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आत्मा रंजन के कविता संग्रह पर आशीष सिंह की समीक्षा "पगडंडियां गवाह हैं" को पढ़ते हुए।

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आत्मा रंजन युवा कवि आत्मा रंजन का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। काव्य-रूप में ढालने के लिए विषयों के चुनाव से ले कर कविता की भाषा और शिल्प तक में आत्मारंजन और कवियों से बिल्कुल अलग खड़े नजर आते हैं। बिना किसी बडबोलेपन के सीधे-सीधे अपनी बात कहने के पक्षधर आत्मा रंजन सिद्धान्त और व्यवहार में एका के भी हिमायती हैं। कवि का यह दुर्लभ गुण उनकी कविताओं से होते हुए आपको आभासित हो जायेगा। आत्मा रंजन का कविता संग्रह " पगडंडियां गवाह   हैं" चर्चित कविता संग्रहों में से एक है। इस संग्रह पर एक समीक्षा लिखी है युवा आलोचक आशीष सिंह ने। तो आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं युवा कवि आत्मा रंजन के कविता संग्रह पर आशीष सिंह की समीक्षा " पगडंडियां गवाह   हैं" को पढ़ते   हुए।       " पगडंडियां गवाह   हैं" को पढ़ते   हुए   आशीष सिंह 1 कविता तथाकथित सभ्यता और नफासत   के पीछे   ठिठकी   बदरंग दुनिया   की पोलपट्टी खोलती   है उस पर   पड़े आवरण को उलट देती है इसीलिए हमारे हृदय में बार बार   जगह ...