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मई, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अवन्तिका राय की कविताएं

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  अवन्तिका राय  हाल ही में  नीति आयोग के सीईओ बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम ने एक बयान जारी कर भारत को जापान से आगे निकलते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का दावा किया।  अप्रैल 2025 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में भी अनुमान लगाया था कि 2025 तक भारत 4.187 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। इन आंकड़ों से भारतीय  अर्थव्यवस्था के विकास की झलक मिलती है। लेकिन आंकड़े हमेशा सच नहीं बोलते। वे अपने आप में कुछ न कुछ छुपा ही लेते हैं। विकास के बावजूद आबादी का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो जीवन की आधारभूत सुविधाओं के लिए आज भी संघर्ष करता दिखाई पड़ता है। इस विकास ने प्रायः समृद्ध वर्ग को ही और समृद्ध बनाया है। लेकिन किसी भी देश की तस्वीर वहां के आम लोगों से बनाती है न कि मुट्ठी भर के समृद्ध वर्ग से। जीवन की बढ़ती प्रत्याशा, खुशहाली, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, शिक्षा, चिकित्सा जैसे कई क्षेत्र हैं जहां हमारा प्रदर्शन वैश्विक रूप से दयनीय है। कवि  अवन्तिका राय की नजर विकास के इस तिलिस्म की तरफ ...

श्रीविलास सिंह का आलेख 'अफ्रीकी साहित्य के अपराजेय योद्धा न्यूगी वा तीर्योगो'

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  Ngũgĩ wa Thiong'o लेखन प्रतिरोध का एक बड़ा हथियार होता है। औपनिवेशिक देशों के लेखकों को यह लड़ाई दोहरे तौर पर लड़नी होती है। केन्या के साहित्यकार न्यूगी वा तीयोंगो ने भी अपने जीवन में यह दोहरी लड़ाई लड़ी। औपनिवेशिक देशों के लेखकों की दिक्कत यह है कि उन्हें आजादी के बाद भी जनता के हितों की लड़ाई लड़नी होती है। इस क्रम में उन्हें अपने ही देश के निरंकुश शासकों के कोपाभाजन का शिकार होना पड़ता है। न्यूगी वा तीयोंगो को उनके नाटक । Will Marry When I Want के कारण गिरफ्तार कर लिया गया। 1978 में जेल से छोड़े जाने के पश्चात 1982 में उन्हें देश से निष्कासित कर दिया गया। उनके उपन्यास माटीगारी को केन्या में प्रतिबंधित कर दिया गया। लेकिन तीयोंगो एक अपराजेय योद्धा की तरह आजीवन लड़ते रहे।  श्रीविलास सिंह अपने आलेख में लिखते हैं " 2004 में प्रकाशित उपन्यास 'मुरोगी वा कोगोगो (Wizard of the Crow) में उन्होंने फैंटेसी और व्यंग्य के दोहरे औजारों से यह दर्शाया कि औपनिवेशिक अतीत का दाय न केवल स्थानीय तानाशाही के रूप में मिला है बल्कि संस्कृति में भी रच बस गया है।" वे ऐसे...

मदन कश्यप की कविताएँ

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  मदन कश्यप  इस बात में कोई सन्देह नहीं कि मनुष्य बुद्धिमान प्राणी है। यह बुद्धि इसे और जीवधारियों से अलग खड़ा करती है। लेकिन मनुष्य के इस बुद्धि की खूबी यह है कि वह दूसरे मनुष्य से चालाकी दिखाने की कोशिश करता है यानी कि दूसरों को मूर्ख बनाने का काम करता है। चालाक लोग दूसरों को मूर्ख बना कर खुद को आत्मतुष्ट महसूस करते हैं। लेकिन वे यह नहीं समझ पाते कि ऐसा कर वे मनुष्यता की भावना को चोट पहुंचाते हैं। अपनी कविता चालाक लोग में मदन कश्यप लिखते हैं 'वे पाँव गंवा कर जूते बचा लेते हैं/ और शान से दुनिया को दिखाते हैं!' मदन कश्यप समकालीन हिंदी कविता के चर्चित कवि हैं। उन्होंने कविता के माध्यम से आम जन के दुखों और  परेशानियों को संजीदगी से रेखांकित करने का महत्त्वपूर्ण  काम किया है। मदन कश्यप के महत्वपूर्ण कविता-संग्रह हैं, 'अपना ही देश', 'गूलर के फूल नहीं खिलते', 'लेकिन उदास है पृथ्वी', 'नीम रोशनी में', 'कुरुज', 'दूर तक चुप्पी', 'पनसोखा है समुद्र'। हाल ही में उनका नया कविता संग्रह प्रकाशित हुआ है 'बस चांद रोएगा'। कवि को जन्...

