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ललन चतुर्वेदी का व्यंग्य आलेख 'दिल वाले दुल्हनिया ले गए'

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ललन चतुर्वेदी  बिहार विधान सभा का चुनाव सम्पन्न हो गया। सारी कयासबाजियो को धता बताते हुए जो परिणाम आया उससे किसी को भी खास हैरत नहीं हुई। अब अगर मगर की बात शुरू हो गई है। नीतिशे कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। उनकी ख्याति पलटू राम की रही है। लेकिन इससे फर्क क्या पड़ता है।  सरकार रेवड़िया बांट रही है ऐसी स्थिति में  जिससे फायदा हो रहा हो उसे क्यों छोड़ना। विपक्षियों के लॉलीपॉप पर क्या भरोसा? मुफ्त का राशन, मुफ्त की बैंक खाते में धनराशि। और क्या चाहिए। आखिर जब डिग्री ले कर भी बेरोजगार ही रहना है तो शिक्षा पर जोर देने की वाहियात बात क्यों करें। वैसे भी चुनाव आने पर हम बिकने के लिए हमेशा हाजिर रहते हैं। कोई एक साड़ी दे दे, कोई एक मुर्गा दे दे, कोई कुछ पैसा दे दे, हम तो उसी को अपना वोट डालेंगे।  कवि ललन चतुर्वेदी अच्छे व्यंग्यकार भी हैं। अपने व्यंग्य आलेख में वे लिखते हैं ' पिनसन आवत है, गैस पर खाना बनत है, दिशा-मैदान के लिए घरे में सौचालय है और सबसे बढ़ के कोरोना के समय से ही फ्री राशन मिलत हौ बाबू। राजा होए ता ऐसन! अपन बेटा-पतोह तो हाल न पूछत हौ और इ मोदी...

चन्द्रभूषण का आलेख 'पुरुषों को राह दिखाता था मीना राय का नारीवाद'

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  मीना राय  मीना राय प्रतिबद्ध साहित्यकार और कम्युनिस्ट रामजी राय की ही पत्नी नहीं थीं बल्कि हम सबकी 'मीना भाभी' भी थीं। बहुत लोगों को यह बात नहीं पता कि वे एक स्कूल की प्रिंसिपल और प्रतिष्ठित शिक्षिका थीं। लेकिन सादगी का आलम यह कि इलाहाबाद में जब जहां कोई कार्यक्रम होता तो वे किताबों का अपना स्टाल लगातीं और बिना किसी हिचक के वे अपना काम करतीं। ‘समकालीन जनमत’ जैसी महत्त्वपूर्ण पत्रिका की पूरी व्यवस्था वे ही देखती थीं। कोविड काल में उन्होंने अपनी आत्म कथा 'समर न जीते कोय'  नाम से लिखनी शुरू की थी, हालांकि अचानक निधन हो जाने से यह अधूरा ही रह गया। आज ही के दिन 21 नवंबर 2023 को अचानक भोर में ब्रेन हैमरेज की वजह से मीना राय की मृत्यु हुई थी। आज उनकी पुण्य तिथि पर हम उनकी स्मृति को नमन करते हैं। आइए इस मौके पर आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं  चन्द्रभूषण का आलेख 'पुरुषों को राह दिखाता था मीना राय का नारीवाद'। 'पुरुषों को राह दिखाता था मीना राय का नारीवाद' चन्द्रभूषण मीना राय कौन थीं? हाल तक लगता था कि इस सवाल का जवाब मेरी जुबान पर है।  तीन शहरों से चार अवतारों में...

शिरोमणि आर महतो की कविताएं

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  शिरोमणि आर महतो कवि परिचय जन्म तिथि : 29 जुलाई 1973 उपाधि : डाॅक्टरेट की मानद् उपाधि  प्रकाशन : कथादेश, हंस, कादम्बिनी, पाखी, नया ज्ञानोदय, वागर्थ, आजकल, परिकथा, तहलका, समकालीन भारतीय साहित्य, समावर्तन, युगवार्ता, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान एवं अन्य महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।       प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें : धूल में फूल (बाल कविता) 1993 पतझड़ का फूल (काव्य पुस्तक)  1996 उपेक्षिता (उपन्यास) 2000, कभी अकेले नहीं (कविता संग्रह) 2007 संकेत-3 (कविताओं पर केंद्रित पत्रिका) 2009 भात का भूगोल (कविता संग्रह) 2012 करमजला (उपन्यास) 2018 चाँद से पानी (कविता संग्रह) 2018 झारखण्ड की समकालीन कविता (संपादन) 2021,  समकाल की आवाज़ (चयनित कविताएँ) 2022 सभ्यता के गुणसूत्र (कविता-संग्रह) 2023 सम्मान :  नागार्जुन स्मृति राष्ट्रीय सम्मान, बिहार।  सव्यसाची सम्मान, इलाहाबाद। परिवर्तन लिटेरचर अचीवर्स अवार्ड,नई दिल्ली। जयशंकर प्रसाद स्मृति सम्मान, रांची।  स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान 2024       विशेष : कुछ भारतीय भाषाओं -...

इन्दु श्रीवास्तव की गजलें

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  इन्दु श्रीवास्तव परिचय  इन्दु श्रीवास्तव  चार ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित  1 आशियाने की बातें, 2008 2  उड़ना बेआवाज परिन्दें, 2012 3 बारिश में  जल रहे हैं खेत, 2017 4 कंदील जलाओ कोई गीत संग्रह-  1-भोर पनिहारन (अप्रकाशित) दोहा संग्रह  1-तू ही मेरा जोगिया (अप्रकाशित) आठ ग़ज़लों का एल्बम 'बादलों के रंग' रिलीज। पहल, हंस, साक्षात्कार, बया, वीणा, वागर्थ आदि सभी शीर्ष साहित्यिक पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।  एक कहानी संग्रह अप्रकाशित।  साथ ही आलोचनाएँ, संस्मरण, स्मृति लेखों पर काम। सम्मान- रज़ा सम्मान, स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान झारखण्ड, सुधेश सम्मान। राष्टीय स्तर के मंचों,आकाशवाणी, दूरदर्शन में काव्य पाठ। संप्रति-स्वतंत्र लेखन किसान को आमतौर पर अन्नदाता कहा जाता है लेकिन उसी का शोषण सबसे ज्यादा होता है। वह प्रकृति से तो अपनी लड़ाई लड़ता ही है, साथ साथ उसे उन सूदखोरों से भी जूझना पड़ता है जो उनके रक्त की एक एक बूंद चूस लेने को उद्यत रहते हैं। सामान्य किसान के लिए खेती अब घाटे का सौदा है। लेकिन अपनी जमीन का मोह कुछ इस प्रकार का है कि घाट...