संदेश

सितंबर, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्वर एकादश पर स्वप्निल श्रीवास्तव की समीक्षा

चित्र
बोधि प्रकाशन जयपुर से पिछले साल छपे 'स्वर एकादश' की एक समीक्षा लिखी है हमारे समय के महत्वपूर्ण कवि स्वप्निल श्रीवास्तव ने। इसे हमने लखनऊ से निकलने वाली पत्रिका 'अभिनव मीमांसा' से साभार लिया है जिसके संपादक विवेक पाण्डेय हैं। विवेक के ही शब्दों में कहें तो 'स्वर एकादश को समकालीन कविता का प्रतिनिधि संकलन भी कह सकते हैं। इस संकलन की भूमिका साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष तथा मेरे अन्यतम शुभेच्छु विश्वनाथ प्रसाद तिवारी द्वारा लिखी गयी है जिससे यह और भी महत्त्वपूर्ण हो उठा है।' स्वर एकादश का सम्पादन किया है युवा कवि राज्यवर्द्धन ने । आइए पढ़ते हैं यह समीक्षा ।     एक साथ कई राहों के कवि हिन्दी कविता में कई कवियेां को एक जगह एकत्र कर संकलन निकालने की योजना नई नहीं है, अज्ञेय ने तार सप्तक निकाल कर यह प्रयोग किया था उन्होंने चार सप्तक निकाले, हर सप्तक में सात कवि थे चौथे सप्तक को छोड़ दिया जाय तो तीन सप्तक हिन्दी कविता में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण रहे, इन सप्तकों के कवियों ने हिन्दी कविता की एक उल्लेखनीय पीढ़ी तैयार की, और कविता के पर्यावरण को बदला। ये कवि एक मिजाज के क

अखिलेश श्रीवास्तव चमन का आलेख 'गिरफ़्त में बचपन'

चित्र
  बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं । उन्हें बचपन में हम जैसा परिवेश देते हैं, भविष्य उसी के अनुसार निर्धारित होता है । न केवल बच्चे का बल्कि हमारे घर, परिवार, समाज और देश का भी । इसमें कोई दो राय नहीं कि आधुनिकता ने हमें ढेर सारी सुविधाएँ प्रदान की हैं लेकिन साथ ही इसका दूसरा पहलू भी है जो कहीं अधिक वीभत्स है । इस तकनीक ने बच्चों से उनका बचपन छीन लिया है । उनसे दादी-नानी की कहानियाँ और माँ की लोरियां छीन ली हैं । देशी खेल जैसे गुल्ली-डंडा और चीका, कबड्डी छीन लिया है । इन्हीं महत्वपूर्ण समस्याओं पर एक नजर डाली है अखिलेश श्रीवास्तव चमन ने । अखिलेश चमन को हाल ही में वर्तमान साहित्य का कहानी के लिए मलखान सिंह सिसौदिया पुरस्कार प्रदान किया है । उन्हें बधाई देते हुए हम प्रस्तुत कर रहे हैं यह आलेख जो उनकी अभी हाल ही में प्रकाशित पुस्तक 'बच्चे, बचपन और बाल साहित्य' से साभार लिया गया है । यह पुस्तक विकल्प प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुई है जिसमें इसी मुद्दे पर बारह और महत्वपूर्ण आलेख दिए गए हैं ।         गिरफ़्त में बचपन अखिलेश श्रीवास्तव चमन आज के दौ