शर्मिला जालान के कहानी संग्रह ‘साख’ पर संजय गौतम की समीक्षा ‘अनुभव का विस्तृत संसार'

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  लेखन को जितना आसान काम समझा जाता है, उतना वह होता नहीं। खुद को शब्दों के जरिए अभिव्यक्त करने की कला एक साधना की तरह होती है। इसमें हर पल परिमार्जन की जरूरत पड़ती है। आंगन कुटी छवाय कर निन्दा सुनने के लिए तैयार होना होता है। आलोचना को बर्दाश्त करने की क्षमता विकसित करनी होती है। इन कंटीले राहों पर चल कर ही एक रचनाकार परिपक्व होता है। उसकी जब भी कोई किताब आती है तो उसमें उसके अनुभव का विस्तृत संसार होता है।  शर्मिला जालान एक चर्चित रचनाकार हैं। उनकी रचनाओं में आस पास की दुनिया का दुःख दर्द दिखाई पड़ता है। हाल ही में उनका कहानी संग्रह साख प्रकाशित हुआ है। संजय गौतम ने इस संग्रह का अवलोकन करते हुए समीक्षा लिखी है। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं शर्मिला जालान के कहानी संग्रह ‘साख’ पर संजय गौतम की समीक्षा ‘अनुभव का विस्तृत संसार'। ‘अनुभव का विस्तृत संसार’  संजय गौतम  शर्मिला जालान की रचनाएं रूचि से पढ़ता रहा हूँ और उनकी आने वाली रचना के प्रति उत्‍सुकता भी बनी रहती है। पहला कारण तो यही है कि कोलकता में जब मैंने नौकरी की शुरूआत की थी तो वहीं हम सबके श्रद्धेय अशोक सेक...

हेरम्ब चतुर्वेदी का आलेख 'हसन निजामी'

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  हेरम्ब चतुर्वेदी विद्वानों को शासकों द्वारा संरक्षण प्रदान किए जाने की परम्परा पुरानी है। ये विद्वान अपनी लिखत पढ़त के जरिए अपने शासक की छवि को उभारने का काम तो करते ही थे, वक्त जरूरत पर उपयुक्त सलाह भी दिया करते थे। सुल्तनत काल (1206-1526 ई.) में भी यह परम्परा अबाध तरीके से चलती रही।  सुल्तनत काल की शुरुआत कुतुबुद्दीन ऐबक की ताजपोशी से होती है। यह मामलूक वंश का संस्थापक था जिसे हम आमतौर पर गुलाम वंश के नाम से भी जानते हैं। कुतुबुद्दीन ऐबक ने जिस विद्वान को संरक्षण प्रदान किया वह हसन निजामी था जिसने 'ताजुल मासिर' नामक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ लिखा जिससे इस समय के बारे में कई जानकारियां प्राप्त होती हैं। "ताज-उल-मासीर" को दिल्ली सल्तनत का पहला आधिकारिक इतिहास भी माना जाता है। हसन निजामी ने अपने इस ग्रन्थ को फारसी में लिखा। इस ग्रन्थ को भारत में लिखे गए शुरुआती ऐतिहासिक साहित्य में से एक होने का भी श्रेय प्राप्त है। इसमें 1192 ई. से 1228 ई. के बीच उत्तर भारत में हुई राजनीतिक घटनाओं का विवरण दिया गया  है।  इस ग्रन्थ के बारे में प्रोफेसर हेरम्ब चतुर्वेदी लिखते हैं ' हस...

आशुतोष प्रसिद्ध की डायरी के अंश

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आशुतोष प्रसिद्ध  विचारों और संवेदनाओं का घनीभूत रूप होती है कवि की डायरी। हालांकि कवि के डायरी में अंकित ये विचार उसके अपने यानी व्यक्तिगत होते हैं। लेकिन उसकी इन अनुभूतियों में बहुत कुछ ऐसा होता है जो पाठक की अनुभूतियों से मिलता जुलता महसूस होता है। कविता न होते हुए भी कवि की डायरी कविता सरीखी लगती है। इसका मिजाज तो गद्य का होता है लेकिन स्वभाव पद्य का आवेग लिए होता है। युवा कवि आशुतोष प्रसिद्ध ने उम्दा कविताएं तो लिखी ही हैं उनका डायरी लेखन भी उम्दा है। इसे पढ़ते हुए हम अन्दर तक सिहरते हैं। बहुत कुछ सोचने के लिए बाध्य होते हैं और कई जगह तो चकित भी होते हैं, कि विचार इस तरह भी व्यक्त किए जा सकते हैं। पहली बार पर हम आशुतोष की कविताएं पढ़ चुके हैं। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं आशुतोष प्रसिद्ध की डायरी के अंश।   आशुतोष प्रसिद्ध की डायरी के अंश दूध गर्म करने के बहाने से  गैस चूल्हे पर दूध चढ़ाया है। वो अभी ताप ले रहा है पर मन उबल रहा है। मन को स्थिर करने के लिए पैरों को अस्थिर करना पड़ रहा है। आठ बाई आठ के किचन में तीस चक्कर लगा चुका हूँ, सम्भवतः पचास और लगाऊंगा या साठ या स...