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नित्यानंद गायेन

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20 अगस्त 1981 को पश्चिम बंगाल के बारुइपुर, दक्षिण चौबीस परगना के शिखरबाली गांव में जन्मे नित्यानंद गायेन की कवितायेँ और लेख सर्वनाम, कृतिओर, समयांतर, हंस, जनसत्ता, अविराम, दुनिया इनदिनों, अलाव, जिन्दा लोग, नई धारा, हिंदी मिलाप, स्वतंत्र वार्ता, छपते–छपते, समकालीन तीसरी दुनिया, अक्षर पर्व, हमारा प्रदेश, कृषि जागरण आदि पत्र–पत्रिकाओं में प्रकाशित  . इनका काव्य संग्रह ‘अपने हिस्से का प्रेम’(२०११) में संकल्प प्रकाशन से प्र का शित. कविता केंद्रित पत्रिका ‘संकेत’ का नौवां अंक इनकी कविता ओं पर केंद्रित. इनकी कुछ कविताओं का नेपाली, अंग्रेजी, मैथिली तथा फ्रेंच भाषाओँ में अनुवाद भी हुआ है. फ़िलहाल हैदराबाद के एक निजी संस्थान में अध्यापन एवं स्वतंत्र लेखन . blogs:- https://www.merisamvedana. blogspot.com           http://nityanandwrites. blogspot.com           http://letsthinkagain. blogspot.com/         http://nitya_2007.instablogs. com/entry/poverty-above-the- line/ जो लोग हिंदी कविता के भविष्य का रोना रोते रहते हैं और उसके भविष्य को ले कर चिंतित रहते हैं उन्हें ह

अस्मुरारी नंदन मिश्र

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(अस्मुरारी नंदन मिश्र) ' वाचन - पुनर्वाचन '  के अंतर्गत   इस बार   के हमारे कवि   है अस्मुरारी नंदन मिश्र। इनकी कविताओं पर टिप्पणी की है हिन्दी और मैथिली के चर्चित युवा कवि अरुणाभ सौरभ ने। अभी हाल ही में अरुणाभ सौरभ को मैथिली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया है। पहली बार परिवार की तरफ से अरुणाभ को ढेर सारी बधाईयाँ।    अस्मुरारी की शिक्षा अव्यवस्थित तरीके से बी . ए . , बी . एड . तक हो पायी .. नौकरी के फेर में एम . ए . की पढाई को छोड़ कर केंद्रीय विद्यालय   में शिक्षक हो गए. अभी इन दिनों पारादीप पोर्ट ( ओडिशा ) में कार्यरत हैं।  इनकी कविताये परिकथा , और साखी जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित   हुई हैं , संवदिया के आगामी युवा कविता केन्द्रित अंक में भी कविता प्रकाश्य ... एक पुस्तक समीक्षा भी साखी में प्रकाशित .. अस्मुरारी की कविताओं से गुजरना एक मौसम , राग , वायुमंडल के मिजाज़ को टोहना है. जहाँ सहजता के साथ जीवनानुभव है जिसमे लय , सुर ताल है , तो खेल भी, गति है तो विराम भी, उम्मीद है तो संघर्ष भी..कम सुखद