नेहा महन्त
23 अक्तूबर 1998 को
असम के कामरूप जिले के भालुक्घाता गाँव मे संगीता महन्त और जयदेव महन्त के घर
जन्मी नेहा महन्त एक स्कूली छात्रा है जो नवीं कक्षा मे केन्द्रीय विद्यालय
ए.एफ.एस बोरझार गुवाहाटी मे पढ़ती है। मातृभाषा असमिया होने के बाबजूद पूर्णतया अङ्ग्रेज़ी
माध्यम स्कूल मे पढ़ने बाबजूद हिन्दी
कविताओं को पढ़ती रहती है, हिन्दी मे लिखने की कोशिश भी करती है. यहाँ
उसी कोशिश को आपके सामने लाते हुए बड़ी खुशी हो रही है। यहाँ एक छात्रा को आपके
स्नेह और आशीर्वाद की जरूरत है ताकि भविष्य की इस पीढ़ी को संरक्षण मिल सके, उचित मार्गदर्शन हो सके।
नेहा
की कविताओं से गुजरना एक गहरी आस्वस्ति पैदा करती है। अपने गठन मे चाहे ये कवितायें
सुगठित नही है-पर संवेदना के आरंभिक स्तर को पकड़ने की नेहा की कोशिश काबिलेतारीफ
तो है ही। उन सभी हताश-निराश बुद्धिजीवियों, आलोचकों के लिए यह एक रचनात्मक जवाब भी है
जो ऐसे जुमलों को दुहरा कर थक गए हैं कि ‘कविता मर गईं हैं’,’अब कविताओं से संवेदना गायब हो गईं हैं’ वगैरह....वगैरह....जो
लोग हिन्दी साहित्य की परिधि को हिन्दी पट्टी के घेरे मे ही स्थापित,विस्थापित करते
हैं उनके लिए भी इन कविताओं अलग तासीर के साथ
पढ़ने की जरूरत है कि किस तरीक़े से एक किशोरी के मन की दुनिया की भाषा हिन्दी ही है.....
बहरहाल
ताज़गी,साफ़गोई और अभिव्यक्ति के इस
आरंभिक स्तर की,संभावना की पुकार अवश्य सुननी चाहिए......इसी
विश्वास पर प्रस्तुत है आप जैसे सहृदय पाठकों के लिए नेहा महन्त की तीन कविताएं .....
विदूषक
प्रहसन करना उसका काम है ,
चहकती हँसी के स्त्रोत से
खुशियों की चाबी रखता
विलाप विसर्जित कर देता है
वह विदूषक कोई एक
जीवन एक खेल है
रंग विरंगी खुशियों का
एक गुब्बारा है
एक पतंग है
लेकिन पतंग की डोर
कब कट जाये
उसका पता नहीं
पीड़ा को भूल कर
विदूषक हंसी का
और हँसाने का
अभिनय करता
आगे बढ़ता है
दिल के कोने में
छिपे विलाप को
रूपांतरित कर देता है
खिलती मुसकान में ......
कुछ अचानक
एक सुबह ऐसी भी आई
संज्ञान की ताप से जब नींद खुली
फिर आँखे बंद हो गयीं
मेरी चेतना जगी
आँखों ने अपने आप पलकें खोलीं
अचानक दिल की सारी हसरत
नदी में बह गयी
जीवन की सारी मुर्दानी शांति गायब हो गयीं
और मुरव्वत ने अपना घर बसा लिया
रास्तो के पत्थर अपने आप
रस्ता छोड़ने लगे
रास्ते पर
अलमस्त हवा बहने लगी
बागों में
खिल उठे मुरझाए फूल
मैंने देखकर बटोर ली मुस्कान
और दिल में सजा कर मुस्कान को ले
निकल चली जीवन के सफर में
बेपरवाह..........अलमस्त .....
तुम्हारे न आने से
वो शाम कभी न भूलूँगी
जब तुम अपने घायल पंखों के साथ
आँसू बहाते हुए मिली
अपनी बाँहों मे तुम्हें ले कर
आई थी अपने घर
तुम्हारे घावों को ठीक करने
जब तुम ठीक हुई
मेरे जीवन मे खिल गयी आशा की धूप
उम्मीद की किरण
तुम्हारे साथ आसमान मे उड़ने का ख्वाब
देखने लगी
तुम्हारे संगीत मे खो गयी मैं
मुझे अब दुख नही था
मेरा विषाद हर्ष मे बदल चुका था...
