पावेल सोबेक की कविताएँ
Pavel Sobek |
विदेशी रचनाकारों की आँख से भारत को देखना पढ़ना बिल्कुल अलग होता है। उस रचना में हमें विविध आयाम मिलते हैं। एक कोलॉज होता है जिसे दुनिया भारत यानी इंडिया नाम से जानती है। पॉल सोबेक चर्चित चेक कवि हैं। इन्होंने भारत से जुड़ी हुई कई महत्त्वपूर्ण कविताएँ भी लिखी हैं। ऐसी दो कविताओं का हिन्दी अनुवाद किया है कवयित्री पंखुरी सिन्हा ने। आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं पावेल सोबेक की कविताएँ।
चर्चित चेक कवि पावेल सोबेक की कविताएँ
(अनुवाद - पंखुरी सिन्हा)
बादामी
सदा सुन्दर पार्वती
प्रतीक हैं भगवान शिव की
ऊर्जा का!
हमारे पर्यटन का गाईड
अचानक शब्दोँ के
प्रहार कर रहा है
तुम, जंगली लड़की
तुम क्यों सुन रही हो?
तुमने तो गाइड वाले
टूर के पैसे नहीं दिये!
कोई एक बदमाश बच्चा
लकड़ी का एक स्विच लिए
बादामी के गुफ़ा मन्दिर की
तीसरी मंज़िल की छत पर
और हमारा विरोध
दूर हेल्सिंकी कमीशन के
हेड क्वार्टर से
खो जाता है पत्थर की
मूर्तियों के चेहरों में!
उसका मुस्कुराता हुआ
अवतार कोई
मुड़ कर, पलटता है
हमारी ओर!
समय के उस बिन्दु से
वह व्यक्ति और वह स्विच
दोनो उदाहरण योग्य हैं!
इससे पहले कि हम
बहस करें, कि किसकी
गलती है बिना रीचार्ज
मरती हुई कैमरे की बैट्री
जिसके कारण अब यहाँ
नहीं हो पायेगी, हमारी कोई
सेल्फ़ी! और कुल छः घंटे
लगे हमें वहां पहुंचने में!
वह खड़ा है नीचे
धातु की पतली चादर
से बनी दुकान के आगे
और पी रहा है योगी!
मैं भी चाहूंगा
उसी तरह उछलना
ऊपर और नीचे
पत्थरों की सीढियों पर
अस्सी की उम्र में!
टाटा इंडिगो
मुझे निश्चित रूप से ले
जाना है तुम्हें
गाँधी संग्रहालय में!
तुम मुसलमान हो, हो न?
चिंतन!
एक सूत्र में बांधने वाले महात्मा !
यही बुलाते थे कवि टैगोर
उन्हें! क्या तुम्हें कविता
अच्छी लगती है?
और तुम?
मैने नहीं पढ़ा है टैगोर को
और ज़्यादा से ज़्यादा
मैं इतना जानता हूँ
कि जॉर्ज हैरिसन ने सीखा था
रवि शंकर से सितार बजाना!
नोबेल पुरस्कार विजेता
शंकर नहीं, टैगोर!
ठीक है, शायद मुझे चलानी चाहिए
टैक्सी बनिस्पत और कुछ के!
वापस, मेरे देश में, उन्होनें उसे दिया
किसी जारोस्लाव साईफर्ट को
जो भी कवि हैं एक!
ठीक है, जो भी हो!
तुम्हें एक हवाई जहाज लेना चाहिए
उत्तर प्रदेश के लिए
वहां खूबसूरत जगहें हैं!
क्या तुम जाते हो वहाँ?
मैं निगल लेता हूँ
शब्द का आखिरी अक्षर!
एक मुस्कुराहट पीछे के
शीशे में!
बेवकूफ़ाना सवाल उसके लिए
जिसको तुमने अभी अभी दिये हैं
दो सौ रुपए, तुम्हें पूरे दिन टैक्सी में
मुम्बई घुमाने के लिए !
सम्पर्क –
ई मेल : nilirag18@gmail.com
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२९-१०-२०२१) को
'चाँद और इश्क़'(चर्चा अंक-४२३१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत सुंदर।
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