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खेमकरण ‘सोमन' का आलेख 'तुम्हारा यहाँ तक पहुँचना : अनिल कार्की'

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  अनिल कार्की अनिल कार्की हमारे समय के महत्त्वपूर्ण युवा कवि हैं। उनकी कविताओं में पहाड़ और उत्तराखंड का जीवन, वहां की समस्याएं और विडम्बनाएं प्रमुख रूप से दर्ज हैं। वे उन विडंबनाओं को भी उभारते हैं, जो स्थानीय हो कर भी वैश्विक है। अनिल अल्मोड़ा के रानीखेत में नानीसार नामक जगह पर गाँववासियों द्वारा प्रारम्भ किए गए आंदोलन को कविता का विषय बनाने में हिचकते नहीं। वस्तुतः इस आंदोलन का बड़ा कारण था- जिंदल ग्रुप द्वारा निर्मित अंतरराष्ट्रीय बैक्लॉरेट स्कूल। ऐसा स्कूल जिसकी फीस लाखों में है और जिसका लाभ स्थानीय लोगों को मिल ही नहीं सकता। कवि  खेमकरण ‘सोमन' ने अनिल कार्की के कवि कर्म की पड़ताल करने की एक कोशिश की है। आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं खेमकरण सोमन का आलेख 'तुम्हारा यहाँ तक पहुँचना : अनिल कार्की'।   तुम्हारा यहाँ तक पहुँचना : अनिल कार्की   खेमकरण ‘ सोमन '           अनिल कार्की इक्कीसवीं सदी के कवि हैं। ओशो के शब्दों का सहारा ले कर कहें तो विचारों से पूर्णतः युवा और बेबाक। लोक - समाज से बहुत ग...