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पंकज मोहन का आलेख 'समाज मे हाशिए पर जी रहे बेबस लोगों के दुःख दर्द की कथा'

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हान कांग जिन संकल्पनाओं का मनुष्य को आधुनिक बनाने का श्रेय है उनमें मानवाधिकार का स्थान अग्रणी है। बेहतर साहित्यकार वही होता है जो मानवाधिकारों का  पक्षधर होता है। वैसे मानवाधिकारों की राह आसान नहीं होती, बल्कि कांटों से भरी होती है। ऐसे साहित्यकार अपने देश की सरकारों के रडार पर रहते हैं। उन्हें अक्सर प्रताड़नाओं का शिकार होना पड़ता है। लेकिन सच्चा साहित्यकार निडर होता है और अपनी राह चलता रहता है। वर्ष 2024 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दक्षिण कोरिया की लेखिका हान कांग को दिया गया है। हान कांग यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली एशियाई महिला हैं। पंकज मोहन ने उनकी किताब "लड़का आ रहा है" (अंग्रेजी अनुवाद "The Human Acts") पर विचार करते हुए इस लेखिका के बारे में लिखा है - 'हान कांग ने ग्वांगजू के नागरिकों की गहरी पीडा और आधुनिक कोरियाई इतिहास के दर्द, जिसे कोरियाई भाषा में 'हान' कहा जाता है, की आधारशिला पर अद्भुत साहित्यिक कृति की रचना की है, जिसकी कलात्मक प्रभा से कोरिया ही नहीं बल्कि लोकतंत्रिक मूल्यों और मानव अधिकार के लिये संघर्ष कर रहे  "ग्लोबल साउ...