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अनुराधा सिंह की कविताएँ

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अनुराधा सिंह युवा कवयित्री अनुराधा सिंह की कविताएँ अभी हाल ही में लमही के अप्रैल 2017 अंक में प्रकाशित हुई हैं । अनुराधा ने अपने कथ्य से ही नहीं अपितु अपनी कविताओं में शब्दों के चयन, बिम्ब और अपने शिल्प के जरिए भी ध्यान आकृष्ट किया है । इसीलिए इन कविताओं से रु-ब-रु होते हुए उस ताजगी और टटकेपन का अहसास होता है जो अब कविताओं से अब अक्सरहा नदारद दिखने लगी है। आलोचक ओम निश्चल की एक लम्बी टिप्पणी के साथ आज पहली बार पर प्रस्तुत है अनुराधा सिंह की कविताएँ।     भाषा से नहीं , कथ्य से बनती है कविता ओम निश्चल किसी भी कविता में हम क्या तलाशते हैं। क्या केवल भाषा ? क्या केवल कथ्य ? क्या केवल सरोकार ? क्या कवि का अपना अंदाजेबयां जो औरों से जुदा हो ? क्या चाहते हैं हम कविता से ? कविता क्या गद्य की उस अविजित सत्ता में होती है जो इन दिनों उस पर आच्छादित है ? क्या वह उस द्रवणशील संवेदनशील कवि की चेतना में है जो आंखों के आंसू , कंठ में फँसे हुए कौर , कबूतरों से छिनते अरण्य , प्रकृति से ओझल होती नदी , चिड़ियों से छिनते घोंसले , कविता से रूठती भाषा और स्त्री से छिनते उस...