मार्कण्डेय की कहानी 'दूध और दवा'
मार्कण्डेय प्रेमचंद के बाद हिन्दी कहानी में एक नई रवानगी के साथ उठ खड़ा होता है नई कहानी आंदोलन। मार्कण्डेय , अमरकान्त , शेखर जोशी , राजेन्द्र यादव , मोहन राकेश , कमलेश्वर जैसे कहानीकारों ने कहानी के बने बनाए पुराने चौखटे को तोड़ा और ऐसे विषयों को कहानी का विषयवस्तु बनाया जो अभी तक हिन्दी कहानी से अछूते रहे थे। नई कहानी आन्दोलन के प्रवर्तकों में से एक प्रमुख कहानीकार मार्कण्डेय का आज जन्मदिन है। जन्मदिन पर स्मरण करते हुए आइए पढ़ते हैं मार्कण्डेय की चर्चित कहानी ' दूध और दवा ' । दूध और दवा मार्कण्डेय बात बहुत छोटी-सी है , नाजुक और लचीली , पर मौका पाते ही सिर तान लेती है। कोई काम शुरू करने , सोने या पल-भर को आराम से पहले लगता है , कुछ देर इस प्यारी बात के साथ रहना कितना अच्छा है! वैसे मुझे काम करना , करते रहना और करते-करते उसी में खो जाना प्रिय है। इसी की बात भी मैं लोगों से करता हूं और दूसरों से यही चाहता भी हूं , पर यह सब तभी होता है , जब मेरे चारों ओर लोग होते हैं। ऐसा नहीं कि लोगों में मेरे बीवी-बच्चे शामिल नहीं हैं। कभी-कभी मुझे ऐसा
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