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आनन्द प्रकाश का आलेख 'भैरव प्रसाद गुप्त : निर्भीक रचनाशीलता और प्रतिबद्ध विचार के समर्थक'

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भैरव प्रसाद गुप्त  हम जिस समय में रह रहे हैं उस समय की पीढ़ी में रचनाशीलता तो बहुत है लेकिन प्रतिबद्धता अक्सर नदारद दिखती है। वास्तव में यह प्रतिबद्धता ही आपके लेखन को वह धार प्रदान करती है जिससे किसी भी लेखक की रचना दूर तलक का सफर तय करती है और देर तक याद की जाती है। भैरव प्रसाद गुप्त का नाम साहित्य की दुनिया में वह नाम है जो इस प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है। संभव है कि आज शोरोगुल के जमाने में तमाम नए रचनाकार भैरव जी के रचना-संसार ही नहीं नाम से भी परिचित न हों। लेकिन भैरव प्रसाद गुप्त की महत्ता हिन्दी साहित्य में हमेशा बनी रहेगी। इसलिए भी, क्योंकि भैरव जी ने ‘नयी कहानी’ पत्रिका निकाल कर हिन्दी कहानी की दुनिया में एक ऐसा बदलाव ला दिया जिसे आज भी एक आन्दोलन के रूप में याद किया जाता है। समय के साथ हिन्दी कहानी आगे बढ़ी और प्रेमचंद की लीक को छोड़ कर अपनी एक नयी लीक और पहचान के साथ दृढ़ता से आगे बढ़ी। मन्नू भण्डारी, उषा प्रियम्बदा, राजेन्द्र यादव, मार्कंडेय, शेखर जोशी, अमरकांत जैसे उम्दा लेखकों को हिन्दी साहित्य के परिदृश्य में लाने का श्रेय बहुत कुछ भैरव जी को ही है। वर्ष 20...