सुभाष राय की कविताएँ
12 वीं शताब्दी की मशहूर संत कवयित्री अक्क महादेवी क्रांतिकारी वीरशैव आंदोलन के एक प्रमुख स्तम्भ की तरह आज भी कन्नड़ समाज में प्रतिष्ठित हैं। श्रीशैलम से 18 किलोमीटर दूर कृष्णा नदी के तट पर स्थित पहाड़ियों में उनकी गुफाओं की यात्रा के बाद उनके वचन पढ़ते हुए कवि सुभाष राय के मन में जो भाव आए उसे उन्होंने कविताओं के रूप में दर्ज कर लिया है। आज कवि सुभाष राय का जन्मदिन है। कवि को जन्मदिन की बधाई देते हुए आज हम पहली बार पर प्रस्तुत कर रहे हैं सुभाष राय की कविताएँ। ये कविताएँ हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका 'परिकथा' के 100 वें अंक में प्रकाशित हुई थीं। कवि के ही शब्दों में कहा जाए तो ये कुछ नये मिजाज की कविताएं हैं।
सुभाष राय की कविताएं
अँधेरे के विरुद्ध
हजार साल से श्रीशैलम दहक रहा है
एक स्त्री के अनहद संकल्प से
एक तेजस्वी दिगम्बरा के लिए
कृष्णा के किनारे खड़े पहाड़ ने झुक कर
अपना सख्त सीना खोल दिया था
वह बढ़ती गयीं और खुलता गया रास्ता
एक उजली सुरंग में
आलोक ने स्वागत किया आलोक का
ज्योति में समा गयी ज्योति
धरती के सारे अंधेरे के विरुद्ध
तभी से जल रही हैं अक्क लगातार
13/7/2022
2.
जो मैं हूँ
मुझमें जो देखना चाहते हो, वह नहीं हूँ
मुझमें जो पाना चाहते हो, वह नहीं हूँ
मुझमें जो मोहक है, वह नहीं हूँ
मुझमें जो अंधकार है, वह नहीं हूँ
मुझमें जो मैं हूँ, उससे तुम्हारा परिचय नहीं
मुझमें जो मैं हूँ, उसे तुम पाना नहीं चाहते
मुझमें जो मैं हूँ, वह सब कुछ है और कुछ भी नहीं है
8/8/2022
3.
प्रेम के लिए
मेरे भीतर पूरा आसमान समा गया है
फिर भी खाली है बहुत जगह
समुद्र के लिए
नदियों के लिए
पृथ्वी के लिए
सारा ब्रह्मांड भी
अगर समा जाय
तो भी खाली रहेगा मेरा मन
प्रेम के लिए
फूलों में जो गंध बनकर आती है
फलों में स्वाद बनकर
प्रकृति में रूप बनकर
अंतरिक्ष में ध्वनि बनकर
वह मिट्टी हूँ मैं
मिट्टी जब मिट्टी
में समा जायेगी
तब भी महंकती रहूंगी, बजती रहूंगी, खिलती
रहूंगी कण-कण में, वन- वन में
प्रेम के लिए
राख के संग रहकर भस्मावरण
के सिवा मिलना क्या
यह मुक्ति का घर है,
इसमें कोई दरवाजा नहीं
कोई खिड़की नहीं,
कोई छत, कोई दीवार नहीं
हर रास्ता मृत्यु से होकर जाता है
प्रेम के लिए
23/7/2022
4.
पता नहीं
मैं किस रास्ते से गयी, पता नहीं
वह कोई रास्ता था भी या नहीं, याद नहीं
क्या खाया, क्या पिया
कहाँ सोई, कैसे जिया, कुछ नहीं मालूम
मुझे याद था तो सिर्फ मेरा
प्रियतम, उसका नाम, उसका रूप
उसकी अनन्य प्रेम कथाएं
रास्ता भी उसने ही बताया
भूख-प्यास का ख्याल रखा, सेज सजायी
सब-कुछ किया बिना एहसान जताये
यात्रा में हूँ, पता नहीं
पहुँच गयी, पता नहीं
बस इतना पता है कि कुछ भी
पता नहीं
3 /8 /2022
अक्क महादेवी |
5.
