भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का बलिया भाषण 'भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?'
उत्तर प्रदेश के बलिया में प्रति वर्ष ददरी मेले का आयोजन किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होने वाला यह मेला एक महीने तक चलता रहता है। यह भारत का दूसरा बड़ा पशु मेला भी माना जाता है। इस मेले की पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है। मत्स्य पुराण और पद्म पुराण में इस मेले का जिक्र मिलता है। चीनी यात्री फाह्यान के यात्रा विवरण में इस मेले का उल्लेख प्राप्त होता है। सन 1739 से ले कर 1764 ई. तक काशी नरेश बलवंत सिंह ने इस मेले को अपना संरक्षण प्रदान किया। 1798 में बलिया को जब गाजीपुर जिले से जोड़ दिया गया तब इसका प्रबन्धन बलिया के परगनाधिकारी द्वारा किया जाने लगा। सन 1879 में बलिया जब एक स्वतन्त्र जिला बना दिया गया तब से इस मेले का आयोजन जिला प्रशासन और नगरपालिका के मार्फत हो रहा है। सांस्कृतिक साहित्यिक गतिविधियों का आयोजन इस मेले को अन्य से अलग बना देता है। 1884 में बलिया के ददरी मेले में 'भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है' इस विषय पर भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने एक अत्यन्त सारगर्भित भाषण दिया था। यह भाषण उनकी प्रगतिशील सोच का परिचायक भी है। इसमें उन्होने लोगों से क...