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अमरेन्द्र कुमार शर्मा का आलेख 'औपनिवेशिक विषाद और वि-उपनिवेशीकरण की आवाजें'

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  फ्रेंज फैनन   हम भले ही खुद के आधुनिक होने का दावा करें लेकिन हमारी मनोवृत्तियां यह साबित कर देती हैं कि सही मायनों में तो हम सभ्य हुए ही नहीं। रंग भेद ऐसी ही मनोवृत्ति है जो आमतौर पर उन श्वेत चमड़ी वाले लोगों का वह फितूर है जिसके चलते वे खुद को श्रेष्ठ मानते हैं जबकि काले अफ्रीकी लोगों को असभ्य और पिछड़ा मानते हैं। यूरोपीय औपनिवेशिक देशों ने एशिया, कैरेबियाई देशों और अफ्रीकी देशों पर अपने शासन को 'व्हाइट मैंस बर्डन' का भ्रामक टर्म गढ़ कर औचित्यपूर्ण साबित करने की कोशिशें की। लेकिन एक न एक दिन उनका यह भ्रम तो टूटना ही था। अफ्रीकी और एशियाई देशों के लोग जब अपने अध्ययन के क्रम में यूरोपीय देश गए तो वहां भी उनके नस्लीय भेदभाव के शिकार हुए।  फ्रेंज ओमर फैनन ऐसे ही विचारक थे जिन्होंने फ्रांस में अपनी पढ़ाई के दौरान अपने साथ होने वाले नस्लीय भेदभाव को महसूस किया। इसी भेदभाव को उन्होंने अपने लेखन में उतारा। अनुभवबद्ध होने के कारण उनका लेखन वैश्विक स्तर पर विश्वसनीय माना गया। अमरेन्द्र कुमार शर्मा ने  फ्रेंज फैनन के चिन्तन की एक गहन पड़ताल की है। आइए आज पहली बार पर हम पढ़त...

अमरेन्द्र कुमार शर्मा की 'मेरे प्यारे देश' श्रृंखला की ग्यारह कविताएँ।

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  अमरेन्द्र कुमार शर्मा   कविता कल्पना की उड़ान होते हुए भी बहुत कुछ कवि की आपबीती भी होती है। एक समय के बाद कवि और कविता जब एकमेक हो जाते हैं तब कविता जैसे दार्शनिक अंदाज़ में बदल जाती है। इस दार्शनिकता में ढेर सारे सवाल होते हैं। इस दार्शनिकता में अनेक तरह की स्वाभाविक चिन्ताएँ होती हैं। आम तौर पर ' देश ' शब्द का प्रयोग जब हम करते हैं , वह एक संकुचित दायरे में होता है। लेकिन कवि की चिन्ता , कवि की दार्शनिकता उसे वह विराट स्वरूप प्रदान करती है जिसमें ' देश ' मनुष्य ही नहीं , मनुष्य के जीवन से जुड़ जाता है। तभी तो वह देश के प्रति चिन्तित होता है या फिर देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तैयार रहता है। आज जब ' देश ' शब्द के मायने को संकुचित करने के प्रयास चल रहे हैं ऐसे में अमरेन्द्र कुमार शर्मा की कविताएँ हमें आश्वस्त करती हैं कि ' देश ' को संकुचित करने के सारे प्रयास विफल होंगे और अपने वास्तविक मायने के साथ यह शब्द फिर से अपनी गरिमा प्राप्त कर सकेगा। अमरेन्द्र जितना उम्दा गद्य लिखते हैं उतनी ही उम्दा कविताएँ भी लिखते हैं। आज पहली बार पर ...