फ़्रांसीसी कवि जाक प्रेवेर (Jacques Prévert) की कविताएँ


जाक प्रेवेर


जाक प्रेवेर (1900-1977) फ़्रांस के विश्व-प्रसिद्ध कवि हैं, जिनका जन्म फ़्रांस के एक बुर्जुआ-कुलीन परिवार में हुआ था। 15 वर्ष की उम्र में स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद जाक प्रेवेर आवारागर्दी करने लगे और बोहेमियाई जीवन जीने लगे। इसी आवारागर्दी के दौरान पिकासो, दाली और तांगी जैसे चित्रकारों से उनकी दोस्ती हो गई। ये सभी चित्रकार बाद में दुनिया भर में मशहूर हुए। तभी प्रथम विश्व-युद्ध समाप्त होने के बाद फ़्रांस में अतियथार्थवादी आन्दोलन चल पड़ा। फ़्रांस के बहुत से कवियों और चित्रकारों ने अतियथार्थवाद का समर्थन किया। फ़्रांसीसी कवि अपोल्लीनेर इस आन्दोलन के अगुआ थे। इसी दौर में प्रेवेर पर कम्युनिस्टों का असर हुआ और वे फ़्रांसीसी कम्युनिस्ट पार्टी के होलटाइमर के रूप में काम करने लगे। वे मज़दूरों के लिए पोस्टर बनाने लगे और कविताएँ लिखने लगे।



1933 ई. में फ़्रांसीसी कम्युनिस्ट पार्टी के डेलीगेशन में शामिल हो कर उन्होंने सोवियत संघ की यात्रा की, लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य नहीं बने। द्वितीय विश्व-युद्ध के दौरान सेना में न जाने के लिए पागल होने का नाटक किया। प्रेवेर स्त्रियों के बीच किसी छैले की तरह लोकप्रिय थे। फ़्रांस की प्रसिद्ध नर्तकियाँ, अभिनेत्रियाँ और गायिकाएँ उन पर जान देती थी।



उन्होंने अनेक फ़िल्मों की कहानियाँ और उनके लिए गीत लिखे। इसके साथ-साथ धीरे-धीरे वे कवि के रूप में भी मशहूर हो गए। 46 वर्ष की उम्र में उनकी कविताओं का पहला संग्रह प्रकाशित हुआ, जो हाथों-हाथ बिक गया। उनके कविता-संग्रह के दूसरे संस्करण की तीस लाख प्रतियाँ छापी गईं। कुछ ही महीनों के भीतर यह दूसरा संस्करण भी ख़त्म हो गया। लेकिन सार्त्र और कामू जैसे लेखकों ने उन्हें कविता का जोकर कह कर पुकारा। उन्होंने फ़्रांसीसी कविता में मुक्त-छन्द का सूत्रपात किया और उसे पूरी तरह से स्थापित कर दिया। हिन्दी में जाक प्रेवेर की रचनाओं के छिट-पुट अनुवाद हुए हैं। पहली बारके लिए जाक प्रेवेर की इन भिन्न-भिन्न रंग-छटाओं वाली कविताओं का विशेष रूप से अनुवाद किया है -  हिन्दी के कवि अनिल जनविजय ने।  



जाक प्रेवेर (Jacques Prévert) की कविताएँ

(रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय)  



बारबरा


बारबरा, तुम्हें याद है
लगातार बारिश हो रही थी ब्रेस्ट में उस दिन
और तुम मुस्कुराती हुई चल रही थीं
जगमगाती, प्रसन्नचित्त मुक्त-मन
बारिश में भीगती हुई



याद है न, बारबरा
लगातार बारिश पड़ रही थी ब्रेस्ट में उस दिन
और स्याम गली में मैं तुमसे मिला था
मुस्कुरा रही थीं तुम
और मैं भी मुस्कुरा रहा था



याद है क्या, बारबरा
तुम, जिसे मैं जानता न था
और तुम मुझे पहचानती न थीं


याद दिलाता हूँ तुम्हें
याद दिलाता हूँ तुम्हें फिर से वो दिन
बारिश से बचने के लिए ओसारे में छिपा हुआ था एक आदमी
वह तुम्हारा नाम ले कर चिल्लाया
बाऽऽरबरा
बरसती बारिश में तुम दौड़ीं उसकी तरफ़
मगन-मन, चकाचौंध, ख़ुशी में फूली हुई
और गिर पड़ीं तुम उसकी बाहों में जा कर



तुम्हें याद है वो दिन,  बारबरा
अगर मेरे ख़िलाफ़ यह बात न जाती हो तो मैं तुम्हें बताता हूँ
प्यार करता हूँ मैं तुम सभी को
हालाँकि सिर्फ़ एक बार देखा है मैंने उन्हें
उन सभी के लिए तुमसे कहता हूँ मैं, प्यार करते हैं जो एक-दूसरे से
भले ही मैं उन्हें नहीं जानता



याद है, बारबरा
भूलना नहीं
यह समझदार और खुशहाल बारिश
तुम्हारे ख़ुश-ख़ुश चेहरे पर
इस खुशहाल शहर पर
समुद्र पर यह बारिश
शस्त्रागार पर
और वैसन द्वीप की नावों पर



ओह! बारबरा
क्या बकवास लड़ाई थी वो
और तुम कितना बदल गईं
इस लौह बारिश में भीग कर
ख़ूनी लौह अग्नि में डूबीं
जिसने भी तुम्हें गले लगाया प्यार से
वह मर गया, हो गया लापता, या हो सकता है जीवित हो
ओह बारबरा !



