अजय कुमार पाण्डेय द्वारा संपादित कविता-संग्रह पर रामजी तिवारी की समीक्षा

बाल-साहित्य के बारे में प्रख्यात गीतकार और शायर गुलज़ार ने एक बार कहीं यह कहा था कि , ‘ अच्छा बाल साहित्य वह है जिसका आनंद बच्चे से ले कर बड़े तक ले सकें। ’ बाल साहित्य की यह वह परिभाषा है जो उसे अब तलक बनाए गए खांचों से स्वतन्त्र करती है । हालांकि इस परिप्रेक्ष्य में लगभग दो हजार साल पहले प्लेटो द्वारा कही गयी बात को भी हमें अच्छी तरह ध्यान में रखना होगा कि , ‘ बच्चा दरअसल बड़ों के बीच एक विदेशी की तरह होता है। जैसे किसी विदेशी से जिसकी भाषा आपको न आती हो जब आप बात करते हैं तो आपको मालूम होता है कि मेरी कई बातें वो ठीक समझेगा , कई नहीं समझेगा या गलत समझ जाएगा। और जब वह बोलता है , अपनी भाषा में बोलता है और हमको उसकी भाषा नहीं आती तो हम उसकी पूरी बात नहीं समझ पाते। कुछ समझते हैं , कुछ नहीं समझते हैं , और इस तरीके से जो आदान-प्रदान होता है वह आधा-अधूरा होता है। ’ हमें बच्चे को भी इस तथ्य को ध्यान में रख कर देखना और समझना चाहिए। कवि अजय कुमार पाण्डेय ने इधर बाल-कविताओं का एक उम्दा संकलन तैयार किया है जिसे साहित्य भण्डार, इलाहाबाद ने बेहतर कलेवर और साज-सज्जा के ...