संदेश

अवधेश प्रीत लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अवधेश प्रीत की कहानी 'कौतुक-कथा'

चित्र
  अवधेश प्रीत  मानव सभ्यता ने वैज्ञानिक विकास के चलते आज ऊंचाइयों के जो प्रतिमान स्थापित किए हैं उनका कोई सानी नहीं है। लेकिन इसका एक दूसरा आयाम भी है जो भयावह है। विकास के क्रम में हमने जो रास्ते अख्तियार किए, वे हमें उस तरफ ले कर जा रहे हैं जहां तबाही के अलावा कुछ भी नहीं दिखता। इस पृथ्वी को हरियाली का जीवनदाई आवरण प्रदान करने वाले पेड़ पौधों को हमने जिस अंधाधुंध अंदाज में समाप्त किया है अब वह जलवायु परिवर्तन के रूप में दिखाई पड़ने लगा है। हमने ऐसे हथियार बना लिए हैं जिससे इस पृथ्वी को कई बार तबाह किया जा सकता है। विकास के क्रम में हम उन आदर्शों और नैतिकताओं को लगातार दरकिनार करते जा रहे हैं जो हमें सचमुच इंसान की शक्ल देते रहे हैं। रचनाएँ बहुत कुछ हमारे अपने बीते हुए को आधार बना कर लिखी जाती हैं। लेकिन कुछ रचनाएं ऐसी भी होती हैं जो हमें भविष्य की भयावहता की तरफ आईना दिखाती हैं। कुछ इसी अंदाज की कहानी है अवधेश प्रीत की 'कौतुक कथा।' अपनी कहानी में अवधेश लिखते हैं 'बच्चों, मेरे प्यारे बच्चो! मैं जो कह रहा हूं उस पर विश्वास करो, क्योंकि विश्वास दुनिया को बेहतर बनाने की पहली ...

यादवेन्द्र का आलेख 'फूल फल पौधे पेड़ पर्वत नदी'

चित्र
  अवधेश प्रीत  इतिहास गवाह है कि आक्रांता जातियां सबसे पहले अतीत के उन साक्ष्यों पर प्रहार करती हैं जो पराजितों के अन्दर गर्व की भावना का संचार करती हैं। इस क्रम में आक्रांता पराजितों की संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास करता है। क्योंकि उसे यह बात अच्छी तरह मालूम है कि जिसकी अपनी कोई संस्कृति नहीं उसे स्वतन्त्रता से भी कोई सरोकार नहीं। यूरोपीय औपनिवेशिक देशों ने दक्षिण अमरीका, अफ्रीका और एशिया के जिन देशों को अपना गुलाम बनाया वहां यह काम उन्होंने बखूबी किया। इसी क्रम में कई देशों की अपनी मूल भाषाएं तक नष्ट हो गईं और वे अपने स्वामी राष्ट्र की भाषा ही लिखने बोलने लगे। जाहिर सी बात है कि उस भाषा में वे अपना विरोध और आक्रोश उस तरह व्यक्त नहीं कर सकते थे जैसा वे अपनी बोली भाषा में कर सकते थे। यादवेन्द्र अपने कॉलम के अंतर्गत इस बार अवधेश प्रीत की कहानियों की चर्चा करते हुए उचित ही लिखते हैं 'सत्ता चाहे कितनी भी निरंकुश और नृशंस हो और इंसान कितना भी दुर्बल हो, सदियों से चली आ रही उसकी प्रगति यात्रा संकल्पों, बलिदानों और अवरोधों पर विजय प्राप्त करते रहने का प्रमाण है।' आजकल पहली बार पर...