श्रीविलास सिंह का आलेख 'अफ्रीकी साहित्य के अपराजेय योद्धा न्यूगी वा तीर्योगो'

 

Ngũgĩ wa Thiong'o



लेखन प्रतिरोध का एक बड़ा हथियार होता है। औपनिवेशिक देशों के लेखकों को यह लड़ाई दोहरे तौर पर लड़नी होती है। केन्या के साहित्यकार न्यूगी वा तीयोंगो ने भी अपने जीवन में यह दोहरी लड़ाई लड़ी। औपनिवेशिक देशों के लेखकों की दिक्कत यह है कि उन्हें आजादी के बाद भी जनता के हितों की लड़ाई लड़नी होती है। इस क्रम में उन्हें अपने ही देश के निरंकुश शासकों के कोपाभाजन का शिकार होना पड़ता है। न्यूगी वा तीयोंगो को उनके नाटक । Will Marry When I Want के कारण गिरफ्तार कर लिया गया। 1978 में जेल से छोड़े जाने के पश्चात 1982 में उन्हें देश से निष्कासित कर दिया गया। उनके उपन्यास माटीगारी को केन्या में प्रतिबंधित कर दिया गया। लेकिन तीयोंगो एक अपराजेय योद्धा की तरह आजीवन लड़ते रहे। श्रीविलास सिंह अपने आलेख में लिखते हैं "2004 में प्रकाशित उपन्यास 'मुरोगी वा कोगोगो (Wizard of the Crow) में उन्होंने फैंटेसी और व्यंग्य के दोहरे औजारों से यह दर्शाया कि औपनिवेशिक अतीत का दाय न केवल स्थानीय तानाशाही के रूप में मिला है बल्कि संस्कृति में भी रच बस गया है।" वे ऐसे महान लेखक थे जो निरंतर नोबेल पुरस्कार के संभावित उम्मीदवारों में बने रहे। कल 29 मई 2025 को उनका निधन हो गया। तीयोंगो की स्मृति को नमन करते हुए आज हम पहली बार पर प्रस्तुत कर रहे हैं श्रीविलास सिंह का श्रद्धांजलि आलेख  'अफ्रीकी साहित्य के अपराजेय योद्धा न्यूगी वा तीर्योगो'।



'अफ्रीकी साहित्य के अपराजेय योद्धा न्यूगी वा तीर्योगो'


श्रीविलास सिंह


हम भारी हृदय से अपने पिता न्यूगी वा तीयोंगो के इस बुधवार प्रातः देहांत हो जाने की घोषणा करते हैं। उन्होंने एक भरपूर जीवन जिया और एक योद्धा की तरह लड़े।"


- वांजिकु वा न्यूगी, पुत्री।


न्यूगी वा तीयोंगो का जन्म 5 जनवरी, 1938 को लिमूरु, केन्या में हुआ था। वे माउ माउ विद्रोह के काल में बड़े हुए थे। इस दौरान अधिकारियों ने लाखों लोगों को गिरफ्तार किया, उन्हें यातनाएं दी, उनके साथ ज्यादती की। इन घटनाओं का असर उनके लेखन पर भी देखा जा सकता है। उनकी कुल नौ संतानें हैं जिनमें से चार लेखक हैं, ती न्यूगी, मुकोमा वा न्यूगी, हुकू वा न्यूगी और वांजिकु वा न्यूगी। 1995 में उन्हें प्रोस्टेट के कैंसर का पता चला और 2019 में उनके हृदय की ट्रिपल बायपास सर्जरी हुई। उनका 28 मई, 2025 को 87 वर्ष की अवस्था निधन हो गया।





न्यूगी ने माकेरेरे विश्ववि‌द्यालय, कंपाला, युगांडा से 1963 में स्नातक की उपाधि और लीड्स विश्ववि‌द्यालय, यॉर्कशायर, इंग्लैंड से 1964 में उपाधि प्राप्त की। वे यूनिवर्सिटी कॉलेज, नैरोबी में अंग्रेजी के प्राध्यापक रहे। 1972 से 1977 तक वे नैरोबी विश्ववि‌द्यालय में साहित्य के वरिष्ठ प्राध्यापक और विभाग प्रमुख रहे। वे कैलिफोर्निया विश्ववि‌द्यालय में अंग्रेजी और तुलनात्मक साहित्य के प्रोफेसर भी रहे। उन्हें सात अलग अलग विश्वविद्यालयों ने डॉक्टरेट की उपाधि दे कर सम्मानित किया। न्यूगी वा तीयोंगो पूर्वी अफ्रीका के बेहतरीन उपन्यासकार और विचारक थे। स्थानीय अफ्रीकी भाषा में लिखने वाले केन्या के महान लेखक जो निरंतर नोबेल पुरस्कार के संभावित उम्मीदवारों में बने रहे। वे अपने लेखन के कारण प्रतिबंधित किए गए, जेल भेजे गए और तानाशाह डेनियल अरप मोई द्वारा देश से निष्कासित भी किए गए।


