भाविनी त्रिपाठी





भाविनी त्रिपाठी का जन्म 1995 में इलाहाबाद में हुआ। भाविनी इंटरमीडिएट की छात्रा हैं। अंगरेजी माध्यम में पढाई होने के बावजूद भाविनी हिन्दी में कविताएँ और लघुकथाएँ लिखती हैं।भाविनी त्रिपाठी ने अपनी ये लघुकथाएं अपने पितामह स्वर्गीय पं राम अधार तिवारी को समर्पित की हैं। जिनसे कि भाविनी ने लिखने की प्रेरणा प्राप्त की। अभी हाल ही में लिखी गयी अपनी दो लघुकथाएं भाविनी ने मुझे बड़े हिचक के साथ सुनाईं। जिसे मैंने उनसे पहली बार के लिए मांग लिया। आप के लिए प्रस्तुत हैं भाविनी की दो लघुकथाएं   


 चौथा कन्धा

    वह अविचलित लेटी थी। गाढी लाल साड़ी में लिपटी, चुनरी ओढ़े वह नवब्याहता दुल्हन- सी जान पड़ती थी। सोलह श्रृंगार में  से एक भी शेष न रह गया। उसके ओठों पर स्मित की रेखा नाच रही थी, आँखें मुंदी जैसे दिव्य ध्यान में लीन हों। मुख से तेज बरस रहा था। साथ ही मुख पर शान्ति की पराकाष्ठा भी थी। वह शान्ति अटूट थी। रागिनी की माँ के पार्थिव शरीर को पंचतत्त्वों के सुपुर्द करने की तैयारी चल रही थी। रागिनी के तीन भाई थे परन्तु वर्षों पूर्व एक भाई जो रागिनी से एक वर्ष बड़ा था, न जाने कहाँ गायब हो गया था। आज रागिनी के पिता के समक्ष विराट् समस्या  थी,- ‘तीन तो हैं, पर चौथा कन्धा कौन देगा?’ रागिनी निर्निमेष सब देख रही थी। उसकी पथराई आँखों से आँसू भी रूठ चले थे। जिस माँ ने आँचल में ले कर हर आँसू पोछ डाले थे, आज उसके ही चले जाने पर आँसू बाहर कैसे आ सकते थे ? कुछ देर बाद लोगों के ढूँढ़ने पर भी रागिनी का कहीं पता न था। लोगों ने कहा- ‘बेचारी कमजोर है। माँ को जाते नहीं देख सकती। इसीलिए कहीं जा कर छुप रही होगी।’ लोगों के इसी उहा-पोह के बीच घर में एक नवयुवक ने प्रवेश किया। आह! यह तो वही तीसरा बेटा था। वही खोया बेटा ......। माँ को कन्धा देने आ ही गया। आखिर चौथा कन्धा मिल ही गया। वह अखण्ड सौभाग्यवती शान से अपने अन्तिम धाम को विदा हुई।

    घाट से जब सब लोग लौट आए तो रुदन के बीच एक कोने में रागिनी अपनी नकली दाढ़ी-मूँछ उतार रही थी। बस एक आह के साथ कुछ बूँदें छलक ही आयीं।


              
बारिश

    तरुणाई भरे बादल पागल बने जल बरसाने की होड़ में थे। ऐसा लग रहा था मानों किसी ने कोई बाँध खोल दिया हो। मिस्टर राठौर अपने आलीशान  बंगले के बरामदे में बैठे सामने वाले बगीचे के मनोरम दृश्य का लुत्फ उठा रहे थे। राठौर साहब का दरवाजों का कारोबार था और ईश्वर की कृपा से उनके घर के सारे कोने भरे थे। मिसेज राठौर फोन पर अपनी सहेली के साथ ‘किटि-पार्टी’ आयोजित करने का दिन निश्चित कर रहीं थीं। इस बार वह हर बार से अधिक उत्साहित थीं। और हों भी क्यों न, जब इस बार की ‘होस्ट’ वही थीं। बात खत्म कर के वे अपने पति के पास पहुँच कर उन्हें खरीददारी की लिस्ट बताने लगीं। कुछ देर बाद वह रसोई में श्यामा को पकौडि़याँ बनाने का आदेश देने गयीं। बाहर निकलते समय उनकी नज़र बरामदे के दूसरी ओर  की छत पर गयी, वहाँ सीलन थी और कुछ बूँदें रिस रही थीं। मिसेज राठौर बौखला उठीं। उनकी इज़्जत पर आँच आ सकती थी। कुछ दिनों बाद उनके क्लब की सारी औरतें उनके घर पार्टी पर आने वाली थीं। तुरन्त मोहन को ‘एम-सील’ लाने का आदेश हुआ। ‘एम-सील’ लगा देने के बाद पानी टपकना रुक गया। ज्यों ही बारिश थमी, मोहन को मिस्त्री बुलाने का हुक्म हुआ। मोहन बेचारा अगले कुछ घण्टे मिस्त्री को बुला कर छत ठीक कराने में व्यस्त रहा। मिस्टर और मिसेज राठौर खाना खा कर सो गए। शाम के पाँच बज गए और अब छत भी ठीक हो चुकी थी। सोकर उठने के पश्चात् मिस्टर राठौर को मोहन पर दया आ गयी, उन्होंने कहा- ‘‘मोहन अब तुम घर जा कर खाना खा सकते हो।’ परन्तु उत्तर मिला- ‘नहीं साहब, कल की बारिश में मेरे घर में रसोई की छत गिर गयी। आज घर में खाना नहीं बना होगा, आज भी बारिश हो रही थी न।’  

टिप्पणियाँ

  1. श्री ग़ाफ़िल जी आज शिव आराधना में लीन है। इसलिए आज मेरी पसंद के लिंकों में आपका लिंक भी सम्मिलित किया जा रहा है।
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (11-03-2013) के हे शिव ! जागो !! (चर्चा मंच-1180) पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  2. Hridayvidaarak laghu kathayein hain Ragini ji, karuna ka bahut sanyat varnan

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    1. tippadi ke liye sadar dhanyavad!
      aap jaise sahityakaron ki tippadi mere liye uttsahvardhak evam margdarshak hai.
      - Bhawini Tripathi

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  3. दोनों ही लघुकथाएं बहुत बढ़िया

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  4. दोनों कहानियाँ दिल को सीधे छू जाती हैं. भाविनी को बहुत बधाई और आशीर्वाद इस लेखन के लिये और आगे भी ऐसे ही सुंदर लिखते रहने के लिये.

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    1. sadar dhanyavad!
      aap ka aashirvad mere liye uttsahvardhak hai.
      - Bhawini Tripathi

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  5. the first story was very poignant and flawlessly written. you should write some more.

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  6. Ravindra Nath Mishra 'Balidani'29 मई 2013 को 8:11 am बजे

    honhar birwan ke hot chikne pat.

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  7. ..very sad and impressive stories indeed. wonderfully written.

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  8. bhavini it was ur 1st time and u were superb
    congrates a lot
    my whole wishes r with u
    continue on.......

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  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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