अब तुम कहीं और चली गयी हो
न मुझसे मिलने आ रही
ना आसमान से
न उस पेड़ की डाल से
न धूप से
न हवा से
न अपने सुनहरे पंखों के साथ बादल बीच
उड़ती नज़र आ रही हो तुम
आज तुम्हारी याद आई तो
एक कविता लिख दी तुम्हारे लिए
कि तुम किसी आदमी के
गोलियों की शिकार हो गयी
मेरी चिड़ियाँ.................
(नेहा महंत की कविताओं की पहली बार पर प्रस्तुति अरुणाभ सौरभ की है.)
(इस पोस्ट में प्रयुक्त समस्त पेंटिंग्स राम कुमार की हैं।)
बहुत सुंदर ..भरपूर संभावना..बधाई.
जवाब देंहटाएंhttp://puravai.blogspot.in
सभी रचनाएँ मैचुर एवं मौलिक हैं . बहुत अच्छा कर सकती है है यह बच्ची ..इन्हें निरंतर लेखन जारी रखना चाहिए ...इतनी कम उम्र में इतनी अच्छी कविताएँ प्रसंशनीय है . हम सबकी हार्दिक शुभकामनाएं एवं बढाई नेहा को ..
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक टिप्पणी की है संतोष जी ने इनकी कविताओं पर और इन रचनाओं को यहाँ पाठकों के लिए प्रस्तुत कर आपने यकीनन इस युवा कवयित्री का हौसला बढ़ाया है . आपके प्रति आभार .
बधाई हो नेहा, शुभ-आशीर्वाद, असीम संभावनाएं तुम्हारी राह देख रही हैं।
जवाब देंहटाएंइस उम्र में इतनी मैच्योर कवितायें लिख रहीं हैं ये .. आह्लादित हुआ मैं ...स्वागत है इस नए स्वर का ..
जवाब देंहटाएंYadav Shambhu मैं नित्या की बात से पूरी तरह सहमत हूँ ... बहुत सुंदर प्रयास है ........ इतनी छोटी सी उम्र में तो हम लोग हिंदी क्षेत्र के होने के बावजूद ठीक से हिंदी लिखना भी न जानते थे ... इस बच्ची इतनी सधी हुई कवितायेँ लिख दीं हैं ... वाह! बहुत ही ख़ुशी महसूस हो रही है ......
जवाब देंहटाएंनेहा को बहुत सा आशीर्वाद ...वह लगातार अच्छा करें ....
neha ki kavitaaon par aap sab ki tippani aahlaadit karti hai...aapne jis garmjoshi se is naye hastaxar kaa swaagat kiya hai usse taaqat mil rahi hai.....
जवाब देंहटाएंnityanand jee fir hadbadaaye...tipaani arunabh surabh ki hai jo neeche me di gayi hai...par aap kabhi bhi cheezon ko samoochaa nhi dekh sakte jay ho aapki hadbadaahat ki.....arunabh saurabh
जवाब देंहटाएंजी अरुणाभ भाई टिप्पणी आपकी ही है ...बढ़िया है ...हडबडाये नही सारी कविताओं को अच्छी तरह पढ़कर ही टिप्पणी की है ....हाँ आपका नाम लिखना भूल गया था ....इसका खेद है ....लो अब भूल सुधार देता हूँ ..:)
हटाएंNeha haardik shubhkaamnain! Nichchal abhivyakti. Santosh jee abhaar. - kamal jeet Choudhary ( j and k )
जवाब देंहटाएंआपने नेहा को सामने लाकर अच्छा काम किया है, उसे शुभकामनायें , और आपको धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंFirst of all a very heartly congratulations to u! We r proud to have a Shining Star in our school, as an ex-student of K.V.AFS,Borjhar I myself congratulates u in ur grand success at ur steps of success. Amazing thing is that u r just a student of class 9 and writes such a great poems in a very attractive language.
जवाब देंहटाएंHope that success may touch ur feets always and may also u get success in whatever work u do in lyf. May u Shine lyk the sun in the planet of arts and literature!
Ur wellwisher
Priyanku Pratim Parasor
सहज ,सुंदर ........संभावना पूर्ण
जवाब देंहटाएंबच्ची बहुत आगे जायेगी ,अगर किसी राहू केतु की नज़र ना लगे
जवाब देंहटाएंसभी कविताएँ सधे स्वर में बिना किसी टूटन के एक लय में समग्रता से अभिव्यक्त होती है और अपनी परिपक्वता से बांधती भी है ... अच्छा लगा पढ़ कर ... नेहा का सनेह स्वागत है ...
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