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भालचन्द्र जोशी से अनुराधा गुप्ता की बातचीत

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भालचन्द्र जोशी भालचंद्र जोशी हमारे समय के चर्चित कहानीकार हैं। आदिवासी इलाके में काम करते हुये जोशी जी ने कुछ अप्रतिम कहानियां लिखी हैं। उनके पास जीवन के जो विविध अनुभव हैं , वे कहानी में अनायास ही आते हैं। कह सकते हैं कि उनके पास जीवन के सघन बिम्ब हैं और उन बिंबों को कहानी में ढालने का उम्दा हुनर भी है। यही बात उन्हे और कहानीकारो से अलग बनती है। युवा आलोचक अनुराधा गुप्ता ने हाल ही में उनसे एक लम्बी बातचीत की है। आज पहली बार पर प्रस्तुत है कथाकार भालचन्द्र जोशी से अनुराधा गुप्ता की बातचीत।          साक्षात्कार लेखन से संतुष्ट हो जाना यानी लेखक का मर जाना है। ( कथाकार भालचन्द्र जोशी से अनुराधा गुप्ता की बातचीत) अनुराधा गुप्ता : आपने 80 के दशक से लिखना शुरु किया जो अभी तक अनवरत जारी है। लगभग चार दशकों की लेखन यात्रा से आप गुजर चुके हैं। आप इसे कैसे देखते हैं ? भालचन्द्र जोशी : : पीछे पलट   कर देखता हूँ तो लगता है शुरुआती दिनों बहुत कम लिखा। शुरुआत में जब लिखना शुरु किया था तो कम उम्र में ही लगभग उन्नीस-बीस बरस की उम्र में कहानियाँ बड़ी पत्र पत्रिका