चार्वी सिंह

चार्वी सिंह









२१ वीं सदी की गंगा का दर्द........!!!!!




सदियों से लोगों के पापों को धोती,
गंगोत्री से लेकर गंगासागर की गहराई तक,
हर कुम्भ महाकुम्भ की मूक गवाह,
हर मोड़ और ढलान पर छली गई,
आज तक इंतज़ार करती रही.....
कोई तो आए.............
दो बूंद सच्चाई की अपनी अखियों में भर ,
कोई तो आए...........
बहुत आसान है...............
हर पाप करने के पश्चात,
माँ की गोद में छिपना,
माँ छिपाती.....भी हैं
क्योंकि
वो माँ होती है ......
पर उस अपनत्व में,
माँ आत्मग्लानि से भरी होती है,
ना जाने कितनी बार दुनिया ने,
भागीरथी जाह्नवी को राह चलते छला.......
और मन भर जाता है जब.......
अपने जाने पापों से मुक्ति हेतु,
माँ की शरण में जाते हैं.
लेकिन............
माँ को इंतज़ार हैं ,
उसका ........
जो उनको मोक्ष प्राप्ति कराए,  माँ के ऐसे लाडलों से,
आज गंगा की सिसक सुनाई देती हैं .....
हर पल..हर......लहरों पर
आखिर कब तक....
हम अपने बुरे कर्म से,
मुक्ति के लिए,
उनका सहारा लेगे
आखिर कब तक.......
हम अपने पापों से उनको तारेगे,
इस नव वर्ष भी ना जाने कितने,
हरि..... हरिद्वार का रुख करेगें,
पर आज गंगा मुक्ति चाहती हैं।
हाँ मुक्ति .........
माँ की भूमिका से.......,
मोक्ष प्राप्ति के साधन से,
इस लोभी संसार के आंगन से
हाँ ये दर्द हैं।
२१ वीं सदी की गंगा का दर्द........................!!!!






यादों के दरख़्त............!!!!!





यादों के कुछ दरख़्त देखे थे.....


हर शाखों के रंग अलग थे,
बातो को कहने के ढंग अलग थे...
खुशी के नन्हें पालने ने अकसर,
गमों के अनगिनत झोंके सहे थे......


यादों के कुछ दरख़्त देखे थे...


हँसते हुए मेरे नयनों में अकसर,
अश्को के गहरे मंज़र देखे थे..
हथेलियों की आड़ी-टेड़ी लकीरों ने अकसर,
क़िस्मत के बदलते रंग देखे थे....


यादों के कुछ दरख़्त देखे थे...


अर्थ बदलते जीवन चक्र में,
विश्राम के कुछ अंधड़ देखे थे
रिश्तों के मेलों में खोते.....
जीवन के हर कल देखे थे......


 हाँ मैंने .....अकसर


यादों के कुछ दरख़्त देखे थे...!!!!!

टिप्पणियाँ

  1. My coder is trying to persuade me to move to .net from PHP.
    I have always disliked the idea because of the expenses.
    But he's tryiong none the less. I've been using WordPress
    on a number of websites for about a year and am worried about switching to another platform.
    I have heard great things about blogengine.net.
    Is there a way I can import all my wordpress posts into it?
    Any kind of help would be really appreciated!

    Feel free to surf to my homepage :: free webcam
    my web page > click here

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मार्कण्डेय की कहानी 'दूध और दवा'

प्रगतिशील लेखक संघ के पहले अधिवेशन (1936) में प्रेमचंद द्वारा दिया गया अध्यक्षीय भाषण

शैलेश मटियानी पर देवेन्द्र मेवाड़ी का संस्मरण 'पुण्य स्मरण : शैलेश मटियानी'