्रेरित करने वाली और साम्राज्यवाद का प्रतिकार करने वाली थी। इसे देखते हुए इस अंक को अंग्रेज़ सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। इस अंक का ऐतिहासिक महत्व इसलिए भी है कि भगत सिंह ने छद्म नाम से इस अंक में कई लेख लिखे। साहित्यिक होते हुए भी इस पत्रिका ने कई मोर्चों पर काम किया जिसमें समाज सुधार की प्रवृत्ति प्रमुख थी। ‘चांद’ पत्रिका की ऐतिहासिक भूमिका इस बात से समझी जा सकती है कि इसने कुल 29 विशेषांक प्रकाशित किए। ये सभी महत्त्वपूर्ण विषयों पर केन्द्रित अं...