स्थानीय भाषा किकुयू और अंग्रेजी में लिखे अपने उपन्यासों के माध्यम से न्यूगी ने केल्या की आजादी के संघर्ष, इस संघर्ष के दौरान और उसके बाद के सामाजिक, नैतिक, और जातीय मु‌र्दो तथा पश्चिमी शिक्षा और ईसाइयत के कारण सांस्कृतिक रूप से विखंडित अफ्रीकी समाज के विषयों को गहनता से हुआ। इन विचारों को कई बार उन्होंने रूपकों के माध्यम से भी प्रगट किया। 2004 में प्रकाशित उपन्यास 'मुरोगी वा कोगोगो (Wizard of the Crow) में उन्होंने फैंटेसी और व्यंग्य के दोहरे औजारों से यह दर्शाया कि औपनिवेशिक अतीत का दाय न केवल स्थानीय तानाशाही के रूप में मिला है बल्कि संस्कृति में भी रच बस गया है। उनका उपन्यास "रक्त की पंखुड़ियां' पूर्वी अफ्रीका में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को सामने लाता है, विशेष रूप से कृषकों और कामगारों का विदेशी व्यवसायियों और स्थानीय लालची बुर्जुआ द्वारा निरंतर जारी शोषण को।





न्यूगी ने उपन्याों के अतिरिक्त निबंधों ‌द्वारा साहित्य, संस्कृति और राजनीति पर अपने विचार व्यक्त किए। इन निबंधों को Homecoming (1972), Writers in Politics (1981), Barrel of a Pen (1983), Moving the Centre (1993) और Penpoints, Gunpoints and Dreams (1998) में संग्रहित किया गया है।


उनके चौथे उपन्यास 'रक्त की पंखुड़ियां और नाटक The Trial of Dedan Kimathi जिसमें माउ माउ विद्रोह के बाद की स्थितियों को विषयवस्तु बनाया गया था का प्रकाशन 1977 में हुआ। लेकिन स्थानीय किकोयू भाषा में सहलेखक के रूप में लिखे गए उनके नाटक । Will Marry When I Want के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और अत्यधिक सुरक्षा वाले मामिति जेल में रखा गया। 1978 में जेल से छोड़े जाने के पश्चात 1982 में उन्हें देश से निष्कासित कर दिया गया। उनके उपन्यास माटीगारी को केन्या में प्रतिबंधित किया गया। उन्होंने किकोयू भाषा में लिखी अपनी रचनाओं का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद भी किया।





उन्होंने अपने 2006 के गार्डियन को दिए एक साक्षात्कार में कहा, 'जेल में मैंने भाषा के संबंध में अधिक व्यवस्थित तरीके से सोचना प्रारंभ किया। आखिर मुझे पहले जब मैं अंग्रेजी में लिखता था तब क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया।" नैरोबी में अपने अध्यापन के दौरान उन्होंने "अंग्रेजी साहित्य विभाग" के नाम को बदल कर केवल "साहित्य विभाग" करने का सुझाव दिया ताकि इससे विश्व भर के साहित्य की झलक मिल सके। ताबान लो लियोंग और लेखक अन्युबा के साथ मिल कर उन्होंने इस संबंध में एक घोषणा पत्र तैयार किया। अंग्रेजी विभाग को इस तरह समाप्त किए जाने की बात ने एक वैश्विक बहस की शुरुआत की। उनका और उनके साथियों का प्रश्न था, 'यदि एक एकल संस्कृति की ऐतिहासिक निरंतरता के अध्ययन की आवश्यकता है, यह संस्कृति अफ्रीकी क्यों नहीं हो सकती? अफ्रीका का साहित्य केंद्र में क्यों नहीं हो सकता, ताकि हम अन्य संस्कृतियों को इसके साथ संबंधों के रूप में समझ सकें।"


उन्होंने अपने एक साक्षात्कार में कहा था, 'प्रतिरोध जीवित बने रहने का सबसे बढ़िया तरीका है। यह अत्यंत छोटे रूप में भी अन्याय को नकार कर किया जा सकता है। यदि आप वास्तव में सोचते हैं कि आप सही हैं तो आप अपने विश्वासों पर अडिग रहिए और वे आपको बचे रहने में मदद करेंगे।"


श्रीविलास सिंह



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