सन्तोष कुमार तिवारी की कविताएँ
सन्तोष कुमार तिवारी |
जन्म- 15 जून 1974 उत्तर
प्रदेश के फैजाबाद जिले के अयोध्या में
शिक्षा- अवध विश्वविद्यालय
फैजाबाद से एम. ए., बी. एड.
अवधी लोक गीतों का संचयन,
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित
काव्य-संग्रह ‘फिलहाल सो
रहा था ईश्वर’ प्रकाशित
पाठ्य पुस्तक लेखक मंडल
उत्तराखण्ड में नामित सदस्य
जीवन के जीवित प्रश्नों को अभिषेक करने वाले कवि संतोष कुमार तिवारी अयोध्या से आते हैं। अयोध्या जिसने भारतीय राजनीति की दशा-दिशा को एक ख़ास मोड़ प्रदान किया है। अयोध्या जो अब स्वनामधन्य स्वामियों का शहर बन कर रह गया है। साथ ही जो सिंहासन प्राप्त करने का रास्ता बन गयी है। कभी इसी अयोध्या के राज को राम ने कुछ मर्यादाओं की रक्षा के लिए ताक पर रख कर वन जाना स्वीकार किया था। दुर्भाग्यवश समय बदला और उसके साथ ही बदल गए प्रतिमान भी। कवि संतोष की सतर्क नजर इन सब पर है। पहली बार पर संतोष कुमार तिवारी की कविताएँ पहली बार ही जा रहीं हैं। इस युवा कवि का स्वागत करते हुए पढ़ते हैं हम इनकी कुछ कविताएँ।
सन्तोष कुमार तिवारी की कविताएँ
मेरा मल्लाह
(एक)
हम सब कागज की नाव हैं
भवसागर में भटकती हुई अकेली
मेरा मल्लाह वो देखो
मुझसे बेखबर
बाँसुरी की धुन में डूबा है।
(दो)
ईश्वर जब अंधेरा
देता है तो उससे पहले
जूझने का हौंसला भी देना नहीं भूलता।
(तीन)
तुम्हारी काफी प्रार्थनाएं
इसलिए अनसुनी की गयीं
क्योंकि तुमने जोर दिया
मंत्र की शुद्धि पर
काश! मन शुद्ध हो जाता।
(चार)
पूजा के लिए
समय की पाबन्दी नहीं
श्रद्धा की अनिर्वायता चाहिए।
नया साल: नयी छवियाँ
(एक)
ओ आने वाले वर्ष.............!
तुम्हारे लिए गाऊँगा
इक गीत
जिसमें धरती
पावन दिखेगी
बिल्कुल पहाड़ी झरने जैसी।
(दो)
नए साल पर
गा पाता काश
उन गीतों को
जिन्हे मयस्सर नहीं हुई आवाज़
आओ! अचेत पड़े उन्हीं
कुछ सवाल नचिकेता से
(एक)
मेरे सवाल
नचिकेता के सवालों जैसे
जटिल नहीं
इसका जवाब
आम आदमी के पास मौजूद होगा...........
फूलों में खुशबू
बीजों में फल
और सूनी आँखों में
उम्मीद की रोशनी
कौन भर जाता है.................?
(दो)
अबूझ और अनन्त
विवरों वाला जीवन
तुमने जिया ही कहाँ नचिकेता
शायद इसीलिए तुम
बचपन में ही
मृत्यु संबंधी सवालों में
उलझ गए।
(तीन)
अगणित अनुत्तरित
सवालों का प्रतिरूप है जीवन
आओ! पूरे हौंसले से
जीवन के जीवित प्रश्नों
अभिषेक करें।
(चार)
बजाय मृत्यु के
जीवन से सीधे
सवाल करके देखो ना
सब पता लग जाएगा।
तुम्हें मुबारक
तुम्हारा बहादुर शाह जफर मार्ग
दस जनपद
माल एवेन्यू और कालीदास मार्ग
तुम्हें मुबारक।
तुम्हारी जनसेवा की कसमें
तूफानी दौरे
रेशमी कुर्ते
तुम्हें मुबारक।
मै कभी तुम्हारी प्रजा थी
आज भेड़ हूँ तुम्हारी
तुमने मेरे ऊन उतार लिए
और ये कहते हुए छोड़ दिया
जंगल में, कि तेरा पसीना बदबूदार है।
जहरखुरान और पुजारी : एक
जहरखुरानों ने
यात्रा के दौरान
ईश्वर से मेलजोल बनाया
और आधे रास्ते में लूट लिया
पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ
मामला दर्ज किया है
पुलिस के मुताबिक
ईश्वर अब खतरे से बाहर है।
जहरखुरान और पुजारी : दो
मंदिर के पट खोलने के पहले
प्रधान पुजारी ने कहा-
भक्तजनों! भगवान के लिए
आप द्वारा लाया गया प्रसाद
पंक्ति में स्वीकारा जाएगा।
जो खाली हाथ हैं
उनकी लाईन दान पात्र के
अयोध्या खास
अयोध्या में मौजूद
कई और अयोध्या
गरीब गृहस्थ
कर्ज में डूबे दुकानदार
गिने चुने नौकरी पेशा आत्ममुग्ध
जवानी में बूढ़े दिखते
तथाकथित नौजवान और
अमल-धवल ईश्वरानुरागियों की जमातें।
अयोध्या स्वनामधन्य
स्वामियों का शहर है।
रामनामी लाईचूरा
सिन्दूर बिन्दी की दुकानों में घर
घर में दुकानें हैं
प्रभु राम, तुम्हारे वैकुण्ठ सिधारते
चोला बदल लिया
अयोध्या ने।
सिंहासन के सभी रास्ते अब
वाया अयोध्या होकर जाते हैं।
फुटपाथ
(एक)
भले मानुषो!
पैदल चलने का
हमारा मौलिक अधिकार
हमसे मत छीनो।
तुम्हारी चैड़ी सड़कें
तुम्हें मुबारक
हमारा फुटपाथ हमें वापस चाहिए।
(दो)
आबादी बढ़ती गयी
रास्ते चौड़े होते गए
गलियां तंग होती गयीं
नंगापन शिष्टाचार बनता गया
तरक्की के इस नए आस्वाद से
फुटपाथिये अंजान हैं अभी।
सम्पर्क-
प्रवक्ता, हिन्दी, राजकीय
इंटर कालेज ढिकुली
ग्राम और पोस्ट ढिकुली
रामनगर, नैनीताल
(उत्तराखण्ड) 244715
मोबाईल- 09456137315
(इस पोस्ट में प्रयुक्त पेंटिंग्स वरिष्ठ कवि विजेन्द्र जी की हैं.)
(इस पोस्ट में प्रयुक्त पेंटिंग्स वरिष्ठ कवि विजेन्द्र जी की हैं.)
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