ब्रेस्ट पर हो रही है अन्तहीन बारिश
वैसे ही जैसे पहले भी हो रही थी
पर अब यह पहले जैसी नहीं है, अब नष्ट हो चुका है सब कुछ
इस बारिश में शोक भयानक, खेदजनक
नहीं, तूफ़ान नहीं है यह
बस, ख़ूनी लौह बारिश है
बादल हैं, बस
कुत्तों की तरह मरते हुए
और ग़ायब होते हुए



ब्रेस्ट पर गिर रहा है पानी
सड़ रहा है
ब्रेस्ट से बहुत दूर
जिसमें कुछ नहीं बचा है 





मैं जैसा हूँ वैसा ही हूँ


मैं जैसा हूँ वैसा ही हूँ
हाँ, मैं ऐसा ही हूँ



जब होती हंसने की इच्छा
ठहाके मार हंसता यह बच्चा!



प्यार करता हूँ उन्हें जो प्यार करते हैं मुझे
क्या यह मेरी ग़लती है, यार
कि हर बार मैं करता हूँ प्यार?



मैं जैसा हूँ, वैसा ही हूँ
हाँ, मैं ऐसा ही हूँ



तुम और क्या चाहो, रे मुझसे?
क्या चाहते हो आख़िर मुझसे?



मैं चाहने के लिए बना हूँ
मेरी एड़ियाँ ऊँची हैं, बहुत ऊँची
क़द नीचे को झुका हुआ, बहुत झुका
बहुत ज़्यादा है सीने में ज़ोर
पर आँखें मेरी बेहद कमज़ोर
फिर इससे तुम्हें क्या मिलेगा?



मैं जैसा हूँ, वैसा ही हूँ
हाँ, मैं ऐसा ही हूँ



क्या होगा इससे तुम्हारा
जो मुझे हुआ था?
हाँ, मैने किसी से प्यार किया था
हाँ, उसने भी मुझे दिल दिया था
बच्चों की तरह हम करते हैं एक-दूजे को प्यार
हम एक-दूसरे के दिलदार
करते हैं प्यार
हम दिलदार!



क्यों करते हो मुझसे सवाल
ख़ुश करने को तुम्हें कहा ये हाल
बस, अब कुछ बदल नहीं सकता
हो जाए चाहे जितना बवाल।





पतझड़ 


घोड़ा अचानक
बीच सड़क में गिर जाता है



झर रहे
सूखे पत्तों से
ढक जाता है



और छाती में दिल
जो पड़ा हुआ है
रह गया धक से



सूरज
सिर के ऊपर काँपे
मण्डराता है।  






सन्देश


दरवाज़ा जो उसने खोला
दरवाज़ा जो बन्द किया उसने



कुरसी जिस पर बैठा वो
बिल्ली जिसको उसने सहलाया



फल जो उसने दाँत से काटा
पत्र जो अन्तिम वो पढ़ पाया



कुरसी जिसको उसने गिराया
दरवाज़ा जो वो खोल पाया



राह जिस पर वो भागा था
जंगल जो वो पार कर पाया



तालाब जहाँ पर चिह्न मिले उसके
शवगृह जहाँ उसको पहुँचाया।




पहला दिन


आलमारी में चादर है
ख़ून में डूबी चादर



बच्चा है कोख में
माँ को श्वेत-प्रदर



बाप खड़ा गलियारे में
गलियारा है घर में



घर बसा है शहर में
और शहर रात के कर में



दर्द-चीख़ में मौत छुपी है
बच्चा इस चीख़ के डर में। 





चिड़िया को निहारने वाले का गीत


वह चिड़िया जो इतने धीमे उड़ती है
वह लाल चिड़िया रक्त की तरह गर्म है
वह कोमल चिड़िया जो नक़ल करती है
वह चिड़िया जो अचानक डर जाती है
वह चिड़िया जो दरवाज़ा खटखटाती है
वह चिड़िया जो भागना चाहती है
अकेली घबराई हुई चिड़िया
चिड़िया जो जीना चाहती है
चिड़िया जो गाना चाहती है
चिड़िया, जो रो रही है
वह लाल चिड़िया रक्त की तरह गर्म है
वह चिड़िया जो इतने धीमे उड़ती है
यह आपका सुन्दर बच्चों जैसा दिल है
यह दिल घने दुख से धड़क रहा है
अपनी ही सख़्त और सफ़ेद छाती के ख़िलाफ़ 




जब

जब सिंह-शावक चूसे दूध
सिंहनी जवान हो जाती है



जब अग्नि सत्ता की ओर बढ़े
धरती कँपकँपाती है



जब मौत प्रेम की बात करे
जीवन जैसे थम-सा जाता है



और जीवन जब मौत को याद करे
प्रेम मुस्कराता है।  






अलिकान्ते (स्पेन का एक नगर)


मेज़ पर एक सन्तरा पड़ा हुआ है
तुम्हारे कपड़े पड़े हुए हैं नीचे कालीन पर
तुम मेरे बिस्तर में हो
अभी का यह समय बहुत मीठा है
रात की ताज़गी है अभी भी
यही मेरे जीवन की उष्मा है

 
अनिल जनविजय




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