अकिन्वाड़े ओलुबोले शोयिंका की कुछ कविताएँ

शोयिंका पश्चिमी दुनिया की इस बात के लिए प्रायः तारीफ की जाती है कि वे स्वतन्त्रता और समानता में विश्वास रखते हैं। लेकिन यह अधूरा सच है। रंग और नस्ल के आधार पर वे खुद को औरों से श्रेष्ठ समझते हैं। सभी अश्वेत उनके लिए काले हैं और काले होने की वजह से असभ्य हैं। इन असभ्य लोगों को कभी सभ्य बनाने का ठेका इन सभ्य लोगों ने ही लिया था और इनके लिए एक टर्म गढ़ा 'व्हाईट्स मैन बर्डन'। खुद को सभ्य कहने वाले इन यूरोपीय लोगों ने अपने उपनिवेशों की खुली लूटपाट की। अफ्रीका इन औपनिवेशिक देशों की लूटपाट का खुला स्थल बन गया। अश्वेत अफ्रीका की परंपरा, संस्कृति और धार्मिक विश्वास में युगों-युगों से रचे-बसे मिथकों की काव्यात्मकता और उनकी नई रचनात्मक सम्भावनाओं को शोयिंका ने ही पहली बार पहचाना। प्राचीन यूनानी मिथकों की आधुनिक यूरोपीय व्याख्या से प्रेरित हो उन्होंने योरूबा देवमाला की सर्वथा नई दृष्टि से देखा। सोयिंका की रचनाएं, "संस्कृति और नागरिकता", नागरिकता और संस्कृति के मुद्दों की पड़ताल करती है और यह बताती है कि कला के कार्यों को किसी देश या संस्कृति के लिए कैसे प्रासंगि...