तिथि दानी की कविताएँ

तिथि दानी इसमें आज हम तकनीकी रूप से सबसे विकसित युग में रह रहे हैं. हमने अपनी सुरक्षा के लिए तमाम इंतजाम किए हुए हैं. लेकिन डर है कि स्थायी भाव की तरह हमारे जेहन में बैठा हुआ है.तमाम तरह के डर भी हैं. यहाँ तक कि लावारिस चीजें भी डर का बायस बन जाती हैं. लोगों में तुरन्त अफरातफरी मच जाती है. युवा कवयित्री तिथि दानी की सजग सचेत नजरें अपने समय की इन परिस्थितियों पर हैं. उन्हें पता है कि सबसे बड़ा खतरा उस प्रेम के लिए है जो वस्तुतः इस दुनिया के लिए जरुरी है. वे लिखती हैं - " तरह-तरह के डर के बीच/ लोगों में है एक , सबसे बड़ा डर ,/ प्रेम करने का डर।/ वे जानते हैं/ प्रेम में कुछ नहीं होता पाने को/ और सब कुछ छिन जाने का डर/ कर रहा होता है पीछा/ डरे हुए हैं लोग/ क्योंकि प्रेम भरी नज़रें कभी विस्मृत नहीं करतीं सौंदर्यबोध।" लेकिन प्रेम खतरे उठाने से कहाँ हिचकता है? तमाम दिक्कतों के बावजूद वह अपनी राह चला जाता है. कुछ इसी अंदाज की कविताओं के साथ आज प्रस्तुत है तिथि दानी की नयी कविताएँ. तिथि दानी की कविताएँ डरे हुए लोग डरे हुए हैं लोग खिड़की से...