जहर भी पिया
मैं सदियों तक किसी के पांव
की धूल का इंतजार नहीं कर सकती
शापित नहीं हूँ मैं
कोई पाप नहीं किया
मैंने हर बार अवज्ञा की
दीवारों पर पढ़ी
जा सकती है मेरे
दर्द की भाषा
दरवाजों ने जरूर
दर्ज की होगी मेरी चीखें
फर्श पर बिखरी मिल जायेगी
मेरी भूख-प्यास
महल का ऐश्वर्य भी
कहां लुभा सका मुझे
राजसी वस्त्र और आभूषणों
की भी कहां की परवाह मैंने
कहां सोचा कि क्या कहेंगे लोग
लोक- लाज केवल मेरे हिस्से ही क्यों आनी
क्यों सहूं किसी की मनमानी
जहर दिया तो जहर पिया
लेकिन जीवन जैसा चुना, वैसा ही जिया
27/7/2022
6.
स्त्रियाँ पृथ्वी जैसी हैं
मैं स्त्री हूँ, निर्बंध
कोई भी बीज धारण करने को स्वतंत्र
मुझसे फूटते हैं अंकुर अनन्त
मेरे भीतर बहती हैं तमाम नदियां
मेरी कोख में पलते हैं असंख्य पहाड़
मेरे सीने में कोई भी सुन सकता है
सागर की दहाड़
मैं स्त्री हूँ अपने हृदय में
अनगिनत ज्वालामुखियों को छिपाये
मेरा गर्भ धधकता रहता है
मैं चक्कर लगाती हूँ सूर्य का
ताकि कहीं अंधेरा न रह जाय
मेरी संतानें समझ सकें ताप और प्रकाश के
मतलब
पृथ्वी हूँ मैं, पृथ्वी जैसी ही हैं सारी स्त्रियाँ
जीवन की संभावना से भरी हुईं
रचना के सामर्थ्य से अंटी हुई
नदियों की तरह गतिमय, निर्मल
पहाड़ों की तरह अविचल, अपराजेय
सागर की तरह अपरिमेय
ज्वालामुखियों की तरह अग्निगर्भा
अजेय
3/7/2022
7.
किसे वरूँ
किसी ने कभी नहीं पूछा
मुझे भी सपने आते हैं क्या
किसी ने कभी नहीं पूछा
मुझे अपने लिए कैसी दुनिया चाहिए
किसी ने कभी नहीं पूछा
बारिश में भीगने का मन होता है क्या
किसी ने कभी नहीं पूछा
कौन सा फूल, कौन सा रंग भाता है
किसे वरूँ, जो कभी संदेह न करे
जो दूर रहकर भी दूरी का अहसास न कराये
जो पास रहकर भी पास होने की
याद न दिलाये
24 /7 /2022
8.
मैं फैसला कर सकती हूँ
अगर मैं उड़ने की सोचूं
तो चिड़ियों से पूछूंगी उनकी उड़ान का राज
उन्हीं से जानने की कोशिश करूंगी
आखिर उन्हें पंख कैसे आये
उन्हीं से सुनूंगी पहली चिड़िया की
पहली उड़ान की कहानी
चिड़ियों को झूठ बोलना नहीं आता
उन्हें बस चहचहाने आता है
वे सच बोलेंगी और मेरे कंधों पर
पंख उग आयेंगे
मैं क्यों कहूँ कि मैं फैसला कर सकती हूँ
मैं जब भी फैसला करूंगी चल पड़ने का
सिर्फ चल पड़ूँगी
15/7/2022
सम्पर्क
मोबाइल - 9455081894
बेहतरीन सृजन
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