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रामजी तिवारी की समीक्षा “जो घूमा नहीं, वो फला नहीं .....”

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इस दुनिया को समझने में यायावरी का बडा हाथ रहा है। मनुष्य स्वभावतः घुमक्कड होता है। आज भी उसकी यह यायावरी और घुमक्कडी जारी है और जारी है इनकी निगाहों से इस दुनिया को जानने समझने का क्रम भी। अजय सोडानी और उमेश पंत की इस घुमक्कडी पर हाल में नयी किताब आयी है जिसे देखा पढा है एक और घुमक्कड रामजी तिवारी ने। आज पहली बार पर आप सबके लिये प्रस्तुत है रामजी तिवारी की समीक्षा “जो घूमा नहीं, वो फला नहीं .....”।                                      “जो घूमा नहीं, वो फला नहीं .....” रामजी तिवारी   किसी भी व्यक्ति के जीवन में परिवार, समाज और शिक्षा का योगदान सबसे अधिक माना जाता है। इनके बाद यदि तीन और चीजों को चुनने की मुझे स्वतंत्रता दी जाए तो मैं साहित्य, सिनेमा और यात्राओं की भूमिका को रेखांकित करना चाहूँगा । क्योंकि साहित्य न सिर्फ सभी प्रकार की रचनात्मकताओं से प्रेम करना सिखाता है वरन यह विवेक भी देता है कि रचनात्मकता का...