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आनंद गुप्ता की समीक्षा 'स्मृति, संबंध और समय के बीच : गौरव पाण्डेय की कविताओं का मार्मिक संसार'

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  कविता अन्य विधाओं से इसलिए अलहदा दिखाई पड़ती है कि वह दिल से लिखी जाती है। उसे लिखने में जब कभी दिमाग का इस्तेमाल किया जाता है वह निबन्ध का शक्ल अख्तियार कर लेती है। युवा कवि गौरव पाण्डेय ऐसे ही कवि हैं जिनकी कविताओं में घनीभूत संवेदना दिखाई पड़ती है। वे कविता लिखने के लिए अतिरिक्त प्रयास नहीं करते बल्कि कविता उनके पास आ कर खुद को लिखवा लेती है। यही किसी भी कवि का हासिल होता है। गौरव का हाल ही में एक कविता संग्रह आया है 'स्मृतियों के बीच घिरी है पृथ्वी'। इस संग्रह की समीक्षा लिखते हुए आनन्द गुप्ता उचित ही लिखते हैं 'गौरव पाण्डेय की कविताएँ पाठक से बौद्धिक मुद्रा में संवाद नहीं करतीं। वे पाठक को आमंत्रित करती हैं—जैसे कोई पुराना दोस्त देर रात साथ बैठ कर चुपचाप कुछ साझा कर रहा हो। उनकी शैली सहज, आत्मीय और विचारोत्तेजक है। वे सीधे मुद्दे पर आते हैं और अपनी बात को स्पष्टता से रखते हैं। उनकी शैली में कहीं भी बनावटीपन या दिखावा नहीं है। कविताओं में एक प्रकार का सीधापन और ईमानदारी है; चाहे वह बेरोजगारी का दर्द हो या माँ की आकांक्षाएँ, कवि अपने भावों को बिना किसी लाग-लपेट के व्यक...

गौरव पाण्डेय की कविताएं

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  गौरव पाण्डेय  पुलिस का नाम आते ही सामान्य तौर पर मन मस्तिष्क में एक सिहरन सी होती है। यह सिहरन भय पैदा करती है। बच्चों को डराने के लिए लोग कहते हैं चुप रहो नहीं तो पुलिस पकड़ ले जायेगी। लोग बाग यह भी कहते हैं पुलिस किसी की नहीं होती। पुलिस किसी को नहीं छोड़ती। हालांकि पुलिस कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए और लोगों को निर्भीक निडर बनाने के लिए नियुक्त की जाती है लेकिन आमतौर पर ऐसा दिखाई नहीं पड़ता। पुलिस किसी भी समस्या को अपनी तरह से सुलझाने का प्रयास करती है। आम जनता के लिए जो पुलिस भय का बायस होती है, नेताओं और अधिकारियों के सामने बेवश, निरीह और लाचार नजर आती है। कवि गौरव पाण्डेय ने पुलिस को केन्द्र बना कर कुछ महत्त्वपूर्ण कविताएं लिखी हैं जिसमें से कुछ के शीर्षक तो वही हैं जो आम जनता के बीच प्रचलित हैं। कुछ अलग तरह की इन कविताओं में गौरव पुलिस को एक सामान्य जनता की नजर से देखते हैं और उसे अपनी कविताओं में दर्ज करते हैं। आइए आज पहली बार हम पढ़ते हैं गौरव पाण्डेय की कविताएं। गौरव पाण्डेय की कविताएं पुलिस रक्षा करती है  पुलिस रक्षा करती है विधायक जी की सांसद जी की, मा...

गौरव पाण्डेय की कविताएँ

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गौरव पाण्डेय मानव जीवन में रिश्तों का बहुत महत्व है. रिश्तों के अहसास की वजह से ही आदिमता को छोड़ कर हम मनुष्य बने. सभ्यता की राह में यह मनुष्य का एक बड़ा कदम था. निश्चित रूप से भाई-बहन का रिश्ता उन कुछ रिश्तों में प्रबल और प्रगाढ़ रिश्ता है जो आजीवन और अटूट बना रहता है. यह दो परिवारों को एकजुट करता है और मेल-मिलाप की परम्परा को साकार करता है. अपने यहाँ तो हम इस रिश्ते  को एक पर्व के रूप 'रक्षाबंधन' के रूप में अरसा पहले से ही मनाते आये हैं. बहनें जिनमें अपनत्व का एक समूचा अक्स उभरता है. युवा कवि गौरव पाण्डेय ने बहन पर कुछ कविताएँ लिखी हैं जिन्हें हम पहली बार के पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं.  तो आइए पढ़ते हैं गौरव पाण्डेय की कविताएँ . गौरव पाण्डेय की कविताएँ       बहन पर कुछ कविताएं.. १ - माँ ..* हम शिखरों से पुकारते हैं .      . .... माँ.......... घाटियाँ गूंजती रहती हैं माँ ........ .माँ ...... ..माँ..... घाटियों में बहनें रहती हैं! २ - बहन _ पिता _ और _ मोबाईलगेम बहन और पिता मोबाइल मेँ गेम खेलते हैं दोपहर भर...